बिहार में बाघों का बढ़ रहा कुनबा; पटना जू में 2 साल में 6 से 9 हो गए टाइगर; VTR में 60
आज अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस है। यह दिवस बाघों के संरक्षण के लिए मनाया जाता है। बाघों के संरक्षण की बात की जाए तो पटना जू सबसे बड़ा उदाहरण है जहां दो सालों में बाघों की संख्या 6 से बढ़कर 9 हो गई है।
International Tiger Day: आज इंटरनेशनल बाघ दिवस है। इस मौके पर बिहार के लिए अच्छी खबर है। राज्य में बाघों की संख्या में काफी इजाफा हो रहा है। पटना जू में बाघों का कुनबा लगातार बढ़ रहा है। दो साल में संख्या नौ हो गई। दो राजगीर भेजे गए और सात पटना जू की शोभा बढ़ा रहे हैं। इसमें तीन नर और चार मादा हैं। वाल्मीकिनगर स्थित टाइगर रिजर्व में दो सालों में बाघों की संख्या दो गुनी होकर 60 पर पहुंच गई है।
पटना जू में सामान्य रंग के साथ सफेद बाघ दर्शकों के आकर्षण के केंद्र हैं। आज सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस है। यह दिवस बाघों के संरक्षण के लिए मनाया जाता है। बाघों के संरक्षण की बात की जाए तो पटना जू सबसे बड़ा उदाहरण है। यहां बाघों के प्रजनन के लिए बेहतर और अनुकूल स्थान है। जू निदेशक सत्यजीत कुमार के निर्देशानुसार रेंजर आनंद कुमार स्वयं वन्य-प्राणियों की देखभाल में तत्पर रहते हैं। 2022 में चार बाघ शावकों का जन्म हुआ। इनमें तीन शवक आज युवा अवस्था में हैं। ये जू की शान हैं। जल्द ही जू में बाघों का नया केज तैयार होगा।
पहली बार बाघ गीता का हुआ था जन्म
पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान में बाघों का इतिहास लगभग 5 दशक पुराना है। पटना जू में पहली बार नर बाघ को दिल्ली से लाया गया था। 1975 में लाए गए इस नर बाघ का नाम मोती था। इसके बाद 1980 में बाघिन फौजी और बुलबोरानी को असम से लाया गया। इसके बाद इस जू में बाघ संरक्षण और प्रजनन की शुरुआत हुई। तीन साल के बाद पटना जू में साल 1983 में शावक गीता (मादा) का जन्म हुआ। इसके बाद उसी साल शावक रैकी (मादा) और मोना (नर) का जन्म हुआ। इसके बाद लगातार कई सारे बाघों का जन्म होने लगा।
राजगीर बाघ और बाघिन भेजे गए
हाल ही में बाघ भीमा और बाघिन स्वर्णा को राजगीर जू सफारी भेजा गया। अब जू में बाघों की संख्या सात रह गई है। इसमें तीन नर और चार मादा है। जू प्रशासन के अनुसार बाघों के प्रजनन के लिए जू का पर्यावरण बेहतर है।
वीटीआर में बाघों की संख्या छह गुना बढ़ी
हरनाटाड़ (पश्चिम चंपारण)। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) में दो दशक में बाघों की संख्या छह गुना बढ़ी है। बेहतर मैनेजमेंट, रखरखाव और हरियाली के साथ शाकाहारी जानवरों के बढ़ने से यह संभव हो सका है। शावकों संग बाघों की संख्या 60 से अधिक पहुंच गई है। नर-मादा बाघों की संख्या 54 व शावकों की संख्या भी करीब 10 से 12 है। 2006-10 तक बाघों की संख्या 10 थी। 2014-18 में 32 और 2018-22 में बाघों की संख्या 54 पहुंच गई है।
विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस हर साल 29 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर बाघों की रक्षा करना और उनके प्राकृतिक आवासों की को संरक्षित करते हुए बचाना और विस्तारित करना। लोगों को इसके लिए जागरूक किया जाता है। बाघ की प्रजाति को विलु्प्त होने से बचाना हमारी जिम्मेदारी है।
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