ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News बिहारएक विवाह ऐसा भी: न हुआ मंत्रोच्चारण न लिए फेरे, संविधान को साक्षी मान एक-दूजे का हुआ जोड़ा

एक विवाह ऐसा भी: न हुआ मंत्रोच्चारण न लिए फेरे, संविधान को साक्षी मान एक-दूजे का हुआ जोड़ा

हिंदू धर्म की शादियों में आपने देखा होगा कि पंडित वैदिक मंत्रों का उच्चारण करते हैं और दूल्हा-दुल्हन अग्नि को साक्षी मानकर फेरे लेते हैं। मगर बिहार में इन दिनों एक अनोखी शादी चर्चा का विषय बनी हुई...

एक विवाह ऐसा भी: न हुआ मंत्रोच्चारण न लिए फेरे, संविधान को साक्षी मान एक-दूजे का हुआ जोड़ा
लाइव हिन्दुस्तान,पटनाSun, 20 Jun 2021 12:56 PM
ऐप पर पढ़ें

हिंदू धर्म की शादियों में आपने देखा होगा कि पंडित वैदिक मंत्रों का उच्चारण करते हैं और दूल्हा-दुल्हन अग्नि को साक्षी मानकर फेरे लेते हैं। मगर बिहार में इन दिनों एक अनोखी शादी चर्चा का विषय बनी हुई है। इस शादी में दूल्हा-दुल्हन ने संविधान को साक्षी माना और परिणय सूत्र में बंध गए। ये शादी पटना से सटे दानापुर के पुनपुन में हुई। यहां दो दिव्यांगों ने बौद्ध परंपरा के अनुसार शादी की।

पुनपुन प्रखंड के केवड़ा पंचायत के मुखिया सतेंद्र दास की भतीजी कुमकुम कुमारी की शादी इलाके में चर्चा का केंद्र बनी हुई है। इस शादी में पंडित को शामिल नहीं किया गया। फुलवारीशरीफ के विधायक गोपाल रविदास ने संविधान की एक एक कॉपी दूल्हा और दुल्हन के हाथों में दी और शपथ दिलाते हुए रस्में पूरी कराईं। 

दिव्यांग दुल्हन कुमकुम कुमारी और दिव्यांग रंजीत कुमार की शादी बौद्ध परंपरा के अनुसार हुई। दुल्हा-दुल्हन ने परिवार, अतिथियों और गणमान्य लोगों के सामने संविधान की शपथ लेकर एक-दूसरे को पति-पत्नी के तौर पर अपनाया। सोशल मीडिया पर इस शादी की फोटो और वीडियो वायरल हो रहे हैं।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें