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बिहारः सरकारी विभाग नहीं दे रहे सवा लाख करोड़ खर्च का हिसाब, कहां गए इतने रुपए?

सबसे ज्यादा शिक्षा विभाग के पास 38 हजार करोड़ राशि का हिसाब नहीं दिया है। वहीं पंचायती राज ने 31 हजार करोड़, नगर विकास ने 14 हजार करोड़ और ग्रामीण विकास विभाग ने 12 हजार करोड़ का हिसाब नहीं दिया है।

बिहारः सरकारी विभाग नहीं दे रहे सवा लाख करोड़ खर्च का हिसाब, कहां गए इतने रुपए?
Sudhir Kumarकौशिक रंजन,पटनाFri, 12 Aug 2022 07:32 AM
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बिहार के सरकारी महकमे रुपये खर्च कर इसका हिसाब देने में अब भी पीछे हैं। विभागों ने अब तक एक लाख 25 हजार करोड़ से ज्यादा के खर्च का हिसाब (यूसी-उपयोगिता प्रमाण-पत्र) सरकार को नहीं दिया है। जो राशि खर्च की गई हैं उनमें केंद्र सरकार से ग्रांट के रूप में मिलने वाली राशि भी शामिल है।

सिर्फ 3 विभागों के पास 95 हजार करोड़

तीन विभागों के पास सबसे ज्यादा यूसी बकाया है। सबसे ज्यादा शिक्षा विभाग के पास 38 हजार करोड़ राशि का हिसाब नहीं दिया है। वहीं पंचायती राज विभाग ने 31 हजार करोड़, नगर विकास एवं आवास विभाग ने 14 हजार करोड़ और ग्रामीण विकास विभाग ने खर्च किए गए 12 हजार करोड़ रुपये का हिसाब यानी यूसी नहीं सौपा है। इन चारों विभागों की राशि जोड़ दें तो 95 हजार करोड़ रुपये बनते हैं, जिनके खर्च का हिसाब अब तक सरकार को नहीं मिला है। इसके अलावा समाज कल्याण विभाग के पास 7.50 हजार करोड़, कृषि के पास 3.50 करोड़, बीसी-ईबीसी के पास 12 हजार करोड़ के अलावा अन्य विभागों के पास एक हजार करोड़ रुपये की यूसी बाकी है। विभागों के पास ये बकाया 2002-03 से 2021-22 तक खर्च की गई राशि के हैं। 2019 के बाद करीब 80 फीसदी राशि बकाया है, जिनका हिसाब मिलने में समस्या हो रही है। इसमें 2022-23 की यूसी जोड़ दें तो इसमें और वृद्धि हो जाएगी। 19-20 साल से ग्रांट में मिली रही राशि का हिसाब विभाग बार-बार कहने पर भी नहीं दे रहे हैं।

डीसी बिल के भी साढ़े सात हजार करोड़ बकाया  

कुछ विभागों के पास डीसी बिल (अंतिम विपत्र) से जुड़े भी साढ़े सात हजार करोड़ रुपये का हिसाब बाकी है।
इसमें सबसे ज्यादा बकाया आपदा प्रबंधन विभाग का एक हजार 350 करोड़ है। इसके अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज कल्याण विभाग समेत अन्य विभागों में डीसी बिल की राशि बकाया है। हालांकि एससी (अग्रिम निकासी)-डीसी बिल के माध्यम से बकाये राशि में पिछले कुछ महीने में तेजी से कमी आयी है। करीब तीन महीने पहले यह 10 हजार करोड़ थी। इसमें अभी कमी आयी है।

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