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एक्सक्लूसिव: सभी बीएड कॉलेजों में छात्रों की बायोमीट्रिक हाजिरी अनिवार्य

बीएड कॉलेजों में बिना क्लास किये अब छात्रों को डिग्री नहीं मिल पाएगी। कारण बीएड कॉलेजों में बायोमीट्रिक उपिस्थिति अनिवार्य कर दी गई है। ऐसे में शिक्षकों का भी गैरहाजिर रहना अब मुश्किल...

एक्सक्लूसिव: सभी बीएड कॉलेजों में छात्रों की बायोमीट्रिक हाजिरी अनिवार्य
पटना। अभिषेक कुमार Sat, 13 Jul 2019 09:30 AM
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बीएड कॉलेजों में बिना क्लास किये अब छात्रों को डिग्री नहीं मिल पाएगी। कारण बीएड कॉलेजों में बायोमीट्रिक उपिस्थिति अनिवार्य कर दी गई है। ऐसे में शिक्षकों का भी गैरहाजिर रहना अब मुश्किल होगा। 

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने बीएड कॉलेजों को स्पष्ट निर्देश भेजा है कि छात्रों के साथ शिक्षकों को भी बायोमीट्रिक उपस्थिति बनानी है। इसकी रिपोर्ट एनसीटीई की वेबसाइट पर प्रत्येक सप्ताह अपलोड करनी है। ऐसा नहीं करने वाले बीएड कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी जाएगी। एनसीटीई द्वारा भेजे गये निर्देश में स्पष्ट कहा गया है कि पत्र प्राप्त होते ही एक माह के अंदर सभी बीएड कॉलेजों में बायोमीट्रिक सुविधा बहाल होनी चाहिए। इसके अनुसार ही उपस्थिति दर्ज होगी। इस पत्र के बाद देश के हजारों बीएड कॉलेजों में हड़कंप मच गया है। 

एनसीटीई के सदस्य सचिव संजय अवस्थी ने देश के केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के प्रधान सचिव, सभी राज्य के एससीईआरटी के निदेशक, देश की सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी सहित संबंधित विभागों को पत्र के माध्यम से सूचना भेज दी है। दरअसल, एनसीटीई को सूचना मिली थी कि ऐसे ढेर सारे बीएड कॉलेज खुल गये हैं, जहां छात्र सिर्फ दाखिला लेते हैं और डिग्री प्राप्त करते हैं पर क्लास करने जाते ही नहीं है। इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए नया फैसला लिया गया है। 

सिर्फ परीक्षा देने का है ट्रेंड
अब तक क्लास किये बिना छात्र बीएड की डिग्री प्राप्त कर लेते थे पर अब ऐसा संभव नहीं होगा। बिहार में बीएड कॉलेजों की कुल संख्या 336 है। इनमें प्राइवेट बीएड कॉलेजों की संख्या अधिक है। इन कॉलेजों में परीक्षार्थी सिर्फ दाखिला और परीक्षा के समय में ही बीएड कॉलेजों का दर्शन करते हैं। 

क्लास नहीं करने की भी देते हैं फीस
इसका सबसे बड़ा कारण है कि ऐसी जगहों पर बीएड कॉलेज खोल दिया गया है, जहां पहुंचना छात्रों के लिए भी आसान नहीं है। एनसीटीई ने भी गलती करते हुए ऐसे बीएड कॉलेजों को मान्यता दे दी। छात्र भी क्लास नहीं करने की फीस देते हैं। वहीं सरकारी कॉलेजों की स्थिति उतनी अच्छी नहीं है। यहां शिक्षक नियमित रूप से नहीं आते हैं। 

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