ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News बिहारकिशनगंज लोकसभा सीट: मुस्लिम वोटर ही निभाते हैं निर्णायक की भूमिका

किशनगंज लोकसभा सीट: मुस्लिम वोटर ही निभाते हैं निर्णायक की भूमिका

नेपाल और बंगाल की सीमा पर स्थित किशनगंज लोकसभा क्षेत्र का चुनावी इतिहास दिलचस्प रहा है। 1957 से 2014 तक  कुल 16 चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी को आठ बार जीत मिली। सांसदों के चुनाव में मुस्लिम...

किशनगंज लोकसभा सीट: मुस्लिम वोटर ही निभाते हैं निर्णायक की भूमिका
किशनगंज | राकेश कुमारThu, 28 Mar 2019 12:53 PM
ऐप पर पढ़ें

नेपाल और बंगाल की सीमा पर स्थित किशनगंज लोकसभा क्षेत्र का चुनावी इतिहास दिलचस्प रहा है। 1957 से 2014 तक  कुल 16 चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी को आठ बार जीत मिली। सांसदों के चुनाव में मुस्लिम वोट ही यहां निर्णायक रहे हैं। अन्य समकालीन राजनीतिक पार्टी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी  कौर जनता पार्टी को एक- एक बार, जनता दल को दो बार, राजद को तीन बार और भाजपा को एक बार जीत हासिल हुई है। किशनगंज लोकसभा सीट पर पिछले दो चुनाव वर्ष 2009 और 2014 में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी मौलाना असरारुल हक कासमी जीत दर्ज करने में सफल हुये थे। इनके निधन के बाद कांग्रेस लोस चुनाव में  किसे प्रत्याशी बनाती है पार्टी आला कमान के लिए यह विचारणीय विषय बन गया है। किशनगंज लोस क्षेत्र में चार विस क्षेत्र बहादुरगंज, ठाकुरगंज, किशनगंज व कोचाधामन के अलावा पूर्णिया जिले के दो विधानसभा क्षेत्र अमौर और बायसी शामिल हैं। 

गैर कांग्रेसी भी चुने गए हैं
किशनगंज से गैर कांग्रेसी उम्मीदवारों में वर्ष 1967 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से लखन लाल कपूर, वर्ष 1977 में जनता पार्टी से हलीमुद्दीन अहमद सांसद बने। वर्ष 1985 में कांग्रेस सांसद जामिलुर रहमान के निधन के बाद  मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस पार्टी को यह सीट गंवानी पड़ी थी और जनता दल के टिकट पर सैयद शहाबुद्दीन ने वर्ष 1985 और वर्ष 1991 में दो बार जीत दर्ज की थी। वर्ष 1996,1998 और वर्ष 2004 में राजद से मो.तस्लीमुद्दीन ने जीत दर्ज की थी।

मो.तस्लीमुद्दीन तीन बार सांसद बने
मिनी दार्जिलिंग नाम से मशहूर किशनगंज लोकसभा क्षेत्र से वर्ष 1952 से वर्ष 2014 के चुनाव में पहले कांग्रेस प्रत्याशी मो. ताहीर को दो बार,  उसके बाद जामिलुर रहमान व राजद प्रत्याशी मो. तस्लीमुद्दीन को तीन बार किशनगंज का सांसद बनने का सौभाग्य हासिल हुआ था। वहीं वर्ष 1999 में किशनगंज मुस्लिम बहुल लोकसभा क्षेत्र से पहली बार भाजपा प्रत्याशी सैयद शाहनवाज हुसैन ने जीत दर्ज कर सभी को चौंका दिया और वाजपेयी मंत्रिमंडल में संभवत: सबसे कम उम्र के कैबिनेट मंत्री बनने में सफल रहे। 

सूरजापुरी में 70 फीसदी मुस्लिम तो 30 फीसदी अन्य वोटर हैं
बीते लोकसभा चुनाव में 14 लाख 48 हजार 990 मतदाताओं में 9 लाख 28 हजार वोटरों ने मताधिकार का प्रयोग किया था। किशनगंज लोकसभा क्षेत्र सूरजापुरी मुस्लिम बहुल लोकसभा क्षेत्र है। इस लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय में शामिल सूरजापुरी मुसलमान, शेरशाहवादी  मुसलमान, कुल्हिया एवं अन्य मुस्लिम जाति की 70 प्रतिशत आबादी है। वहीं 30 प्रतिशत हिंदु समुदाय से जुड़े विभिन्न जातियों के मतदाता हैं। 

वर्तमान सांसद : सीट खाली (निधन)
चौथे प्रयास में मिली थी असरारुल को सफलता 

वर्ष 2009 व 2014 में पहली बार जिले के निवासी व सूरजापुरी बिरादरी से आनेवाले जमीयत उलेमा ए हिंद   के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना असरारुल हक कासमी ने जीत का परचम लहराया। इसके बाद वर्ष 2014 के चुनाव में भी उन्होंने अपनी जीत का सिलसिला बरकरार रखा। बीते सात दिसंबर 2018 को उनका निधन हो गया। 

18 अप्रैल को चुनाव दूसरा चरण
कुल मतदाता 16,52,940
पुरुष मतदाता 8,55,667 
महिला मतदाता 7,97,215
थर्ड जेंडर 58
मतदान केंद्र 1065

कौन जीते कौन हारे
2014 
जीते: असरारुल हक , कांग्रेस,     4,93,461
हारे : दिलीप जायसवाल, बीजेपी, 2,98,849

2009
जीते : असरारुल हक, कांग्रेस, 2,39,405 
हारे : महमूद अशरफ,जदयू,      15,9,136

2004 
जीते : तस्लीमुद्दीन, राजद,       4,20,331
हारे : शाहनवाज, बीजेपी,       2,59,834

1999
जीते: शाहनवाज हुसैन, बीजेपी, 2,58,035
हारे: मो. तस्लीमुद्दीन,राजद,     2,49,387 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें