दुनिया की कोई ताकत राम मंदिर बनाने से नहीं रोक सकती: गिरिराज सिंह
केंद्रीय राज्यमंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि दुनिया की कोई ताकत राम मंदिर का निर्माण होने से नहीं रोक सकती है। उन्होंने आगे कहा कि आतंकियों के लिए आधी रात को कोर्ट खोल दिये जाते हैं लेकिन मंदिर का...
केंद्रीय राज्यमंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि दुनिया की कोई ताकत राम मंदिर का निर्माण होने से नहीं रोक सकती है। उन्होंने आगे कहा कि आतंकियों के लिए आधी रात को कोर्ट खोल दिये जाते हैं लेकिन मंदिर का फैसला नहीं आने से जनता में काफी गुस्सा है। सरकार और कोर्ट को मिलकर इस मसले को सुलझाना होगा। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए गिरिराज सिंह ने कहा कि मंदिर मुद्दे को लेकर किस मुंह से जनता के सामने कांग्रेस जाएगी।
गौरतलब है कि इससे पहले भी अयोध्या में राम मंदिर को लेकर देशभर में चल रही बहस के बीच गिरिराज सिंह ने बयान दिया था कि अब राम मंदिर मामले को लेकर हिंदुओं का सब्र टूट रहा है, मुझे भय की हंदुओं का सब्र टूटा तो क्या होगा। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर ही बनेगा। वहीं सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि, दिसंबर तक फैसला आ जाना चाहिए। अगर अब फैसला आने में देर हुआ तो कुछ करना होगा।
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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर पर सुनवाई को जनवरी तक टाल दिया है। अब जनवरी में सुुनवाई की तारीख तय की जाएगी। कोर्ट आज अयोध्या की राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि को तीन भागों में बांटने वाले 2010 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल एवं न्यायमूर्ति के एम जोसफ की पीठ इस मामले में दायर अपीलों पर सुनवाई की।
Ab Hinduon ka sabr tut raha hai. Mujhe bhay hai ki Hinduon ka sabr tuta toh kya hoga: Union Minister Giriraj Singh on #RamTemple matter pic.twitter.com/XqWsuIk8lJ
— ANI (@ANI) October 29, 2018
जानें, कितना पुराना है राम मंदिर विवाद :
अयोध्या विवाद आज का नहीं बल्कि यह करीब साढ़े चार सौ साल से भी ज्यादा पुराना मामला है। राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर दो समुदायों के बीच यह विवाद 1528 से ही चला आ रहा है। यहां पर कई बार इन दोनों पक्षों के बीच विवाद हुआ। इस विवाद ने सबसे ज्याादा उग्र रूप तब धारण किया जब 6 दिसंबर 1992 में हजारों की संख्या में कार सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दिया था। इस घटना के बाद सांप्रदायिक दंगे हुए। मस्जिद की तोड़-फोड़ की जांच के लिए एम.एस. लिब्रहान आयोग का गठन हुआ।
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