कोरोना वायरस: बिहार में अब तक कोई मामला नहीं, सबसे बड़ा खतरा अभी भी बरकरार
देश में कोरोना वायरस के अबतक 195 मामले सामने आ चुके हैं लेकिन इससे बिहार अभी तक बचा हुआ है। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है क्योंकि यहां कि एक बड़ी आबादी देश और विदेश के कई हिस्सों में रह रही है।...
देश में कोरोना वायरस के अबतक 195 मामले सामने आ चुके हैं लेकिन इससे बिहार अभी तक बचा हुआ है। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है क्योंकि यहां कि एक बड़ी आबादी देश और विदेश के कई हिस्सों में रह रही है। कोरोना वायरस को लेकर डर और इसके सामुदायिक संक्रमण की क्षमता को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि इस मामले में बिहार अभी तक अपेक्षाकृत बेहतर रहा है।
इन सबके बीच विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि सबसे बुरा दौर अभी खत्म नहीं हुआ है। बिहार को सतर्क रहने की जरूरत है। कोरोना वायरस के चलते व्यापारिक गतिविधियों में कटौती और काम ठप होने के कारण लाखों लोग अपनी घरों की तरफ लौट रहे हैं। यह कोरोना के सामुदायिक संक्रमण की क्षमता को खतरनाक स्थिति में ले जा सकता है। हालांकि राहत की बात यह है कि अभी तक सामुदायिक संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है।
फिलहाल राज्य सरकार का फोकस लोगों को जागरूक करने पर है। लेकिन इसी बीच सरकार को बाहर से आ रेह लोगों को ट्रैक करने की जरूरत है। बाहर से आने वाले लोग गांव-देहात की बड़ी आबादी के बीच जा रहे हैं। इन इलाकों में स्वास्थ्य और टेस्टिंग की सुविधाएं सीमित हैं। ऐसे में अगर स्थिति बिगड़ती है तो इन सुविधाओं को रातोंरात न ही बढ़ाया और ठीक किया जा सकता है।
सरकार का फोकस कोरोना प्रभावित देशों से आने वालों पर
राजधानी पटना स्थित राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरएमआरआई) एक मात्र हॉस्पीटल है जहां पर कोरोना वायरस के टेस्टिंग के लिए लैब है। हालांकि अभी तक यहां किसी का सैंपल कोविड-19 पॉजिटिव नहीं आया है। आरएमआरआई डायरेक्टर डॉ प्रदीप दास बताते हैं, 'अभी तक की स्थिति को देखते हुए सामुदायिक सैंपलिंग की कोई जरूरत नहीं है। सरकार अभी कोरोना से प्रभावित देशों से आने वालों के लिए क्वारंटाइन पर फोकस कर रही है। कोरोना स्टेज टू में ही रहेगा। अभी तक स्टेज थ्री का कहीं से कोई प्रमाण नहीं आया है।'
बाहर से आने वाले लोगों की सटीक संख्या की जानकारी नहीं
बिहार के श्रम मंत्री विजय कुमार सिन्हा बताते हैं कि हमने बड़े पैमाने पर लोगों को जागरूक करने का काम किया है। स्वास्थ्य सुविधाओं को भी बढ़ाया गया है। वे कहते हैं, 'बाहर से राज्य में आए लोगों की सटीक संख्या हम नहीं जानते क्योंकि इसकी हमेशा रिपोर्टिंग नहीं होती है। हम इस बारे में चर्चा करेंगे। सबकुछ उच्च स्तर से मॉनिटर किया जा रहा है।'
लोगों की ट्रेवल हिस्ट्री की नहीं है जानकारी
बिहार के लिए सबसे बड़ी समस्या यह है कि बाहर से आने वाली एक बड़ी आबादी की ट्रेवल हिस्ट्री की जानकारी नहीं है। ऐसे में वे अगर जाने-अनजाने में किसी कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हों तो यह खतरनाक हो सकता है। वहीं देश में कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिसमें लोग शुरुआती लक्षण सामने आने के बाद भी क्वारंटाइन पीरियड से बचने के लिए जानकारी छुपाते हुए पाए गए हैं।