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उत्तर बिहार में 50 फीसद से कम दूध की आपूर्ति, संकट में मवेशी पालक और कंपनियां

उत्तर बिहार में दूध की आपूर्ति पूरी तरह घट गई है। खपत के सापेक्ष दूध की आपूर्ति 50 फीसद भी नहीं है। महज 30-35 फीसद आपूर्ति हो रही है। इस कारण सुधा डेयरी जैसी सहकारी कंपनियों ने दूध के सबसे उत्तम...

उत्तर बिहार में 50 फीसद से कम दूध की आपूर्ति, संकट में मवेशी पालक और कंपनियां
मुजफ्फरपुर। गवेंद्र मिश्राFri, 04 Sep 2020 11:30 AM
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उत्तर बिहार में दूध की आपूर्ति पूरी तरह घट गई है। खपत के सापेक्ष दूध की आपूर्ति 50 फीसद भी नहीं है। महज 30-35 फीसद आपूर्ति हो रही है। इस कारण सुधा डेयरी जैसी सहकारी कंपनियों ने दूध के सबसे उत्तम उत्पाद फुल क्रीम दूध की सप्लाई फिलहाल रोक दी है।
तिमुल दुग्ध सहकारी संघ लिमिटेड और मिथिला दुग्ध सहकारी संघ लिमिटेड से उत्तर बिहार के जिलों में दूध की सप्लाई की जाती है। दोनों डेयरी के आंकड़ों के अनुसार, हर दिन उत्तर बिहार में औसतन 6.20 लाख लीटर दूध की डिमांड है। लेकिन दुग्ध सहकारी समितियों से दोनों डेयरी को इस समय महज दो लाख लीटर दूध भी आपूर्ति नहीं हो पा रही है। खपत और आपूर्ति के असंतुलन के कारण तिमुल प्रबंधन सिर्फ सादा दूध (टोन्ड) व गाय का दूध सप्लाई कर रहा है। वहीं, मिथिला डेयरी का दावा है कि समस्या है, लेकिन वह फिलहाल सभी दूध की सप्लाई दे रहा है।
गुरुवार को ‘हिन्दुस्तान’ की टीम ने उत्तर बिहार की सहकारी समितियों से संपर्क कर दूध उत्पादन में कमी होने की पड़ताल की। समितियों ने बताया कि बाढ़ के कारण हरा चारा उत्तर बिहार के इलाकों में बर्बाद हो गया है। मवेशी हरा चारा पर ही अधिक दूध देते हैं। वहीं, किसानों ने बताया कि लॉकडाउन के बाद बाढ़ से उपजे हालात के कारण मवेशियों को चारा खरीदकर खिलाना मुश्किल हो रहा है। इस कारण मवेशियों का दूध घटकर आधा हो गया है।  

किसानों को दूध का नहीं मिल रहा मूल्य
मवेशीपालकों की आर्थिक स्थिति बदहाल हो गई है। ऊपर से मवेशियों से होने वाला दूध उत्पादन आधा हो गया है। किसान चाहते हैं कि दूध का मूल्य बढ़ाया जाए, लेकिन डेयरी प्रबंधन तैयार नहीं है। किसानों के अनुसार, उनसे गाय का दूध 20-22 रूपये लीटर समिति लेती है। इस दर को नहीं बढ़ाने पर किसान दूध को दूसरे स्थानों पर बेचने लगे हैं।

खपत 1.60 लाख, आपूर्ति 30 हजार लीटर
मिथिला डेयरी के दरभंगा के सहायक प्रबंधक आशुतोष कुमार के अनुसार, बीते मंगलवार को दरभंगा व मधुबनी में दूध की डिमांड 1.60 लाख लीटर थी, लेकिन अभी उन्हें समितियों से दूध की आपूर्ति करीब 30 हजार लीटर हो रही है। डिमांड को मुख्यालय समस्तीपुर के प्लांट से पूरा किया जा रहा है। सहायक प्रबंधक बताते हैं कि पिछले साल इस समय 55 हजाज लीटर दूध की आपूर्ति होती थी, जो इस समय कम है। उन्हेांने बताया कि बाढ़ के कारण मवेशियों को चारा नहीं मिल रहा है। इससे दूध उत्पादन घटा है।

10 सितंबर से स्थिति सुधरने के आसार
तिमुल डेयरी के प्रबंध निदेशक एचएन सिंह ने बताया कि बाढ़ के बाद से अचानक दूध की आपूर्ति घट गई है। इस कारण सप्लाई में फिलहाल समस्या आ रही है। उन्होंने बताया कि आपूर्ति बरकरार रखने के लिए तिमुल ने फुल क्रीम दूध की सप्लाई रोक दी है। सादा और गाय का दूध बाजार में सप्लाई की जा रही है। उन्होंने बताया कि अभी 1.70 लाख लीटर दूध की डिमांड है, लेकिन आपूर्ति 30-50 हजार लीटर तक हो रही है। कभी-कभी एक लाख लीटर तक हो रही है। उन्होंने बताया कि मवेशियों में दूध घटा है। साथ ही त्योहार होने के कारण ग्रामीण इलाकों से दूध की सप्लाई नहीं हो रही है। 10 सितंबर से स्थिति सुधरने की संभावना है।

क्या कहते हैं दुग्ध उत्पादन संघ
हमारी समिति से हर दिन 1800 लीटर दूध की सप्लाई डेयरी को होती थी, जो अभी घटकर 1000 लीटर हो गई है। बाढ़ के बाद मवेशियों को चारा नहीं मिलने से दूध का उत्पादन घटा है।
-जीतेंद्र प्रसाद, सचिव, करूआ दुग्ध उत्पादन सहयोग समिति, समस्तीपुर

दूध का उत्पादन आधा हो गया है। साथ ही किसानों को दूध का उचित मूल्य नहीं दिया जा रहा है, जिस कारण समिति तक किसान दूध नहीं पहुंचा रहे हैं। पशुपालन को जो भी थोड़ा बहुत दूध होता है, वह उचित कीमत पर गांव में ही बेच लेते हैं।
-मालती देवी, अध्यक्ष, झिटकहिया जीविका सहयोग समिति, मीनापुर, मुजफ्फरपुर  

 

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