पंचायत में बिना काम किए साढ़े 12 लाख का भुगतान, बिहार विधानमंडल में पेश कैग रिपोर्ट में खुलासा
बिहार विधानसभा में पेश की गई सीएजी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है। कि पंचायत में बिना काम किए ही 12 लाख 50 हजार रुपए भुगतान कर दिया गया। कनीय अभियंता ने मापी की गलत रिपोर्ट दी। जिसके चलते ये लापरवाही ह
पंचायत में बिना काम किए ही 12 लाख 50 हजार रुपए भुगतान का मामला पकड़ा गया है। गुरुवार को विधानमंडल में पेश भारत के नियंत्रक एवं महालेखाकार परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नवादा जिले के ग्राम पंचायत बुधुआ वित्त आयोग के अनुदान से कराए जाने वाले कार्यों की निगरानी करने में विफल रहा।
अभिकर्ता ग्राम पंचायत के तत्कालीन पंचायत सचिव को बिना कार्य किए ही 12.50 लाख रुपए का भुगतान कर दिया गया। यह इसलिए संभव हो सका कि अनुश्रवण एवं निरीक्षण के लिए जिम्मेदार मुखिया और प्रखंड स्तर के पदाधिकारियों ने कार्य का अनुश्रवण नहीं किया। कनीय अभियंता ने मापी की गलत रिपोर्ट दी। इसी कारण पंचायत निधि से 12.50 लाख रुपए का फर्जी भुगतान कर दिया गया।
पंचायत समिति अकबरपुर (नवादा) के तहत ग्राम पंचायत बुधुआ के अभिलेखों की वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2021-22 (मार्च 2023 तक) की अवधि के लिए हुए लेखा परीक्षा (जुलाई 2022) से पता चला कि ग्राम पंचायत ने पंचम राज्य वित्त आयोग अनुदान से नाला निर्माण और चौदहवीं वित्त आयोग अनुदान से पीसीसी सड़क निर्माण के कार्य कराए थे। इसकी कुल अनुमानित लागत 15.93 लाख रुपए थी। ग्राम पंचायत ने इन दोनों कार्यों को कराने के लिए ग्राम पंचायत के तत्कालीन पंचायत सचिव को इस निर्देश के साथ कार्यकारी अभिकर्ता नामित (अप्रैल व मई 2019) किया। एक वर्ष के अंदर कार्य पूरा करना था।
कनीय अभियंता की ओर से मापी पुस्तक में दर्ज कार्य 13 लाख 5 हजार रुपए के विरुद्ध अभिकर्ता को मई से जुलाई 2020 के दौरान 12.50 लाख रुपए भुगतान किया गया। तकनीकी सहायक और ग्राम पंचायत के वर्तमान पंचायत सचिव के साथ लेखापरीक्षा (जुलाई 2022) की ओर से किए गए संयुक्त भौतिक सत्यापन में पाया गया कि अभिकर्ता की ओर से कार्यों को नहीं किया गया था। मुखिया और पंचायत सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से राशि का भुगतान किया गया था।
वित्तीय वर्ष 2021-22 में पंचायती राज संस्थाओं की 13 इकाइयों की लेखा परीक्षा के दौरान 8 करोड़ 48 लाख रुपए की राशि वसूली के लिए सुझाव दिया गया था। इसमें से 6.30 करोड़ सिर्फ तीन इकाइयों के हैं। जिला परिषद सीवान में 1 करोड़ 76 लाख 23 हजार। जिला परिषद बेगूसराय में 2 करोड़ 90 लाख 92 हजार और जिला परिषद भागलपुर में 1 करोड़ 62 लाख 44 हजार हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि अभी तक राशि वसूली नहीं हुई है।
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