मुंह थूर देंगे, बकलोली छोड़ा देंगे...सुशील मोदी के ट्वीट पर भड़की लालू की बेटी ने ठेठ अंदाज में दिया जवाब
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री व बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने सवाल किया है कि तेजस्वी प्रसाद यादव को सरकारी आवास के बजाय पटना में अर्जित मकानों में से किसी को कोविड अस्पताल बनाना चाहिए था, जहां...
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री व बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने सवाल किया है कि तेजस्वी प्रसाद यादव को सरकारी आवास के बजाय पटना में अर्जित मकानों में से किसी को कोविड अस्पताल बनाना चाहिए था, जहां गरीबों का मुफ्त में इलाज होता। वहीं सुशील मोदी ने कहा है कि तेजस्वी यादव के परिवार में दो बहनें एमबीबीएस डाक्टर हैं। कोरोना संक्रमण के दौर में उनकी सेवाएं क्यों नहीं ली गईं। बीजेपी सांसद के इन सवालों पर आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य भड़क उठी हैं।
सुशील मोदी पर निशाना साधते हुए रोहिणी ने ट्वीट कर लिखा है कि ये तो आपकी किस्मत अच्छी थी कि हम वहां पर नहीं थे। रोहिणी ने अपने ट्वीट में सृजन घोटाले का जिक्र करते हुए भी सुशील मोदी को निशाने पर लिया।
ई त ऐकर क़िस्मत आज अच्छा बाँटे
— Rohini Acharya (@RohiniAcharya2) May 19, 2021
नहीं तो हम उहाँ रहती त इनका आज अच्छें से इलाज कर देतीं!!@SushilModi
आज के बाद मेरी बहनो पे ई भगोड़ा बोला ना तो बताना मुझे
— Rohini Acharya (@RohiniAcharya2) May 19, 2021
इसकी बकलोलि ना छुड़ा दिए तब देखना@SushilModi
बता दें कि बुधवार को तेजस्वी यादव ने तेजस्वी ने सरकारी बंगले में बनाया कोविड केयर सेंटर तेजस्वी ने अपने 01, पोलो रोड स्थित सरकारी आवास में राजद कोविड केयर सेंटर स्थापित कराया है। अपने निजी कोष से तैयार कराए गए इस सेंटर में बेड, ऑक्सीजन, दवाओं के साथ ही खाने-पीने का भी समुचित इंतजाम किया गया है। तेजस्वी यादव ने राज्य सरकार से इस कोविड केयर सेंटर को टेकओवर कर संचालित कराए जाने का अनुरोध किया है।
सुशील मोदी ने ट्वीट कर पूछा कि मंत्री बनाने के एवज में जो दो मंजिला भवन गिफ्ट किया गया था, उसमें या राबड़ी देवी के पास जो फ्लैट बचे हैं, उनमें अस्पताल क्यों नहीं खोला गया। एक अन्य ट्वीट में सुशील मोदी ने लिखा है कि यदि राजद नेतृत्व में गरीबों की सेवा के लिए तत्परता और गंभीरता होती, तो अस्पताल शुरू करने के लिए पहले सरकार से अनुमति ली जाती और उसके मानकों का पालन किया जाता। बिना डॉक्टर, उपकरण, स्वास्थ्यकर्मी के किसी परिसर में केवल कुछ बेड लगा देने से अस्पताल नहीं हो जाता। इससे केवल अस्पताल होने का नाटक किया जा सकता है।