ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News बिहारबाढ का कहर भी बहनों के पांव पर नहीं लगा सका ब्रेक, नाव से राखी बांधने पहुंची भाई के घर

बाढ का कहर भी बहनों के पांव पर नहीं लगा सका ब्रेक, नाव से राखी बांधने पहुंची भाई के घर

भाई-बहन के असीम पवित्र प्रेम और अटूट विश्वास का प्रतीक माने जाने वाले पर्व रक्षाबंधन में बहनों के पांव पर भाई के घर पहुंचने में बाढ़ भी ब्रेक नहीं लगा सका। नाव से बहनें राखी ले बैजुआ अपने भाई के घर...

The flood could not wreak havoc on the sisters feet the boat arrived at the brother house to tie the rakhi
1/ 2The flood could not wreak havoc on the sisters feet the boat arrived at the brother house to tie the rakhi
The flood could not wreak havoc on the sisters feet the boat arrived at the brother house to tie the rakhi
2/ 2The flood could not wreak havoc on the sisters feet the boat arrived at the brother house to tie the rakhi
बैरिया(पश्चिम चंपारण)। एक संवाददाता Mon, 03 Aug 2020 12:55 PM
ऐप पर पढ़ें

भाई-बहन के असीम पवित्र प्रेम और अटूट विश्वास का प्रतीक माने जाने वाले पर्व रक्षाबंधन में बहनों के पांव पर भाई के घर पहुंचने में बाढ़ भी ब्रेक नहीं लगा सका। नाव से बहनें राखी ले बैजुआ अपने भाई के घर पहुंच गईं। यह पवित्र प्रेम और असीम विश्वास ही है कि कोसों दूर बहन अपने ससुराल से घाट सुबह ही पहुंच गई थीं। फिर नाव पर बैठ बाढ़ में डूबे अपने भाई के पास पहुंच गई। नौतन से पहुंची बहन रीना देवी ने बताया कि भाई इस समय गंडक के कहर के कारण संकट में हैं। बहन का भी फर्ज है कि भाई के संकट में साथ दे।

वहीं सीमा कहतीं हैं कि हर साल भाई ही मेरे ससुराल राखी बंधवाने आ जाते थे। परंतु आज उनका सबकुछ नदी में डूबा है।आज तक तो  भाई ही केवल फर्ज निभाते आए हैं । इस विषम परिस्थितियों में बहनों का भी फर्ज निभाने का दायित्व बनता है। आज करीबन दर्जनभर बहनें कोईरपट्टी और सिगही घाट से नाव पर बैठ अपने भाई के घर आ पहुंची थी । यह आना महज एक दिनचर्या ही नहीं है। बल्कि इस पवित्र रिश्ते की डोर का भी परिचायक है। बहनों के घर पहुंचते ही बाढ़ का दर्द मानो भाइयों के सामने से ऐसे गायब हो गया। जैसे रोशनी की किरणें फैलते ही अंधेरा गायब हो जाता है ।

आज बाढ़ का दंश झेल रहे बैजुआ के इन बाढ़ पीड़ितों के घरों में नदी के पानी के साथ साथ भाई-बहन के असीम पवित्र प्रेम की भी हिलोरे उमड़ रहीं थीं। राखी हाथ में लिए पहुंचीं बहनों को देखते ही मनोज की आंखें खुशी से डबडबा गईं। कल तक जिन बेजान आंखों में दर्द छलक रहा था । आज इस रक्षाबंधन के पवित्र पर्व में बहनों की उपस्थिति से भाइयों के घरों में खुशियों ने जगह बना ली थी। इस बाढ़ के समय में भी बहनों का भाइयों के घर आना एक नवीन चित्र को रेखांकित कर रहा था। हालांकि अपने दर्द को दरकिनार करते हुए भाइयों ने भी इस रक्षाबंधन की पवित्रता को निभाते हुए बहनों की रक्षा के लिए कटिबद्ध दिख रहे थे ।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें