अलविदा वशिष्ठ बाबू: राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि- Video
भोजपुर के बड़हरा प्रखंड के महुली घाट की ओर मुड़ने वाले हर रास्ते से लोग शुक्रवार को डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह के अंतिम संस्कार में शामिल होने पहुंच रहे थे। इसमें समाज के विभिन्न वर्गों के लोग शामिल थे।...
भोजपुर के बड़हरा प्रखंड के महुली घाट की ओर मुड़ने वाले हर रास्ते से लोग शुक्रवार को डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह के अंतिम संस्कार में शामिल होने पहुंच रहे थे। इसमें समाज के विभिन्न वर्गों के लोग शामिल थे। राजनीतिक दलों के नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, व्यवसायी, शिक्षक, सीनियर सिटीजन समूह सहित अन्य लोग शामिल थे। रास्ते में जगह-जगह महिलाएं लोटे में जल लेकर खड़ी थीं। शव यात्रा निकट पहुंचते ही जल अर्पण कर डॉ वशिष्ठ बाबू को नमन कर रही थीं।
विश्व विख्यात गणितज्ञ डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह का अंतिम संस्कार शुक्रवार को बड़हरा प्रखंड के महुली गंगा घाट पर राजकीय सम्मान के साथ किया गया। घाट पर बिहार पुलिस के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। राजकीय धुन बजने के साथ ही उपस्थित लोगों की आंखें नम हो गईं। नेताओं व अधिकारियों ने पुष्पचक्र और फूल-माला चढ़ा श्रद्धांजलि दी। घाट पर पंडाल भी बनाया गया था। मंत्री, विधायक, एमएलसी व जिले के अधिकारी घाट पर पहले ही पहुंच गये थे। घाट पर पार्थिव शरीर पहुंचने के बाद बिहार सरकार के मंत्री जयकुमार सिंह, एमएलसी राधाचरण साह, भोजपुर डीएम रोशन कुशवाहा, एसपी सुशील कुमार सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने पुष्पचक्र अर्पित किया।
पैदल निकली यात्रा महुली महुली घाट तक हुजूम में बदली
बसंतपुर ही नहीं पूरे देश के प्रिय महान गणितज्ञ वशिष्ठ बाबू की शव यात्रा गांव से शुरू हुई तो लोगों की आंखें छलक गयीं। गांव के उनके हर उम्र के लोग अपने दरवाजे पर खड़े हो नम आंखों से विदाई दे रहे थे। घर से शव यात्रा शुरू होने के साथ ही भारत माता की जय..., वशिष्ठ नारायण सिंह अमर रहे..., भारत माता के लाल वशिष्ठ नारायण अमर रहे... और भारत के रत्न वशिष्ठ नारायण अमर रहे के नारे लगा रहे थे। यह नारा गांव से घाट तक गूंजता रहा। यात्रा शुरू होने के बाद जिस गांव से गुजर रही थी तो उस गांव के लोग भी शामिल होते गये। पैदल लगभग छह किमी की यात्रा को घाट पर पहुंचने पर लगभग दो घंटे लगे। 09:28 में शुरू हुई यात्रा घाट पर 11:30 बजे पहुंची। इसके बाद 11:47 बजे गार्ड ऑफ ऑनर व सलामी की प्रक्रिया शुरू हुई।
बता दें कि पटना के अशोक राजपथ के कुल्हड़िया कॉम्प्लेक्स स्थित आवास पर गुरुवार सुबह आठ बजे उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। इसके बाद उनके छोटे भाई अयोध्या सिंह और भतीजे मुकेश, राकेश उन्हें लेकर पीएमसीएच इमरजेंसी पहुंचे। वहां पहुंचने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनके निधन की सूचना से शिक्षा जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कुल्हड़िया कॉम्प्लेक्स स्थित आवास पर परिजनों को सांत्वना देने पहुंचे। मुख्यमंत्री ने इसे देश और बिहार के लिए अपूरणीय क्षति बताते हुए उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार की घोषणा की
वशिष्ठ नारायण का शव पहुंचते ही भोजपुरवासियों की आंखें हुईं नम
जिला मुख्यालय से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बसंतपुर गांव में पटना से गणितज्ञ डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह का शव पहुंचते ही भोजपुरवासियों की आंखें नम हो गईं। गांव में उनके आवास के समीप हजारों लोगों की भीड़ पहुंची थी। शव पहुंचते ही उपस्थित लोगों ने वशिष्ठ नारायण अमर रहे के नारे लगाये। इस दौरान कई लोग भावुक होकर रोने लगे। मुख्य सड़क से शव को उतार पुश्तैनी घर पहुंचाया गया। शव पहुंचने से पहले ही बिहार सरकार के मंत्री जयकुमार सिंह, डीएम रोशन कुशवाहा और एसपी सुशील कुमार सहित अन्य जनप्रतिनिधि व अधिकारी पहुंच गये थे। मंत्री जयकुमार सिंह ने पार्थिव शरीर पर फूल-माला डाल श्रद्धांजलि व्यक्त की।
एंबुलेंस के इंतजार में एक घंटा पड़ा रहा शव
वशिष्ठ बाबू के छोटे भाई अयोध्या प्रसाद सिंह और भतीजे राकेश कुमार ने बताया कि सुबह साढ़े आठ बजे मौत के बाद पीएमसीएच ने उनकी मृत्यु के बाद शव वाहन उपलब्ध नहीं कराया। इसके कारण शव के साथ दो घंटे तक अस्पताल परिसर में ही इंतजार करना पड़ा। काफी देर होने पर परिजन और कुछ लोग हंगामा करने लगे। मीडिया में खबर फैलने पर डीएम कुमार रवि के निर्देश पर स्पेशल ट्रीटमेंट एंबुलेंस से उनका पार्थिव शरीर कुल्हड़िया कॉम्प्लेक्स पहुंचाया गया।