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कोसी और सीमांचल के धान से तैयार चावल का स्वाद अब विदेशों में भी लोग चखेंगे

बिहार में कोसी और सीमांचल के धान से तैयार चावल की खुशबू विदेश में बिखरेगी। विदेशों में रहने वाले लोगों को कोसी-सीमांचल इलाके की खेतों में उपजाए गए धान से तैयार चावल खाने को मिलेंगे। कोसी और सीमांचल...

कोसी और सीमांचल के धान से तैयार चावल का स्वाद अब विदेशों में भी लोग चखेंगे
सहरसा, रंजीत।Thu, 26 Nov 2020 01:45 PM
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बिहार में कोसी और सीमांचल के धान से तैयार चावल की खुशबू विदेश में बिखरेगी। विदेशों में रहने वाले लोगों को कोसी-सीमांचल इलाके की खेतों में उपजाए गए धान से तैयार चावल खाने को मिलेंगे। कोसी और सीमांचल का धान विभिन्न रेल रैक प्वाइंटों के जरिए आंध्रप्रदेश और वहां किया गया तैयार चावल विदेश पहुंचेगा। 

कोसी और सीमांचल क्षेत्र के विभिन्न रेल रैक प्वाइंटों से धान भरे बोरे को मालगाड़ी के वैगन में लादकर आंध्रप्रदेश ले जाया जाता है। वहां पर मिलिंग व पैकेटिंग कर चावल तैयार करते विदेशों को भेजा जाता है। सूत्रों की माने तो अमरीका, इंग्लैंड सहित अन्य जगहों पर इंडियन शॉप(दुकान) होती है जहां भारतीय सामग्रियां मिलती है। उन दुकानों में पैकेटबंद चावलों की बिक्री की जाती है। समस्तीपुर मंडल के डीसीएम प्रसन्न कुमार ने कहा कि रेल रैक प्वाइंटों से मालगाड़ी में लोड कर धान आंध्रप्रदेश ले जाया जाता है। वहां चावल तैयार कर भारत के अलावा विदेशों को भेजा जाता है।

उन्होंने कहा कि समस्तीपुर मंडल के सोनवर्षा कचहरी, सरसी और चकिया रैक प्वाइंट से अब तक साढ़े चार रैक धान मालगाड़ी से आंध्रप्रदेश भेजा जा चुका है। छह और आठ नवंबर को आधा-आधा रैक यानी 21-21 वैगन में धान आंध्रप्रदेश के समालकोट भेजा गया। 19 और 24 नवंबर को एक-एक रैक यानी 42-42 वैगन धान आंध्रप्रदेश के समालकोट भेजा गया। पूर्णिया जिले के सरसी रैक प्वाइंट से एक रैक धान आंध्रप्रदेश के विक्काबोली भेजा गया। चकिया से आधा रैक मक्का आंध्रप्रदेश के समालकोट भेजा गया। 

चकिया और रामगढ़वा से भेजा गया चावल
समस्तीपुर मंडल के चकिया और रामगढ़वा से रेल के जरिए चावल बाहर भेजा गया। चकिया से आधा रैक आंध्रप्रदेश के समालकोट और रामगढ़वा से आधा रैक गुवाहाटी के अजरा भेजा गया।

रेलवे ने कमाए दो करोड़ 66 लाख 75 हजार
धान और चावल की ढुलाई कर समस्तीपुर मंडल ने दो करोड़ 66 लाख 75 हजार रुपए राजस्व कमाए हैं। डीसीएम ने कहा कि सबसे अधिक एक करोड़ 50 लाख रुपए से अधिक राजस्व सोनवर्षा कचहरी रैक प्वाइंट से धान लोडिंग से हुई है। सरसी से 50 लाख, चकिया से 26 लाख व 25 लाख और रामगढ़वा से हुई लोडिंग से 15 लाख 75 हजार राजस्व प्राप्त हुए हैं। बता दें कि समस्तीपुर मंडल के डीआरएम अशोक माहेश्वरी, सीनियर डीसीएम सरस्वती चन्द्र, सीनियर डीओएम रूपेश कुमार और डीसीएम प्रसन्न कुमार की बिजनेस डेवलपमेंट यूनिट के तहत लगातार किए गए प्रयास से पहली बार धान और चावल का लदान संभव हो पाया है। 

इस साल कम धान उत्पादन की है संभावना
बारिश का पानी खेत में फैलने के कारण इस साल कम धान उत्पादन होने की कृषि विभाग को संभावना है। जिला कृषि परामर्शी डॉ. मनोज कुमार सिंह ने कहा कि इस साल 70 हजार हेक्टेयर में धान की रोपाई जिले में हुई। जिसमें 49 हजार हेक्टेयर में धान की क्षति का आंकलन बारिश का पानी जमा होने से किया गया। लेकिन पानी निकलने के बाद 52 हजार 375 हेक्टेयर में धान होने का अनुमान है। करीब एक लाख नौ हजार 301 मीट्रिक टन धान के उत्पादन की संभावना है। पिछले साल जिले में एक लाख 43 हजार मीट्रिक टन धान उत्पादन हुआ था। 

किसानों को अच्छी कीमत मिलने की है उम्मीद
रेल के जरिए धान बाहर जाने से किसानों को अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद है। हालांकि अभी किसानों को व्यापारी से 1250, 1270 से 1300 रुपए तक ही मिल रहे हैं। जबकि व्यापारी को बाहर धान भेजने से ठीकठाक मुनाफे हो रहे हैं। किसान हरिपुर गांव निवासी सदानंद सिंह, दामोदर सिंह, बच्चन सिंह और भरौली के मनोहर सिंह का कहना है कि  व्यापारी के हाथों तुरंत धान की कीमत नगद में मिल जाते हैं। पैक्स और व्यापार मंडल से हर साल धान खरीद की प्रक्रिया में काफी समय लगता। भाग दौड़ के चक्कर से यही अच्छा है। अमरपुर के किसान मणिभूषण यादव और सुरेश यादव ने कहा कि रेल से बाहर धान जाने की व्यवस्था से भविष्य में बिक्री कीमत अधिक मिलने की संभावना है।

फोटो : मंगलवार को सोनवर्षा कचहरी रैक प्वाइंट पर मालगाड़ी पर धान के बोरे की हो रही ढुलाई।
 

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