Swami Avimukteshwaranand will go to Gyanvapi on 4th to worship Shivling announced on the orders of Shankaracharya Swami Swaroopanand 'शिवलिंग' पूजने 4 को ज्ञानवापी जाएंगे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के आदेश पर किया ऐलान, Bihar Hindi News - Hindustan
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'शिवलिंग' पूजने 4 को ज्ञानवापी जाएंगे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के आदेश पर किया ऐलान

वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के दौरान मिले कथित शिवलिंग की पूजा करने का स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने ऐलान किया है। उनका कहना है कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद ने इसका आदेश दिया है।

Yogesh Yadav हिन्दुस्तान, वाराणसीThu, 2 June 2022 04:57 PM
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'शिवलिंग' पूजने 4 को ज्ञानवापी जाएंगे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के आदेश पर किया ऐलान

ज्योतिष एवं द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद ने ज्ञानवापी में मिले कथित शिवलिंग की पूजा करने का ऐलान किया है। अविमुक्तेश्वरानंद के अनुसार शंकराचार्य ने शिवलिंग की अविलंब पूजा सेवा आरंभ करने का आदेश दिया है। शंकराचार्य के आदेश पर 4 जून को ज्ञानवापी में शिवलिंग की पूजा करने जाएंगे। केदार घाट स्थित श्रीविद्या मठ में पत्रकारों से अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती महाराज ने मुझे आदेश दिया है कि जाओ और आदिविश्वेश्वर भगवान की पूजा शुरू करो।

कहा कि हमारे शास्त्रों में स्थाप्यं समाप्यं शनि-भौमवारे कहकर शनिवार को शुभ दिन कहा गया है। प्रकट हुए स्वयम्भू आदि विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान के पूजन के लिए शनिवार का दिन अत्यन्त उत्तम है। अतः चार जून को शुभ मुहूर्त में पूजा पद्धति को जानने वाले विद्वानों एवं पूजा सामग्री के साथ हम भगवान आदि विश्वेश्वर के पूजन के लिए जाएंगे।

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि प्रभु के प्रकट होते ही उनकी स्तुति पूजा, राग-भोग होना चाहिए था। परम्परा को जानने वाले सनातनियों ने तत्काल स्तुति पूजा के लिए न्यायालय से अनुमति मांगी। इनमें शृंगार गौरी और आदि विश्वेश्वर संबंधित मुक़दमों के अनेक पक्षकारों सहित शंकराचार्य की शिष्याएं साध्वी पूर्णाम्बा और शारदाम्बा और काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत परिवार के सदस्य भी थे। दुर्भाग्यवश इस मामले में आवेदनों की सुनवाई ही हो रही है। अब 4 जुलाई की तारीख लगा दी गई है। शास्त्रों के अनुसार पूजा और रागभोग एक दिन भी रोका नहीं जाना चाहिए।

भारतीय संविधान के अनुसार भी देवता 3 वर्ष के बालक
शास्त्रों में बताया गया है कि देवता को एक दिन भी बिना पूजा के नहीं रहने देना चाहिए। तदनुसार भारत के संविधान में भी यह स्पष्ट रूप से उल्लिखित है कि कोई भी प्राण प्रतिष्ठित देवता 3 वर्ष के बालक के समकक्ष होते हैं। जिस प्रकार 3 वर्ष के बालक को बिना स्नान भोजन आदि के अकेले नहीं छोड़ा जा सकता, उसी प्रकार देवता को भी राग भोग आदि उपचार पाने का संवैधानिक अधिकार है। इसी कारण किसी भी मंदिर की सम्पत्ति देवता के नाम पर होती है लेकिन उनकी सेवा के लिए सेवईत पुजारी आदि अनिवार्य रूप से नियुक्त होते हैं। भगवान आदि विश्वेश्वर अब प्रकट हुए हैं। अतः उन्हें राग भोग से वंचित करना संविधान के भी विपरीत है।

शंकराचार्य का आदेश धर्म क्षेत्र में सर्वोपरि
भगवत्पाद आद्य शंकराचार्य द्वारा रचित मठाम्नाय महानुशासनम् के अनुसार उत्तर भारत का क्षेत्र ज्योतिष्पीठ कहा गया है। इस समय ज्योतिष्पीठ पर हमारे पूज्य गुरुदेव स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती महाराज विराजमान हैं। ज्ञानवापी काशी में होने से इस क्षेत्र का धार्मिक उत्तरदायित्व पूज्यपाद ज्योतिष्पीठाधीश्वर के अन्तर्गत आता है। धर्म के क्षेत्र में शंकराचार्य का ही निर्णय सर्वोपरि होता है। अतः उनके आदेश का पालन हम समस्त सनातनियों को करना चाहिए।

केंद्र सरकार 1991 का काला कानून को समाप्त करे
उन्होंने कहा कि इस समय केंद्र की सरकार बहुमत में है। उनको चाहिए कि वे उपासना स्थल अधिनियम 1991 को तत्काल समाप्त करें ताकि हिंदू पुनः अपने स्थान को ससम्मान प्राप्त कर सकें और न्याय हो।

फव्वारा बताकर मुसलमान भी कर रहे हिंदुओं का समर्थन
शास्त्रों में भगवान् शिव के अतिरिक्त अन्य ऐसे कोई देवता नही है जिनके शिर से जलधारा निकलती हो। जो मनुष्य सनातन संस्कृति को न जानते, भगवान शिव के स्वरूप एवं उनके माहात्म्य को नहीं जानते वे किसी के सिर से पानी निकलते हुए देखकर उन्हें फव्वारा ही तो कहेंगे। वे सभी अबोध हमारे भगवान शिव को फव्वारा नाम से पुकारकर स्वयं यह सिद्ध कर रहे हैं कि वे ही भगवान शिव हैं। हमने इण्टरनेट पर मुग़लों की बनवाई इमारतों के अनेक फ़व्वारों को देखा पर एक भी शिवलिंग की डिज़ाइन का नहीं मिला। तब बड़ा प्रश्न उठता है कि आख़िर क्या कारण हो सकता है काशी में शिवलिंग के आकार का फ़व्वारा बनाने के पीछे? मानना होगा कि मुसलमानों के ज़ेहन में भी शिवलिंग के आकार का फ़व्वारा बनाने की बात नहीं आ सकती।