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नेपाल के नागरिकता संशोधन विधेयक से रोटी-बेटी के रिश्ते पर संकट

भारत-नेपाल सीमा पर दोनों ओर पश्चिम चंपारण के वाल्मीकिनगर से मधुबनी के लदनियां तक नेपाल संसद में आने वाले नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध शुरू हो गया है। वीरगंज और विराटनगर समेत नेपाल के कई सीमावर्ती...

नेपाल के नागरिकता संशोधन विधेयक से रोटी-बेटी के रिश्ते पर संकट
1/ 2नेपाल के नागरिकता संशोधन विधेयक से रोटी-बेटी के रिश्ते पर संकट
नेपाल के नागरिकता संशोधन विधेयक से रोटी-बेटी के रिश्ते पर संकट
2/ 2नेपाल के नागरिकता संशोधन विधेयक से रोटी-बेटी के रिश्ते पर संकट
मुजफ्फरपुर। विभेष त्रिवेदीTue, 23 Jun 2020 10:50 AM
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भारत-नेपाल सीमा पर दोनों ओर पश्चिम चंपारण के वाल्मीकिनगर से मधुबनी के लदनियां तक नेपाल संसद में आने वाले नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध शुरू हो गया है। वीरगंज और विराटनगर समेत नेपाल के कई सीमावर्ती शहरों में दो दिनों से जुलूस निकालकर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। नेपाल के राजनयिक, सीमावर्ती क्षेत्रों के युवक-युवतियां, व्यापारी व आमलोग सोशल मीडिया से सड़क तक इसके खिलाफ मुखर हो रहे हैं।
 डेनमार्क में नेपाल के पूर्व राजदूत एवं राजनीति विभाग के प्रो. विजय कांत कर्ण कहते हैं कि नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार भारत से सैकड़ों वर्ष पुराने रिश्ते को ‘राष्ट्रवादी हथियार’ से काटने का प्रयास रही है। सरकार की नीतियों का विरोध करने वाले मधेशियों को राष्ट्र विरोधी करार दिया जाता है। भारत से रोटी-बेटी के रिश्ते पर ब्रेक लगाने के लिए नेपाली संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक लाया जा रहा है। इसकी खबर मिलते ही नेपाली कांग्रेस पार्टी एवं समाजवादी जनता पार्टी ने विधेयक का विरोध शुरू कर दिया है। प्रो. कर्ण ने दोनों देशों के नागरिकों से सैकड़ों वर्ष पुराने रिश्ते को बचाने के लिए विधेयक के विरोध का आह्वान किया है।
प्रो. कर्ण कहते हैं कि नेकपा शुरू से ही मधेश विरोधी और भारत विरोधी नीति पर चल रही है। इसके लिए चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बड़े नेता लगातार नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी को ट्रेनिंग दे रहे हैं। नेपाल सरकार चाहती है के मधेशियों का भारत से संबंध समाप्त हो। उन्होंने कहा कि भारत-नेपाल का संबंध सिर्फ रोटी-बेटी का नहीं है। यह सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक व उससे भी आगे जीवन का संबंध है। मेरी मां, दादी, पर-दादी भारत की थी। मेरी बहनें व फुआ भारत में हैं। इस रिश्ते को तोड़ देंगे तो बचेगा क्या ?
रक्सौल की मिताली की इसी वर्ष 18 फरवरी को वीरगंज में शादी हुई। मिताली कहती है के चीन के उकसावे पर नेपाल सरकार यह विधेयक ला रही है। विधेयक का असली उद्देश्य नेपाल और भारत के लड़के-लड़कियों में शादी बंद कराना है। पहले शादी के साथ ही शादी का दस्तावेज मिल जाता था। नेपाल में मोबाइल सिम कार्ड से लेकर तमाम  नागरिक सुविधाओं के लिए नागरिकता की जरूरत पड़ती है। काठमांडू में नमक की कीमत बढ़ी है तो इसके लिए भारत को दोषी बताकर घृणा फैलाई जा रही है।

नेपाली नागरिकों के लिए चुनौतीपूर्ण घड़ी
रक्सौल निवासी एवं वीरगंज के कॉलेज में प्रो. पंकज कुमार कहते हैं कि सोशल मीडिया में नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध किया जा रहा है। हिन्दी विभाग के प्रो. सच्चिदानंद सिंह ने भी लंबा पोस्ट डाला है। जनकपुर निवासी डॉक्यूमेंट्री निर्माता प्रभात रंजन झा कहते हैं कि संसद में विधेयक आसानी से पास हो जाएगा। इसके बाद नेपाली नागरिक से शादी करने वाली भारतीय व अन्य देशों की महिलाओं को सात वर्षों तक नागरिकता के लिए इंतजार करना पड़ेगा। गीतकार घनश्याम मिश्रा कहते हैं कि नागरिकता संशोधन विधेयक में जो प्रावधान है, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यह चुनौतीपूर्ण घड़ी है। जनकपुर के एक पत्रकार नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं- नेपाल में कौन कितना राष्ट्रवादी है, इसका पैमाना भारत विरोध बनता जा रहा है।

विधेयक लाने की तैयारी पूरी
 नेकपा की सेंट्रल कमेटी ने शनिवार को एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें किसी नेपाली नागरिक से शादी करने वाली विदेशी लड़की को सात साल के बाद नेपाल की नागरिकता देने का प्रावधान है। यह प्रावधान नेपाली संसद में विगत दो वर्षों से पड़े मूल नागरिकता संशोधन विधेयक में नहीं था। नेपाली संसद की राज्य व्यवस्था समिति ने भी नागरिकता संशोधन के इस प्रावधान को बहुमत से पारित कर दिया है। अब जल्द ही संसद में इस विधेयक को पेश किया जाएगा। संसद में नेकपा को बहुमत है, परन्तु दो-तिहाई बहुमत के लिए 12 वोट कम पड़ रहे हैं। राजनयिकों और शिक्षाविदों का मानना है कि विधेयक आसानी से पारित करा लिया जाएगा। नेपाली कांग्रेस और समाजवादी जनता पार्टी ने अगर जमकर विरोध किया तो विधेयक कुछ दिनों के लिए टाला जा सकेगा

 

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