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सर्वेक्षण रिपोर्ट में खुलासा : बिहार में 10 प्रतिशत अमीरों के पास 51% संपत्ति

बिहार के 10 फीसदी शहरी नगरों की 51 फीसदी संपत्ति के स्वामी हैं। वहीं, राज्य के शहरों में आर्थिक हालात के सबसे निचले पायदान पर मौजूद 10 फीसदी लोगों की संपदा केवल उनकी फटेहाली है। उनके पास भौतिक या...

सर्वेक्षण रिपोर्ट में खुलासा : बिहार में 10 प्रतिशत अमीरों के पास 51% संपत्ति
मुकेश बालयोगी, पटनाSat, 23 Oct 2021 05:32 AM

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बिहार के 10 फीसदी शहरी नगरों की 51 फीसदी संपत्ति के स्वामी हैं। वहीं, राज्य के शहरों में आर्थिक हालात के सबसे निचले पायदान पर मौजूद 10 फीसदी लोगों की संपदा केवल उनकी फटेहाली है। उनके पास भौतिक या वित्तीय संपत्ति में कुछ भी नहीं है। अमीरी और गरीबी के इस बड़े अंतराल का खुलासा हाल ही में आए ऋण एवं निवेश सर्वेक्षण रिपोर्ट से हुआ है। भारत सरकार के केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने यह रिपोर्ट वर्ष 2019 के जनवरी से दिसंबर तक के सर्वेक्षण के आधार पर तैयार की है।

बिहार के शहरों में ही नहीं गांवों में भी आर्थिक रूप से समर्थों व असमर्थों के बीच काफी गहरी खाई है। यहां भी 10 संपन्न लोग ही 43संपत्ति के मालिक हैं। नीचे के 10 फीसदी लोग गांव की केवल 1 संपदा के भरोसे हैं। एक पायदान ऊपर के 10 गरीब भी कोई अच्छी हालत में नहीं हैं। इनके गुजर-बसर के लिए भी केवल दो फीसदी संपत्ति का सहारा है। सच मायने में अगर कहा जाए तो राज्य में गरीबों की बड़ी आबादी दो जून की रोटी के लिए संपत्ति की जगह केवल हाड़तोड़ मेहनत के भरोसे है। कई बार श्रम से रोटी और दवा की जुगाड़ में बाधा पड़ने पर अनौपचारिक स्रोतों (महाजन) से कर्ज का ही केवल आसरा होता है।

ऋण एवं निवेश सर्वेक्षण की रिपोर्ट आर्थिक असमानता की खाई के बारे में जो भी तथ्य सामने ला रहा हो, परंतु इस खाई को पाटने में बिहार सरकार की कोशिशें रंग ला रही है। आठ साल में प्रदेश के लोगों की प्रति व्यक्ति आय दो गुना से अधिक हो गई है। 2011-12 में राज्य की प्रति व्यक्ति आय चालू मूल्य पर जहां केवल 23,525 रुपए थी। 2019-20 में यह बढ़कर 50, 735 हो चुकी है। इस दिशा में काफी कुछ करने की जरूरत है।

गरीबों का शहरों में जीना ज्यादा मुश्किल
प्रदेश के शहर गरीबों को सहारा देने में अभी पूरी तरह से सक्षम नहीं हो पाए हैं। गांव के गरीबों से भी शहर के गरीबों की हालत खराब है। आर्थिक स्थिति में सबसे नीचे के 10 फीसदी लोगों के पास शहरों में प्रति व्यक्ति संपत्ति केवल 4,692 रुपए है। जबकि गांवों में इसी पायदान के 10 फीसदी लोगों के पास प्रति व्यक्ति संपत्ति 16,293 रुपए है। हालांकि सबसे ऊपर के 10 फीसदी अमीरों की प्रति व्यक्ति संपत्ति गांवों की तुलना में शहरों में ज्यादा है। शहरों के सबसे अमीर 10 लोगों के पास प्रति व्यक्ति संपत्ति 27 लाख 68 हजार 450 रुपए है। जबकि गांवों में सबसे धनवान 10 फीसदी लोगों की प्रति व्यक्ति संपत्ति नौ लाख 26 हजार है।

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