Hindi Newsबिहार न्यूज़Solar plates installed in government schools of Bihar yet electricity bills are being sent to department know why

बिहार के सरकारी स्कूलों में सोलर प्लेट लगे, फिर भी विभाग को भेजे जा रहे बिजली बिल, क्या है माजरा?

आरटीआई कार्यकर्ता राकेश कुमार राय की मानें तो स्कूलों में सोलर प्लेट लगाने का काम एजेंसी द्वारा करवाया जाता है। एजेंसी सोलर प्लेट लगा तो देती है लेकिन उसकी देखरेख नहीं करती है।

बिहार के सरकारी स्कूलों में सोलर प्लेट लगे, फिर भी विभाग को भेजे जा रहे बिजली बिल, क्या है माजरा?
Jayesh Jetawat हिन्दुस्तान, पटनाWed, 31 May 2023 02:17 AM
हमें फॉलो करें

बिहार के सरकारी स्कूलों में सोलर प्लेट लगाने पर लाखों रुपये खर्च हुए। इसके बावजूद स्कूल द्वारा शिक्षा विभाग को बिजली बिल भेजा जा रहा है। इस मद में स्कूलों को राशि भी दी जा रही है। राज्य के 10,109 प्राथमिक से उच्च माध्यमिक स्कूलों में सोलर प्लेट लगाई गई हैं, पर 6 हजार से अधिक स्कूलों में ये खराब पड़े हैं। सूचना के अधिकार (आरटीआई)  के तहत मांगी गई जानकारी के बाद यह खुलासा हुआ कि 50 फीसदी से अधिक स्कूलों की सोलर प्लेट खराब हो गयी है। अब इन स्कूलों में फिर से बिजली की सप्लाई की जाती है और स्कूल को बिजली खपत के अनुसार बिल की राशि दी जाती है। 

आरटीआई कार्यकर्ता राकेश कुमार राय की मानें तो स्कूलों में सोलर प्लेट लगाने का काम एजेंसी द्वारा करवाया जाता है। एजेंसी सोलर प्लेट लगा तो देती है लेकिन उसकी देखरेख नहीं करती है। समग्र शिक्षा के तहत सत्र 2022-23 के लिए 100 स्कूलों में सोलर सिस्टम के लिए राशि दी गई, लेकिन सोलर प्लेट नहीं लगाया गया, इससे राशि वापस हो गई।

12 साल में भी पूरा नहीं हो पाया काम
बता दें कि राज्य में 72 हजार स्कूल हैं। इसमें 69,785 स्कूलों के पास अपना भवन है। इन सभी स्कूलों में सोलर प्लेट लगाकर बिजली सप्लाई करनी थी, लेकिन अभी 50 फीसदी स्कूलों में भी सोलर प्लेट नहीं लग पाया। स्कूलों में बिजली की सप्लाई हमेशा हो। स्कूल के पास अपनी बिजली व्यवस्था हो और बिजली बिल का अतिरिक्त बोझ ना पड़े इसके लिए सोलर सिस्टम लगाने का निर्णय लिया गया था। इसकी शुरुआत वर्ष 2012 में हुई थी। इसका काम विभिन्न एजेंसियों को दिया गया। एजेंसी द्वारा सोलर प्लेट स्कूलों की छत पर लगा तो दिए गए, लेकिन इसे कैसे चलाना है, इसके लिए स्कूल प्रशासन को कोई प्रशिक्षण या जानकारी नहीं दी गई।

60 से 100 किलोवाट होती है क्षमता
स्कूल के कक्षाओं की संख्या के अनुसार सोलर प्लेट लगाया जाता है। अभी तक 60 से 100 किलोवाट क्षमता तक बिजली उत्पन्न करने वाले सोलर प्लेट लगाए गए ताकि स्कूल के तमाम बल्ब, पंखे आदि चल सकें। एक स्कूल में सोलर प्लेट लगाने में एक लाख रुपये तक का खर्च आता है। रिपोर्ट की मानें तो जितने स्कूलों में सोलर प्लेट काम कर रहा है, वहां कितनी बिजली की सप्लाई हो रही है, इसकी कोई जानकारी शिक्षा विभाग को नहीं है।

बांकीपुर बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में 2013 में सोलर प्लेट लगाया गया। लेकिन यह काम नहीं करता है। आधे से अधिक प्लेट खराब हो चुके हैं। स्कूल में बिजली विभाग द्वारा बिजली की सप्लाई की जाती है। शिक्षा विभाग द्वारा बिजली के लिए फंड भी स्कूल को मिलता है।

पटना हाई स्कूल में 2015 में दस सोलर प्लेट लगाए गए। इसमें से आधे प्लेट एक साल में ही खराब हो गए। अब स्कूल में विद्युत विभाग द्वारा ही बिजली की सप्लाई की जाती है। बिजली बिल की राशि शिक्षा विभाग द्वारा दी जाती है।

लेटेस्ट   Hindi News,   बॉलीवुड न्यूज,  बिजनेस न्यूज,  टेक ,  ऑटो,  करियर ,और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें