पटना। मुख्य संवाददाता
पटना मौसम विज्ञान केंद्र ने सौ साल से अधिक के आंकड़ों की पर्यवेक्षण की बदौलत नया मुकाम हासिल किया है। पटना मौसम विज्ञान केंद्र को विश्व मौसम विज्ञान केंद्र जिनेवा ने शताब्दी मौसम वेधशाला का दर्जा दिया है। इसके साथ ही पटना मौसम विज्ञान केंद्र मौसम विज्ञान और संबद्ध विज्ञान के क्षेत्र में वैज्ञानिक अवलोकन के दीर्घकालिक रिकॉर्ड वाले शहरों के आला क्लब में शामिल हो गया है।
पिछले दिनों 72वीं कार्यकारी परिषद की बैठक में आईएडी पटना को यह दर्जा दिया गया। पटना मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विवेक सिन्हा ने बताया कि यह उपलब्धि शानदार है। यह विश्व मौसम विज्ञान केंद्र तकनीकी आयोगों, ग्लोबल क्लाइमेट ऑब्जर्विंग सिस्टम के सदस्यों और विश्व मौसम विज्ञान संगठन सचिवालय का प्रतिनिधित्व करने वाले जलवायु, मौसम और उपकरण विशेषज्ञों के बीच विमर्श और निकट सहयोग की वजह से प्राप्त हुआ है।
1867 में स्थापित हुई थी पटना मौसम वेधशाला
पटना मौसम वेधशाला 1867 ईस्वी में ब्रिटिश कोर ऑफ इंजीनियर्स द्वारा स्थापित की गयी थी। इसके बाद आर्मी मेडिकल क्रॉप द्वारा महामारी और अन्य बीमारियों पर मौसम के प्रभाव के अध्ययन के लिए इसे संचालित किया जाता रहा। 1852 ईस्वी में कैप्टन सर हेनरी जेन द्वारा मौसम पर्यवेक्षण लेने संबंधी दिशानिर्देश पहला सेट जारी किया गया। आरंभ में सुबह साढ़े नौ बजे और शाम 3.30 बजे मौसम का रिकॉर्ड लिया जाता रहा। बाद में इसकी बारंबारता बढ़ाकर चार बार किया गया। बाद में कुल 24 घंटे में हर तीन घंटे पर कुल आठ बार मौसम के आंकड़े एकत्र किए जाने लगे। अब तक यह सिलसिला जारी है। आईएमडी पटना के निदेशक विवेक सिन्हा ने बताया कि 1875 ईस्वी में भारत मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना के साथ सभी तरह के पर्यवेक्षण, प्रबंधन और कार्यालय के अवलोकन की जिम्मेदारी मौसम विज्ञान विभाग को दे दी गई।
अन्य रोचक जानकारी
सबसे पुरानी वेधशाला स्टॉकहोम (स्वीडन ) में 1756 से फंक्शनल है
इसके बाद 1772 में ऑक्सफोर्ड (ब्रिटेन ) और 1792 में मद्रास (भारत) में वेधशालाएं काम कर रही हैं