Notification Icon
Hindi Newsबिहार न्यूज़National Institute of Mental Health and Neurology NIMHANS will now conduct research for continuous death and prevention of innocent children due to acute encephalitis syndrome AES in Bihar

बिहार में एईएस की भेंट चढ़ रहीं मासूम जिंदगियों को बचाने के लिए अब निमहांस करेगा शोध

बिहार में तापमान में वृद्धि के साथ ही मुजफ्फरपुर सहित कई जिलों में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के कारण बच्चे मरने लगे हैं। मौसम की तल्खी और हवा में नमी की अधिकता के कारण एईएस नामक बीमारी से...

Sunil Abhimanyu मुजफ्फपुर, एजेंसी। , Tue, 2 June 2020 12:01 PM
share Share

बिहार में तापमान में वृद्धि के साथ ही मुजफ्फरपुर सहित कई जिलों में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के कारण बच्चे मरने लगे हैं। मौसम की तल्खी और हवा में नमी की अधिकता के कारण एईएस नामक बीमारी से इस वर्ष अब तक सात बच्चों की मौत हो चुकी है। हालांकि पिछले साल की तुलना में हालांकि यह आंकड़ा राहत देने वाला है। इस बीच इसी महीने से राष्ट्रीय मानसिक आरोग्य एवं स्नायु विज्ञान संस्थान (निमहांस) इस महीने एईएस यानी मस्तिष्क ज्वर से निपटने और इस पर व्यापक शोध करने जा रहा है।

स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि 31 मई तक राज्य में 76 बच्चे एईएस की चपेट में आए हैं। इनमें से पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में 14, अनुग्रह नारायण मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एएनएमसीएच), गया में एक, श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच), मुजफ्फरपुर में 37, केजरीवाल अस्पताल में पांच व पूर्वी चंपारण सहित विभिन्न पीएचसी में 13 बच्चों का इलाज किया गया। 

इनमें से एसकेएमसीएच में इलाज करा रहे पांच बच्चों की मौत हुई। इसके अलावा पीएमसीएच में एक व पीएचसी में इलाज करा रहे एक बच्चे की मौत हुई है। इस बार एईएस से पीड़ित नौ बच्चों में जेई का वायरस पाया गया। मरने वाले एक बच्चे में भी इसी वायरस का असर था। उन्होंने बताया कि इसमें 57 एईएस के रोगी थे जबकि 19 मामले एईएस (अननोन) की श्रेणी के थे।

एसकेएमसीएच के अधीक्षक डॉ़ सुनील कुमार शाही ने मंगलवार को बताया कि फिलहाल यहां दो एईएस के मरीज भर्ती हैं। उन्होंने कहा कि उनकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। इस साल अब तक 37 मरीज भर्ती हुए थे, जिसमें पांच की मौत हो चुकी है। 
 
एसकेएमसीएच के शिशु विभागाध्यक्ष डॉ़ गोपाल शंकर सहनी कहते हैं कि एईएस से पीड़ित बच्चों में बुखार के अचानक शुरू होता है और शरीर में ऐंठन होती है। ऐसी स्थिति में पीड़ित बच्चों को इलाज के लिए देरी के बिना निकटतम पीएचसी या अस्पताल में ले जाना चाहिए। उनके जल्दी आगमन के साथ जीवित रहने की संभावना बढ़ जाती है। एईएस के शिकार ज्यादातर बच्चे गरीब तबके के होते हैं, जिनमें दलित, अन्य पिछड़ा वर्ग शामिल हैं। 

इधर, राष्ट्रीय मानसिक आरोग्य एवं स्नायु विज्ञान संस्थान (निमहांस) की टीम एईएस पीड़ित बच्चों की लैब जांच एसकेएमसीएच के पीआईसीयू एंड रिसर्च सेंटर में शुरू करेगी। निमहांस के विशेषज्ञों की टीम के आने से पहले यहां भर्ती होने वाले बच्चों व पूर्व में लिए गए ब्लड सैंपल, यूरिन और रीढ़ के पानी की जांच एसकेएमसीएच के माइक्रोबायोलजी की वायरोलजी लैब में होगी। 

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें