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बिहार से टिड्डियां भागीं तो लीफ वेबर आये, कृषि विभाग ने एडवाइजरी जारी की

विदेशी वायरस कोरोना से लोग परेशान हैं ही अब दूसरे राज्य के कीड़े ने बागीचों में तबाही मचानी शुरू कर दी है। टिड्डियों को भगाने में सफलता मिली तो नया कीड़ा लीफ वेबर पहुंच गया। आम के बागीचे इस कीड़े के...

बिहार से टिड्डियां भागीं तो लीफ वेबर आये, कृषि विभाग ने एडवाइजरी जारी की
पटना। हिन्दुस्तान ब्यूरोThu, 30 Jul 2020 02:55 PM
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विदेशी वायरस कोरोना से लोग परेशान हैं ही अब दूसरे राज्य के कीड़े ने बागीचों में तबाही मचानी शुरू कर दी है। टिड्डियों को भगाने में सफलता मिली तो नया कीड़ा लीफ वेबर पहुंच गया। आम के बागीचे इस कीड़े के साफ्ट टार्गेट हैं। लिहाजा उत्तर बिहार के कई जिलों में इसका फैलाव होने लगा है। कृषि अधिकारियों ने किसानों की चिंता को देख एडवाइजरी जारी की है। 

राज्य में उत्तर बिहार के किसान लगातार कृषि अधिकारियों से इस परेशानी को लेकर अपनी चिंता जता रहे हैं। दरभंगा और मधुबनी के इलाकों में इसका ज्यादा विस्तार हुआ है, लेकिन पूर्व बिहार की तरफ आम के पेड में यह कीड़ा नहीं पहुंचा है। 

कहां से आई बीमारी 
विशेषज्ञ बताते हैं कि यह कीड़ा मध्यप्रदेश में पाया जाता था। यह आम के पत्तों में जाल बना देता है, लिहाजा पत्ते सूख जाते हैं, इसीलिए इसका नाम लीफ वेबर (पत्ता वेबर) रखा गया है। मानसून में बदलाव के कारण इस बार यह कीड़ा यहां पहुंचा है। अगर इसे समय रहते नहीं रोका गया तो कई बागीचों को यह सुखा देंगे। 

कैसा होता है कीड़ा 
कृषि विभाग के उप निदेशक अनिल झा कहते हैं कि पहले यह एक छोटा कीड़ा के रूप में पत्ते पर दिखता है। जुलाई से दिसम्बर के बीच ही यह कीड़ा लगता है। कुछ ही दिनों में इसके सैकड़ों बच्चे एक पत्ते पर हो जाते हैं। लिहाजा सप्ताहभर में ही पेड़ के सभी पत्तों में जाल बना देता है। शुरू में अगर कीड़े को मारा नहीं गया तो बाद में इसका विस्तार होने पर रोकना कठिन हो जाता है। 

कीड़े का प्रबंधन 
झा बताते हैं कि जिस पत्ते में जाल बना हो उसको तोड़कर जला देना चाहिए। उसके बाद लैम्बडायसायहलोथ्रीन पांच ईसी का दो एमएल एक लीटर पानी में डालकर छिड़काव करना चाहिए। दूसरा छिड़काव 15 से 20 दिन के भीतर करना होगा। इसमें क्वीनाल्फोस 25 ईसी का भी इस्तेमाल किसान कर सकते हैं। अगर बागीचे में जैविक खेती की गई हो तो बी थुरूजेन्सीस का छिड़काव होना चाहिए।

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