अमृत समान मां का दूध भी नवजात को बना सकता है बीमार? 7 महीने की स्टडी में सामने आई ये बात
स्तनपान के गलत तरीके से प्रसूताएं नवजात बच्चों को बीमार कर रही हैं। यह चौंकाने वाली बात डॉक्टरों की पड़ताल में देखने को मिला है। जब गलत तरीके के कारण नवजात स्तनपान नहीं कर पाता है तो मां समझ जाती है...
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स्तनपान के गलत तरीके से प्रसूताएं नवजात बच्चों को बीमार कर रही हैं। यह चौंकाने वाली बात डॉक्टरों की पड़ताल में देखने को मिला है। जब गलत तरीके के कारण नवजात स्तनपान नहीं कर पाता है तो मां समझ जाती है कि उसे दूध नहीं उतर रहा है और वह अपने बच्चे को बाहर का दूध पिलाना शुरू कर देती है। जब बहुत देर हो जाती है तब वह डॉक्टर के पास दूध न बनने व बच्चे के बीमार होने की शिकायत के साथ पहुंचती है। डॉक्टर ऐसी महिलाओं से जब दूध पिलाने के तरीके के बारे में जानकारी लेता है तो पता चलता है कि मां को दूध न उतरने की कोई समस्या ही नहीं होती है।
जेएलएनएमसीएच पीजी शिशु रोग विभाग के रिटायर्ड चिकित्सक डॉ. आरके सिन्हा ने बताया कि उन्होंने जनवरी 2021 से लेकर जुलाई माह तक शिशु रोग विभाग के ओपीडी से लेकर उनके स्वयं के क्लीनिक में दूध न बनने की शिकायत लेकर पहुंची मांओं का अध्ययन किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि करीब 22 प्रतिशत मां बनने वाली महिलाओं को अपने बच्चों को दूध पिलाने का तरीका न मालूम न होने के कारण उनका दूध उनका बच्चा नहीं पी सका। मायागंज अस्पताल की ओपीडी में हर रोज औसतन 15 से 20 की संख्या में ऐसी महिलाएं पहुंच रही हैं, जिन्हें स्तनपान का सही तरीका मालूम ही नहीं होता है। इस बीच वे अपने नवजात बच्चे को बाहर का दूध पिलाती रहती हैं। बाहरी दूध नवजात बच्चों के लिए नुकसानदायक होता है। यहां तक बाहर का दूध न केवल बच्चों के रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है बल्कि उन्हें बीमार बनाने लगता है। यहां तक ऐसे बच्चे अन्य नवजात बच्चों की तुलना में जल्दी कोरोना की गिरफ्त में आ सकते हैं। क्योंकि रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से बच्चों में बीमारियों से लड़ने की शक्ति कमजोर हो जाती है।
तरीका बदला तो बच्चा करने लगा स्तनपान
हवाई अड्डा क्षेत्र की निवासी रश्मि कुमारी को पांच जुलाई को बेटा पैदा हुआ। शुरू में एक-दो दिन तक बच्चे ने स्तनपान तो किया लेकिन उसके बाद से ही बच्चा बिल्कुल दूध नहीं पी रहा था। रश्मि ने सोचा कि दूध न बनने की वजह से बच्चा स्तनपान नहीं कर रहा है। इसके बाद वे अपने बच्चे को बाहर का दूध पिलाने लगी। करीब 18 दिन तक बच्चे को वे दूध पिलाती रही। इसके बाद बच्चा कमजोर होने लगा। जबकि रश्मि को पीलिया हो गया। इसके बाद वे डॉ. आरके सिन्हा से मिली और और डॉ. सिन्हा ने रश्मि से दूध पिलाने के तरीके के बारे में पूछा तो पता चला कि उनका स्तनपान का तरीका ही गलत था। इसके बाद रश्मि ने तरीका बदला तो बच्चा दूध पीने लगा।
डॉ. आरके सिन्हा कहते हैं कि सिजेरियन से प्रसव होने के दो घंटे के अंदर और नार्मल डिलेवरी के आधे घंटे के अंदर अगर मां अपने बच्चे को दूध नहीं पिलाती है तो उसके दूध उतरने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। ऐसे में इस अवधि के अंदर मां को अपने बच्चे को स्तनपान जरूर कराना चाहिए।