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विधानसभा पर मारपीट मामले को लेकर जारी गतिरोध खत्म, विपक्ष ने बहिष्कार का फैसला वापस लिया

बजट सत्र के दौरान 23 मार्च को विधानसभा में विधायकों से मारपीट प्रकरण पर गतिरोध बुधवार को खत्म हो गया। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में विधायकों संग मारपीट मामले में चर्चा कराए...

विधानसभा पर मारपीट मामले को लेकर जारी गतिरोध खत्म, विपक्ष ने बहिष्कार का फैसला वापस लिया
पटना। हिन्दुस्तान ब्यूरोWed, 28 Jul 2021 09:15 PM
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बजट सत्र के दौरान 23 मार्च को विधानसभा में विधायकों से मारपीट प्रकरण पर गतिरोध बुधवार को खत्म हो गया। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में विधायकों संग मारपीट मामले में चर्चा कराए जाने का भरोसा दिलाया गया। इस पर विपक्षी सदस्यों ने सदन के बहिष्कार का फैसला वापस ले लिया। हालांकि गतिरोध खत्म न होने की स्थिति में वे बहिष्कार की तैयारी के साथ ही सुबह विधानमंडल परिसर में पहुंचे थे।

विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव व अन्य विपक्षी नेताओं को सदन की कार्रवाई शुरू होने के पूर्व अपने कक्ष में बुलाकर बात की। विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही में विपक्ष से शामिल होने का अनुरोध किया और भोजनावकाश के बाद एक बजे से कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में पूरे मामले पर विचार करने आश्वासन दिया। इसके बाद विपक्ष के तेवर नरम पड़ गए। बैठक में शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, राजद के मुख्य सचेतक ललित यादव, भाकपा माले के महबूब आलम सहित अन्य नेता भी शामिल थे।

इसके बाद पुन: एक बजे से विधानसभा की कार्यमंत्रणा समिति की बैठक हुई, जिसमें सभा अध्यक्ष के समक्ष सभी ने सदन की कार्यवाही में शामिल होने को लेकर सहमति जतायी। नेता प्रतिपक्ष ने बैठक के बाद कहा कि सदन में ही सभा अध्यक्ष द्वारा इस पर आगे की बात रखी जाएगी। दूसरी पाली में सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बैठक की बात सदन को बताने का अनुरोध अध्यक्ष से किया तो उन्होंने कहा कि विधायी कार्य पूरा होने के बाद 23 मार्च की घटना पर चर्चा की जाएगी।

विधायकों की जगह हम पर कार्रवाई हो: तेजस्वी

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार लोकतंत्र की जननी है मगर 23 मार्च वो काला दिन था, जब यहां सदन में लोकतंत्र की हत्या की गई। कहा कि बिहार में अफसरशाही चरम पर है। विधायक छोड़िए, मंत्रियों की बात नहीं सुनी जा रही। मंत्री मदन सहनी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने यह बात कही। इस पर आपत्ति करते हुए उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने अध्यक्ष से कहा कि कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में तय बिंदु पर ही चर्चा होनी चाहिए। नेता प्रतिपक्ष विषय से इतर जा रहे हैं। तेजस्वी यादव ने कहा कि हम यह मानने को तैयार नहीं कि आसन ऐसी गलती करे कि अपने ही सदस्यों को पिटवाए।

कहा कि हम सरकार नहीं पुलिस के काले कानून का विरोध कर रहे थे। गतिरोध दूर करने को विपक्ष से बात की जा सकती थी मगर ऐसा नहीं हुआ। कहा कि ऐसी कौन सी मजबूरी थी कि विधायकों को घसीटते हुए बाहर ले जाकर बूट से पीटा गया। गालियां दी गईं। इसके लिए दोषी अधिकारी बख्शे नहीं जाने चाहिए। कहा कि विधायकों पर यदि कार्रवाई करनी है तो जो सजा देनी हो, हमको दीजिए। विधायकों पर कार्रवाई हुई तो किसी बिल पर कोई विरोध की हिम्मत ही नहीं करेगा।

मामला अध्यक्ष के एकाधिकार का, सरकार कहीं है ही नहीं: विजय

संसदीय कार्य और शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि सदन चलाना सिर्फ सरकार ही नहीं, विपक्ष की भी जिम्मेदारी है। विपक्ष को इस बात को पचाने की आदत डालनी होगी कि जनता ने उनसे ज्यादा बहुमत एनडीए को दिया है। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष ही सदन के सर्वेसर्वा हैं। यह मामला विशेष रूप से अध्यक्ष के एकाधिकार का है, इसमें सरकार तो कहीं है ही नहीं। कहा कि आसन सहित पूरे सदन के लिए यह विचारणीय प्रश्न है कि इस मामले को अध्यक्ष ने आचार समिति को भेजा है। उसकी रिपोर्ट आनी है। इस पूरे मसले पर सरकार की कोई भूमिका है ही नहीं। कहा कि सरकार आसन और सदन के सभी सदस्यों के सम्मान के प्रति संकल्पित है। सदस्यों की इज्जत नहीं बचेगी तो आसन और सरकार की इज्जत क्या रहेगी।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र सदन के बाहर से ज्यादा अंदर हुई घटनाओं से शर्मसार हुआ। उन्होंने कहा कि सदन नियमावली से चलता है। नेता प्रतिपक्ष का यह कहना कि किसी की भी गलती की सजा हमको दीजिए, ऐसी कोई व्यवस्था ही नहीं है तो ऐसा कहने का क्या औचित्य है। इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी, पूर्व मंत्री नंदकिशोर यादव, कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा, माले के महबूब आलम, एआईएमआईएम के अख्तरुल ईमान, वीआईपी की स्वर्णा सिंह, सीपीएम के अजय कुमार, सीपीआई के रामरतन सिंह ने भी अपनी राय रखी।

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