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Hindi News बिहारना एनडीए में जगह, ना इंडिया से बुलावा; बिहार में किसका खेल खराब करेगा ओवैसी, पप्पू यादव और मुकेश सहनी का मोर्चा?

ना एनडीए में जगह, ना इंडिया से बुलावा; बिहार में किसका खेल खराब करेगा ओवैसी, पप्पू यादव और मुकेश सहनी का मोर्चा?

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेकुलर फ्रंट का गठन किया गया था जिसमें उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी, मायावती की पार्टी बीएसपी और ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम शामिल थीं।

ना एनडीए में जगह, ना इंडिया से बुलावा; बिहार में किसका खेल खराब करेगा ओवैसी, पप्पू यादव और मुकेश सहनी का मोर्चा?
Sudhir Kumarलाइव हिंदुस्तान,पटनाMon, 18 Sep 2023 06:58 PM
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आगामी लोकसभा चुनाव 2024 और 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में बिहार में एनडीए और इंडिया गठबंधन के खिलाफ एक तीसरे फ्रंट की  संभावना बन रही है। बिहार का सीमांचल इलाका इसकी सरजमीन बनेगा। तीसरी फ्रंट में पप्पू यादव की पार्टी जाप, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम और मुकेश साहनी की पार्टी वीआईपी  शामिल होंगे। कहा जा रहा है कि इन पार्टियों को न एनडीए ने भाव दिया और ना इंडिया गठबंधन ने जगह दी। इसलिए तीनों मिलकर बिहार की राजनीति में नया खेल करने की तैयारी में हैं।

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेकुलर फ्रंट का गठन किया गया था जिसमें उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी, मायावती की पार्टी बीएसपी और ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम शामिल थीं। माना जा रहा है कि इसी की तर्ज पर पप्पू यादव, मुकेश साहनी और ओवैसी का गठजोड़ बनने जा रहा है।

एआइएमआइएम के बिहार के अख्तरूल ईमान का कहना है कि इंडिया गठबंधन ने दलित और मुस्लिम को उचित स्थान नहीं दिया।  इसमें शामिल दलों द्वारा इन दो वर्गों को उपेक्षित किया गया। इसलिए अब हमारे पास तीसरा फ्रंट बनाने के अलावा कोई उपाय नहीं है। अख्तरूल ईमान ने  बताया कि हमारी पार्टी दलित और मुस्लिम समाज के पिछड़ेपन के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है।  इसलिए इन दोनों समाज के हितों की रक्षा के लिए हम तीसरा फ्रंट बनाने से पीछे नहीं हटेंगे। हालांकि, अंतिम निर्णय पार्टी के हाई कमान असदुद्दीन ओवैसी ही लेंगे।

एआइएमआइएम बिहार की राजनीति में 2015 के विधानसभा चुनाव में दाखिल हुई थी। हालांकि एक भी सीट पर जीत नहीं हो सकी। लेकिन सीमांचल के रानीगंज सीट से पार्टी ने एक दलित हिंदू को उतारा था। 2020 के विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम मजबूती के साथ उभरी। कुल 20 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा जिसमें पांच पर जीत हुई। इससे आरजेडी को सीमांचल में बड़ा झटका लगा। बाद में आरजेडी एआइएमआइएम के चार विधायकों को तोड़कर अपनी पार्टी में मिलने में कामयाब रही और  एकमात्र विधायक अख्तरुल ईमान बच गए।

इधर जन अधिकार पार्टी के मुखिया पप्पू यादव का दावा है कि बिहार के राजनीति में उनकी पार्टी की ताकत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जाप का कहना है कि पूर्णिया, मधेपुरा, सुपौल, अररिया जैसी पार्लियामेंट्री सीटों पर हुए जीत का माद्दा रखते हैं।  पप्पू यादव ने संकेत भी दिए हैं कि बिहार के 12 लोकसभा क्षेत्र में कैंडिडेट उतारेंगे और विधानसभा में 100 सीटों पर अपनी ताकत आजमाएंगे। जाप के बिहार प्रदेश अध्यक्ष राघवेंद्र सिंह ने कहा है कि समान विचारधारा वाली एआइएमआइएम, बीएसपी और वीआईपी  जैसी पार्टियों से उनकी बातचीत चल रही है। पप्पू यादव की अपनी ताकत है जिसका असर आने वाले चुनाव में दिखेगा।

आरजेडीके एक सीनियर लीडर ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा कि पप्पू यादव बिहार में अपनी जमीन खो चुके हैं क्योंकि जब भी व गठबंधन में आते हैं तो मनमानी करने लगते हैं। इसी वजह से मधेपुरा की सीट भी छीन गई और 2020 के असेंबली चुनाव में एक सीट पर भी नहीं जीत सके।

जहां तक मुकेश साहनी की वीआईपी  का सवाल है तो यह पार्टी निषाद समाज को आरक्षण दिलाने की मांग पर आंदोलन कर रही है। पार्टी की ओर से संकल्प यात्रा निकाली गई है जिसे मुकेश साहनी लीड कर रहे हैं। वीआईपी के प्रवक्ता देव ज्योति ने कहा कि निषाद समाज के लिए आरक्षण की लड़ाई हम लड़ रहे हैं। इसमें जो पार्टी हमारा सहयोग करेगी उसके साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। हालांकि इसका फैसला अंतिम रूप से मुकेश सहनी ही करेंगे। 4 नवंबर को पार्टी की स्थापना दिवस पर यह तय किया जाएगा की विप कि आगे की रणनीति क्या होगी।


तीसरे फ्रंट की संभावना पर बीजेपी के  प्रवक्ता राकेश कुमार सिंह का कहना है कि पप्पू यादव और मुकेश सहनी राजनीति में अप्रासंगिक हो चुके हैं। इसलिए उन पर कोई भी पार्टी  रिस्क लेने की स्थिति में नहीं है। बीजेपी के अन्य नेता का कहना है कि लोग यह समझ चुके हैं कि मुकेश सहनी का कोई सामाजिक प्रभाव नहीं है। 

हालांकि राजनीति की समझ रखने वालों का कहना है कि ये छोटी पार्टियां बड़े गठबंधन के चुनावी गणित को जरूर प्रभावित करेंगे। उदाहरण देते हुए  कहा कि 2020 के बिहार विधानसभआ चुनाव में चिराग पासवान की लोजपा ने जनता दल यूनाइटेड के चुनावी परिणाम को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया।
 

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