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हिन्दुस्तान खास: प्रवासी बिहारी एप राष्ट्रीय स्तर पर होगा लॉन्च!

कोविड-19 से उपजी इस आपदा की घड़ी में बिहार ने तकनीक के मामले में पूरे देश के सामने नजीर पेश की है। लॉक डाउन में राज्य के अंदर और बाहर फंसे बिहारियों की मदद के लिए जो प्रयोग बिहार ने किया, उन्हें पूरा...

हिन्दुस्तान खास: प्रवासी बिहारी एप राष्ट्रीय स्तर पर होगा लॉन्च!
पटना। राजकुमार शर्माSat, 30 May 2020 03:46 PM
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कोविड-19 से उपजी इस आपदा की घड़ी में बिहार ने तकनीक के मामले में पूरे देश के सामने नजीर पेश की है। लॉक डाउन में राज्य के अंदर और बाहर फंसे बिहारियों की मदद के लिए जो प्रयोग बिहार ने किया, उन्हें पूरा देश सराह रहा है। प्रवासी बिहारी एप तो इतना चर्चित हुआ कि यूपी और झारखंड ने इसे मांग लिया। अब भारत सरकार ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई है। केंद्रीय श्रम मंत्रालय इसे देशभर में प्रयोग करना चाहता है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों से बात भी की है। इसी एप के जरिए राज्य सरकार ने सबसे पहले बिहार से बाहर फंसे लाखों लोगों के खातों तक एक-एक हजार रुपए की मदद पहुंचाई थी।

कोरोना काल में बिहार में एनआईसी की मदद से विशेषज्ञों ने कई महत्वपूर्ण प्रयोग किए हैं। उन्होंने एक ऐसा ईको सिस्टम विकसित किया, जिसकी मदद से राज्य के भीतर और बाहर फंसे लोगों को एक साथ मदद पहुंचाई जा सके। लॉक डाउन के चलते बिहार लौटे लाखों कामगारों के लिए रोजगार का प्रबंध, इसी ईको सिस्टम की अगली कड़ी है। वर्ष 2011 की जनगणना को आधार मानें तो राज्य के तकरीबन 80 लाख से अधिक लोग रोजगार के लिए यहां से बाहर थे। अब यह संख्या तकरीबन दोगुनी हो चुकी है। ऐसे में महामारी के इस वक्त में बिहार जैसे राज्य के सामने चुनौतियां बड़ी हैं।

डिजिटली की गई खातों और लोकेशन की जांच
बाहर फंसे लाखों लोगों तक मदद पहुंचाने के लिए एनआईसी की मदद से राज्य सरकार ने प्रवासी बिहार एप लांच किया। इस पर कुल 29.5 लाख लोगों ने आवेदन किया। सरकारी आंकड़ों की मानें तो इनमें से 21 लाख से अधिक लोगों के खातों में एक-एक हजार की राशि भेज दी गई। पहले इनके खातों की डिजिटली ही जांच की गई। इसके लिए उनसे मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए आधार नंबर के साथ एक सेल्फी भी मंगवाई गई। जीपीएस लोकेशन से उसकी जांच की गई ताकि कोई बिहार में बैठकर ही मदद के लिए आवेदन न करे।

राज्य से बाहर के खाते वालों की भी मदद
बाकी बचे आवेदकों में वे लोग थे, जिनके खाते दूसरे स्थानों के थे या उन्होंने किसी और के खाता नंबर दे दिए थे। ऐसे लोगों में से भी जो बिहार आते गए और क्वारांटाइन केंद्रों में उनका पंजीकरण होता गया, उनके खातों में भी सहायता राशि भेज दी गई। भले ही उनके खाते राज्य के बाहर के थे। उन्हें एक हजार रुपए के साथ टिकट का पैसा भी खातों में भेजा जा रहा है।

28 मार्च को लांच, आठ अप्रैल से मदद
प्रवासी बिहार एप राज्य सरकार ने 28 मार्च को लांच किया था। वहीं इस एप के जरिए बाहर फंसे लोगों के खातों में सरकारी सहायता राशि भेजने का सिलसिला आठ अप्रैल से शुरू हुआ। पहले ही दिन इस एप की मदद से एक लाख तीन हजार लोगों के खातों में सहायता राशि ट्रांसफर की गई थी।

केंद्र ने दिखाई प्रवासी बिहार एप में दिलचस्पी
यूपी और झारखंड को तो बिहार ने प्रवासी बिहार एप की तकनीक दी ही, अब केंद्र ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई है। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो गुरुवार को केंद्रीय श्रम मंत्रालय के रोजगार महानिदेशक ने मुख्यमंत्री कार्यालय और एनआईसी के विशेषज्ञों से बात की। तकनीकी सहयोग मांगा और प्रवासी बिहार एप के टेक्नालॉजी सोल्यूशन को उनकी अनुकूलता के हिसाब से तैयार करने पर चर्चा की। केंद्र इसे राष्ट्रीय स्तर पर प्रयोग करने पर विचार कर रहा है।

गुजरात को दिया सहयोग एप
बिहार ने गुजरात को भी एनआईसी सहयोग एप की तकनीक कोरोना काल में वहां की सरकार की मांग पर दी है। इस एप के जरिए राशनकार्ड धारी लोगों के खातों में आपदा के समय सहायता राशि भेजी गई। खासकर उन लोगों के खातों की डिजिटली जांच कर राशि दी गई, जिनके खाते आधार से जुड़े नहीं थे।

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