उपेंद्र कुशवाहा की अमित शाह से डील हुई है, तभी बदल गई है भाषा, खुद चले जाएंगे; RJD के भाई वीरेंद्र का हमला
उन्होंने कहा है कि यह उनके और देश के गृह मंत्री अमित शाह के बीच की डील है। इसी वजह से उपेंद्र कुशवाहा लगातार इस तरह की भाषा बोल रहे हैं। उपेंद्र कुशवाहा खुद जदयू छोड़कर जाने वाले हैं।
जदयू में नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा के बीच चल रहे घमासान में महागठबंधन में जेडीयू के सहयोगी राजद ने दखल देना शुरू कर दिया है। उपेंद्र कुशवहा को लेकर राजद के विधायक भाई वीरेंद्र ने बड़ा बयान दिया है। वह प्राक्क्लन समिति के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कहा है कि यह उनके और देश के गृह मंत्री अमित शाह के बीच की डील है। इसी वजह से उपेंद्र कुशवाहा लगातार इस तरह की भाषा बोल रहे हैं। उपेंद्र कुशवाहा खुद जदयू छोड़कर जाने वाले हैं।
लगातार लंबे समय से एक ही परिवार के सदस्यों के सरकार का प्रतिनिधित्व करने के सवाल पर भाई वीरेंद्र ने यह बयान दिया है। उन्होंने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा से भी यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि वे कहां-कहां रहें हैं, किनके संपर्क में रहे हैं और किनकी भाषा बोल रहे हैं। उनकी डील तय है और वे खुद चले जाएंगे। इससे पहले भाई वीरेंद्र बीते लखीसराय पहुंचे थे।
सरकार बदल गई, मिजाज बदलें अधिकारी
शुक्रवार को प्राकल्लन समिति के अध्यक्ष के रूप में भाई वीरेंद्र ने प्रशासनिक पदाधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने बैठक के बाद क्षेत्र में विकास कार्यों को जमीन पर उतारने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि अब एनडीए नहीं बल्कि महागठबंधन की सरकार है। सरकार बदली है तो पदाधिकारियों को अपना मिजाज भी बदलना होगा। सरकार की योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए ईमानदारी से काम करने की जरूरत है। उन्होंने विकास कार्यों की रिपोर्ट भी मांगी है। साथ ही पदाधिकारियों को कई आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए हैं।
भाजपा के खिलाफ भी बोला हमला
भाई वीरेंद्र ने बिहार में चल रही जातीय गणना को जनहित में बताया है। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से जब भी गरीब-जनता का काम होगा तो सामंतवादी विचारधारा रखने वाले लोगों को परेशानियां होंगी ही। वे दुष्प्रचार व 90-10 का आरोप लगाते रहेंगे। गरीबों के हित में सोचने वाली सरकार को लेकर सामंतवादी विचारधारा वाली पार्टी के बीच भय की स्थिति बन गई है। जातीय गणना का मुख्य उद्देश्य इससे पता चलेगा कि बिहार में किस जाति की कितनी आबादी निवास करती है। जातियों की भागीदारी के अनुरूप बजट में प्रावधान हो रहे हैं या नहीं, कहीं कोई विकास से वंचित न रह जाए, इन तमाम बिंदुओं के कारण यह गणना कराई जा रही है। इससे सभी जाति के लोगों को फायदा होने वाला है।