खनन की छूट पर बालू के कीमतें आसमान पर, उपभोक्ता परेशान
राज्य में खनन पर प्रतिबंध हटने के बाद भी बालू की कीमतें आसमान पर हैं। कीमतों में आशानुरूप कमी नहीं होने से आम उपभोक्ता परेशान हैं। नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल (एनजीटी) के प्रतिबंध के दौरान तीन माह तक...
राज्य में खनन पर प्रतिबंध हटने के बाद भी बालू की कीमतें आसमान पर हैं। कीमतों में आशानुरूप कमी नहीं होने से आम उपभोक्ता परेशान हैं।
नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल (एनजीटी) के प्रतिबंध के दौरान तीन माह तक सौ घनफुट बालू पांच हजार रुपए से अधिक में बिक रहा था। प्रतिबंध हटे एक माह गुजर गया है पर लोगों को सोन का लाल बालू प्राय: साढ़े चार हजार रुपए प्रति सौ सीएफटी ही मिल रहा है। कीमतें कम नहीं होने के पीछे ट्रैक्टर संचालकों और बंदोबस्तधारियों की मनमानी है।
सूत्रों के मुताबिक ट्रक से बालू की लोडिंग-ढुलाई पर खनन विभाग की नजर है पर ट्रैक्टर चालकों पर कोई नियंत्रण नहीं है। लोडेड ट्रकों को प्राय: धर्मकांटा से गजुरना पड़ता है, पर ट्रैक्टरों को इससे छूट है। डीजल की कीमतें करीब 30 प्रतिशत बढ़ने के नाम ट्रैक्टर ढुलाई की दर बढ़ा दी गई है। नतीजतन दूरी के नाम पर मनमानी कीमतें ली जा रही हैं।
ट्रैक्टरों से ढुलाई में न सिर्फ ओवरलोडिंग होती है, बल्कि उनका अवैध खनन में भी उपयोग होता है। घाटों से बालू बिक्री की दर वही 950 रुपए सौ घनफुट है। लेकिन घाट से निकलते ही अन्य शुल्कों के साथ करीब यह 14-15 सौ हो जाता है। इसके बाद ढुलाई चार्ज, अनलोडिंग, भंडारण आदि के नाम पर उपभोक्ताओं को चार से साढ़े चार हजार रुपए देने पड़ते हैं। जिले में अभी रानिया तालाब, जलपुरा, लहलादपुर, बेरर, मसौढ़ा आदि स्थानों पर प्रमुख रूप से बालू का खनन हो रहा है।
सहायक निदेशक संजय कुमार के मुताबिक अभी सीमित संख्या में ही घाट चालू हैं। छठ के कारण अधिकतर घाट चालू नहीं हो पाए हैं। त्योहारों के बाद सभी घाट चालू होंगे और कीमतों में गिरावट होगी।