CBI जांचः खुशी अपरहरण कांड की जांच में 7 लापरवाही, पटना हाईकोर्ट सख्त; डीएसपी पर तलवार
जांच में लापरवाही बरतने वाले कांड के आईओ दिव्यानंद, थानेदार सह दूसरे आईओ अनिल कुमार गुप्ता और सुपरविजन करने वाले तत्कालीन नगर डीएसपी रामनरेश पासवान की भूमिका की जांच होगी।एसएसपी जयंतकांत जांच करेंगे।

बिहार के मुजफ्फरपुर में ब्रह्मपुरा निवासी राजन साह की छह वर्षीया बच्ची खुशी के अपहरण की जांच का जिम्मा पटना हाईकोर्ट ने सीबीआई को सौंप दिया है। कोर्ट ने जांच में लापरवाही बरतने वाले दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई का आदेश मुजफ्फरपुर एसएसपी जयंतकांत को दिया है। न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की एकलपीठ ने मामले पर सुनवाई की। कोर्ट ने सीबीआई को जल्द अपहृत बच्ची का पता लगाने का आदेश दिया। कोर्ट ने मुजफ्फरपुर एसएसपी को इस मामले से जुड़े सभी रिकॉर्ड सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया।
इ्स मामले में लापरवाही बरतने वाले कांड के आईओ दिव्यानंद, थानेदार सह दूसरे आईओ अनिल कुमार गुप्ता और सुपरविजन करने वाले तत्कालीन नगर डीएसपी रामनरेश पासवान की भूमिका की जांच होगी। हाइकोर्ट ने एसएसपी जयंतकांत को मामले में तीनों अधिकारियों की भूमिका की जांच का आदेश दिया है।
17 पन्ने का आदेश
हाइकोर्ट ने अपने 17 पन्ने के आदेश में मुख्य सात लापरवाहियों का विस्तार से जिक्र किया है। इन लापरवाहियों के कारण खुशी अपहरण कांड की गुत्थी और उलझती चली गई। हाइकोर्ट ने आदेश में स्पष्ट किया है कि इस मामले में लापरवाह अधिकारियों की भूमिका की जांच करने के साथ ही उनके खिलाफ सख्त प्रशासनिक कार्रवाई भी होनी चाहिए। कहा है कि आकाश नाम के युवक ने खुशी को बरामद कराने के लिए एक लाख रुपये में उसके परिजनों से सौदा किया था। बताया था कि मनीष नामक उसके कथित भाई ने हाल ही में तीन से पांच साल की बच्चियों को बेचा है। यदि उसे रुपये दिये गये तो उन बच्चियों को वह वापस दिला देगा। इसकी सूचना खुशी के परिजनों ने पुलिस को दी। कांड के आईओ ने संदिग्ध आकाश को उठाकर थाने भी लाया। लेकिन, उससे जरूरी पूछताछ कर जांच करने के बजाय थाने से निजी मुचलके पर मुक्त कर दिया गया। किसने उसे मुक्त करने का आदेश दिया यह भी लापरवाहियों की श्रेणी में आयेगा। आदेश में हाइकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कांड में शुरुआत से पुलिस लापरवाह दिखी। बच्ची के गायब होने की सूचना मिलने के बाद सीसीटीवी फुटेज की जांच में लापरवाही हुई। साथ ही बच्ची की तस्वीर तत्काल संबंधित वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं कराई गई। ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल को भी इसकी सूचना तत्काल नहीं दी गई। खुशी अपहरण कांड में तत्कालीन नगर डीएसपी, आईओ और थानेदार पर अब कार्रवाई की तलवार लटक गई है।
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हाईकोर्ट ने किया इन मुख्य सात लापरवाहियों का जिक्र
1. एक लाख रुपये में बच्ची को वापस दिलाने का सौदा करने वाले आकाश को बगैर जांच के निजी मुचलके पर थाने से किया मुक्त
2. मनीष नामक युवक के द्वारा गायब बच्चियों को बेचे जाने की बात सामने आने पर नहीं हुई जांच
3. खुशी की बरामदगी के लिए संबंधित वेबसाइट पर तत्काल तस्वीर प्रकाशित नहीं की और ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल को भी सूचित नहीं किया
4. लंबे समय तक नगर डीएसपी ने सुपरविजन रिपोर्ट जारी नहीं की
5. पीड़ित पक्ष ने एक ऑडियो क्लिप भी सौंपा, जिसमें बच्ची के गायब किये जाने संबंधित बातें थीं, लेकिन इस पर कोई जांच नहीं
6. नगर डीएसपी ने सुपरवीजन में दिये निर्देशों का पालन नहीं कराया
7. सीसीटीवी फुटेज व अन्य वैज्ञानिक जांच लंबे समय तक नहीं हुई, एसआईटी गठित हुई पर केस डायरी में स्पष्ट नहीं है कि इसने क्या किया
जिले में इन कांडों की सीबीआई ने की जांच
● बहुचर्चित नवरूना अपहरण कांड, हालांकि इसमें सीबीआई कोई सुराग नहीं ढूंढ पाई
● बालिकागृह कांड में सीबीआई ने जांच कर 19 आरोपितों पर चार्जशीट की जिसके आधार पर हुई सजा
● कुरियर कंपनी से नकली नोट की बड़ी खेप जब्ती की जांच सीबीआई ने की, तस्कर इमरान तेलगी को सजा हुई
● उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक के वैशाली जिले की शाखा में गबन की जांच, सीबीआई कर रही है बैंककर्मियों से पूछताछ
● जांच में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों की भूमिका एसएसपी करेंगे तय
● इसके आधार पर दोषी अधिकारियों पर विभागीय कार्यवाही भी हो कोर्ट
सीबीआई कर सकती है पूछताछ, तैयार हो रहे रिकॉर्ड
अब इस कांड में सीबीआई के रडार पर भी वह लापरवाह अधिकारी आयेंगे, जिनकी भूमिका की जांच एसएसपी करेंगे। एसएसपी की जांच रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई भी उनसे पूछताछ कर सकती है। इसके लिए अभी से ही केस के सारे रिकॉर्ड तैयार किये जा रहे हैं।
क्या है मामला?
मामला 16 फरवरी 2021 का है। खुशी मोहल्ले में हो रही सरस्वती पूजा के पंडाल में खेलते समय गायब हो गई थी। ढूंढ़ने पर जब कोई पता नहीं चला, तब पिता राजन साह ने ब्रह्मपुरा थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आज तक पुलिस बच्ची का सुराग नहीं लगा सकी।
पुलिस की कार्रवाई से असंतुष्ट बच्ची के पिता ने हाईकोर्ट में 16 अगस्त 2021 को अर्जी दाखिल की थी। आवेदक का कहना था कि कई अहम सुराग देने के बावजूद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है। इस केस के एक संदिग्ध की ऑडियो रिकॉर्डिंग पुलिस को दी गई, लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया। मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर कड़ी टिप्पणी भी की। बताया गया है कि पुलिस ने पॉलीग्राफी टेस्ट का बहाना बनाकर कोर्ट का समय बर्बाद किया। कोर्ट ने सीबीआई के निदेशक तथा नई दिल्ली के सीएफएसएल को पार्टी बनाने का आदेश दिया था।