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बिहार के बीज विक्रेताओं पर सख्ती, अब लाइसेंस वाली प्रजाति के बीज ही बेच सकेंगे डीलर

बिहार के बीज विक्रेताओं पर सरकार ने नकेल कसना शुरू कर दिया है। विभाग ने साफ कर दिया है कि लाइसेंस पर बीज के प्रभेद का भी नाम होगा। जिस प्रभेद का लाइसेंस होगा उससे इतर अन्य प्रभेद की बिक्री डीलर नहीं...

बिहार के बीज विक्रेताओं पर सख्ती, अब लाइसेंस वाली प्रजाति के बीज ही बेच सकेंगे डीलर
पटना। हिन्दुस्तान ब्यूरोWed, 18 Nov 2020 11:33 AM
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बिहार के बीज विक्रेताओं पर सरकार ने नकेल कसना शुरू कर दिया है। विभाग ने साफ कर दिया है कि लाइसेंस पर बीज के प्रभेद का भी नाम होगा। जिस प्रभेद का लाइसेंस होगा उससे इतर अन्य प्रभेद की बिक्री डीलर नहीं कर सकेंगे। जांच के दौरान ऐसा पाया गया तो कार्रवाई होगी। उनका लाइसेंस तक रद किया जा सकता है। 

जिम्मेवारी से नहीं बचेंगे
कृषि विभाग की नई व्यवस्था से बीज फेल होने पर कोई भी डीलर जिम्मेवारी से बच नहीं सकेगा। वर्तमान व्यवस्था में बीज फेल होने पर कोई भी डीलर स्वीकार नहीं करता है कि बीज की खरीद उनके यहां से हुई है। किसान परेशान होते हैं और मुआवजा सरकार को देना पड़ता है। हाल में दो वर्ष पहले भी मक्का का बीज फेल हुआ तो सरकार को 64 करोड़ रुपये बतौर मुआवजा किसानों को देना पड़ा था। बिल लेने की आदत तो किसानों में भी नहीं है और डीलर भी ऐसा करने से बचते हैं, लेकिन नई व्यवस्था में जिस प्रभेद का बीज फेल होगा, उसके लाइसेंसधारी को पकड़ा जाएगा। उनके लाइसेंस पर भी बीज के प्रभेद का नाम लिखा होगा लिहाजा वह इनकार भी नहीं कर सकते हैं। 

बाजार में ले जाने के पहले करानी होगी जांच 
राज्य सरकार ने बीज को लेकर काफी काम किया है। बीज के डीएनए की जांच का प्रावधान बिहार में कहीं नहीं था। लेकिन जब बीज फेल होने की घटनाएं बढ़ने लगी तो सरकार ने डीएनए जांच की व्यवस्था भी यहां की। इसी के साथ यह भी तय हुआ कि बाजार में बीज ले जाने के पहले किसी भी कंपनी को बीज के नमूने की जांच करानी होगी। जांच में सफल होने के बाद ही बीज के उस प्रभेद को कंपनियां बाजार में बेच सकेंगी। अब नई व्यवस्था में सरकार ने लाइसेंस पर बीज के प्रभेद का नाम लिखने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। 

बाजार पर सरकार भी निर्भरता बढ़ी 
राज्य सरकार पहले कृषि रोडमैप से ही बीज पर जोर दे रही है। कई फसलों में बीज प्रतिस्थापन दर बढ़ाने में सरकारी योजनाएं सफल हो गई हैं। लिहाजा बीज की मांग बढ़ रही है। लेकिन इसका उत्पादन हर साल घटते जा रहा है। लिहाजा सरकार की निर्भरता भी बाजार पर बढ़ गई है। पांच साल पहले 2014-15 में दो लाख 83 हजार क्विंटल बीज का उत्पादन हुआ था। उसके बाद उत्पादन में हर साल गिरावट दर्ज की गई। 2018-19 में बीज का उत्पादन मात्र एक लाख 36 हजार क्विंटल हुआ, जबकि राज्य में चलने वाली सरकारी योजनाओं के लिए ही बीज की जरूरत लगभग चार लाख क्विंटल की होती है।  
 

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