सुप्रीम कोर्ट के फैसले के वो तीन टेस्ट जिसमें हाईकोर्ट ने बिहार नगर निकाय ओबीसी आरक्षण को फेल कर दिया
बिहार नगरपालिका अधिनियम, 2007 के तहत नगर निकायों के चुनाव नगर निगम, नगर परिषद व नगर पंचायतों में कराए जाने है। चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट नियम से ही OBC आरक्षण को तय करने को कहा है।
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पटना हाईकोर्ट ने नगर निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के लिए सीटों के आरक्षण को अवैध बताया। मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने राज्य चुनाव आयोग को ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को फिर से अधिसूचित करके, उन्हें सामान्य श्रेणी की सीटों में शामिल करके चुनाव कराने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) के लिए 20 प्रतिशत आरक्षित सीटों को जनरल कर नए सिरे से नोटिफिकेशन जारी करें। हाईकोर्ट की बेंच ने कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पहले जो आदेश (ट्रिपल टेस्ट) दिया था, उसका बिहार में पालन नहीं किया गया।
वहीं आयोग के सूत्रों के अनुसार राज्य में बिहार नगरपालिका अधिनियम, 2007 के तहत नगर निकायों के चुनाव नगर निगम, नगर परिषद व नगर पंचायतों में कराए जाने है। इस चुनाव को लेकर सुप्रीमा कोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट नियम से ही ओबीसी आरक्षण को तय करने को कहा है। यह आदेश सिर्फ मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि ओबीसी आरक्षण के मामले में दूसरे सभी राज्यों को भी इस नियम का पालन करने को कहा है। ऐसे में राज्य सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के आलोक में ही राज्य में नगर निकायों के चुनाव कराए जाएंगे।
बिहार में नगर निकाय चुनाव पर रोक? जानिए पटना हाईकोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा
जानकारी के अनुसार ट्रिपल टेस्ट के तहत
1. किसी राज्य में आरक्षण के लिए स्थानीय निकाय के रुप में पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की जांच के लिए आयोग की स्थापना की जानी चाहिए।
2. इसके बाद आयोग की सिफारिशों के मुताबिक आरक्षण का अनुपात तय करना जरूरी है।
3. साथ ही किसी भी मामले में अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति/ अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में कुल आरक्षित सीटों का प्रतिशत 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए।