इशारों-इशारों में नीतीश ने लालू-राबड़ी राज पर फिर कसा तंज, बोले- कितने शिक्षक थे 2005 से पहले
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गठबंधन बदलकर एनडीए से महागठबंधन में आरजेडी के साथ आ जरूर गए हैं लेकिन रह-रहकर अपने कार्यकाल के बखान में वो लालू यादव और राबड़ी देवी के कार्यकाल पर तंज कस जाते हैं।

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले बीजेपी और एनडीए गठबंधन का साथ छोड़कर महागठबंधन और आरजेडी के साथ आ गए हों लेकिन भाषण की रौ में जब रहते हैं तो लालू यादव और राबड़ी देवी यानी राष्ट्रीय जनता दल की सरकारों के कार्यकाल पर तंज कसने से पीछे नहीं हटते हैं। एक बार तो वो तेजस्वी यादव की मौजूदगी में ही लालू-राबड़ी की सरकारों के दौरान के माहौल पर बोल गए थे। अब नीतीश ने इशारों-इशारों में लालू-राबड़ी के कार्यकाल पर तंज कसते हुए कहा कि उस समय कितने शिक्षक थे।
असल में पटना में शिक्षा दिवस समारोह में नीतीश रोजगार की मांग और शिक्षकों की लंबित बहाली पर बोल रहे थे। उन्होंने सवाल पूछा कि 2005 से पहले कितने शिक्षक थे। जाहिर तौर पर ये इशारा लालू-राबड़ी के कार्यकाल पर था जिसकी तुलना वो 2005 में खुद मुख्यमंत्री बनने के बाद की बहालियों से कर रहे थे। इस मौके पर नीतीश ने कहा कि बिहार में थोक में बहाली हुई है और आगे और भी भर्ती होगी। उन्होंने कहा कि जो शिक्षक नहीं पढ़ाएंगे उनको नौकरी से हटाया जाएगा।
इससे पहले भी अक्टूबर में स्वास्थ्य विभाग के एक कार्यक्रम में डिप्टी सीएम और लालू-राबड़ी के बेटे तेजस्वी यादव की मौजूदगी में नीतीश कह गए थे कि- "पहले क्या स्थिति थी? पटना में कुछ था, शाम होते ही सारी दुकानें बंद हो जाती थीं। आज कितना काम हुआ है।" साफ तौर पर नीतीश का इशारा लालू-राबड़ी की सरकार के समय कानून-व्यवस्था को लेकर था जिसे बीजेपी और विपक्ष में रहते हुए जेडीयू के नेता भी जंगलराज कहा करते थे।
