Labourers returned Bihar from Tamil Nadu told violence fear hiding in houses secretly coming by trains हिंसा के डर से घरों में दुबक रहे, छिपकर ट्रेनों से आ रहे; तमिलनाडु से बिहार लौटे मजदूरों ने सुनाई आपबीती, Bihar Hindi News - Hindustan
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हिंसा के डर से घरों में दुबक रहे, छिपकर ट्रेनों से आ रहे; तमिलनाडु से बिहार लौटे मजदूरों ने सुनाई आपबीती

तमिलनाडु में हिंदीभाषी मजदूर डरे-सहमे हैं। चेन्नई के बाहरी इलाकों में हो रही मारपीट की घटनाओं के बाद अब वे लोग अपने घर लौटने लगे हैं। उनकी आंखों में खौफ साफ नजर आ रहा है।

Jayesh Jetawat हिन्दुस्तान, मोतिहारी नवादा बिहारशरीफFri, 3 March 2023 07:59 AM
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हिंसा के डर से घरों में दुबक रहे, छिपकर ट्रेनों से आ रहे; तमिलनाडु से बिहार लौटे मजदूरों ने सुनाई आपबीती

तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों से कथित हिंसा के मामले पर राजनीति चरम पर है। तमिलनाडु सरकार ने हिंदी भाषी लोगों से हिंसा के आरोपों से नकार दिया है। हालांकि, वहां से घर लौट रहे डरे-सहमे लोगों ने जो आपबीती बताई है, वो सुनकर आपकी रूह कांप जाएगी। मजदूरों का कहना है कि लगातार हिंदी भाषी बिहारी मजदूरों पर हो रहे हिंसक हमलों की वजह से वे बाहर निकलने से कतरा रहे हैं। स्थानीय लोग उन्हें पकड़-पकड़कर पूछ रहे हैं कि वे कहां से हैं, फिर तमिल में गालियां देकर उनके साथ बुरी तरह मारपीट कर रहे हैं। आलम यह है कि अब तमिलनाडु से मजदूरों ने वापस अपने गृह राज्य बिहार लौटना शुरू कर दिया है। वे ट्रेनों में छिप-छिपकर घर आ रहे हैं।

पूर्वी चंपारण जिले के सुगौली आसपास के आधा दर्जन गांवों में इस मामले पर चिंता दिख रही है। यहां के दर्जनों लोग तमिलनाडु में मजदूरी करते हैं और कइयों के मोबाइल बंद मिल रहे हैं। सुगौली नगर के निमुई, बेलइठ, बिशुनपुरवा आदि गांवों व प्रखण्ड के कैथवलिया, भवानीपुर, गोड़ीगांवा आदि गांवों के बड़ी संख्या में लोग तमिलनाडु के विभिन्न स्थानों पर मिलों में काम करते हैं। घर के लोग लगातार संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं,  पर हो नहीं रहा है।

तरपुर राइस मिल में काम कर रहे सुगौली के सुगांव के उपेंद्र राम ने हिन्दुस्तान से फोन पर बातचीत में बताया कि वे लोग जहां हैं, वहीं से हिंसक घटना की शुरुआत हुई है। लगातार ऐसी घटनाएं हो रही हैं। डर के कारण कोई मजदूर मिल से बाहर नहीं निकल रहा है। खाने-पीने का सामान मिल मालिक ही उपलब्ध करा रहे हैं। दिन में वे लोग अपना मोबाइल बंद रख रहे हैं। किसी को घर बात करनी होती है तो रात में ही हो पाती है। जोलाब, नामकल, कांगियन, मदुरई, सेलम आदि जगहों पर बड़ी संख्या में मजदूर काम कर रहे हैं।

तमिलनाडु कमाने गए मजदूरों के परिजन प्रभा देवी, कौशल्या देवी, रजनी देवी, शालो देवी आदि ने बताया कि उनके पति और बेटे करीब छह महीने पहले वहां कमाने गए। अपने लोगों को फोन कर रहे हैं लेकिन संपर्क नहीं हो पा रहा है। मोबाइल बंद मिल रहे हैं। कौशल्या देवी ने बताया कि बेटे को फोन किया था। दो-तीन बार घंटी बजी है लेकिन फोन नहीं उठा। अब फोन बंद मिल रहा है। इस बाबत बीडीओ तेजप्रताप त्यागी ने बताया कि वरीय अधिकारियों को मामले की जानकारी दी जा रही है ताकि यहां से लोगों को सुरक्षित वापसी सुनिश्चित कराई जा सके।

तमिलनाडु से लौटे मजदूरों की आंखों में खौफ

तमिलनाडु में हिंदीभाषी मजदूर डरे-सहमे हैं। चेन्नई के बाहरी इलाकों में हो रही मारपीट की घटनाओं के बाद अब वे लोग अपने घर लौटने लगे हैं। तमिलनाडु से बुधवार की देर रात धनबाद-एलेप्पी एक्सप्रेस से रांची के रास्ते पटना होते हुए देसरी लौटे चार मजदूरों की आंखों में खौफ दिख रहा था। वहां के एक कपड़ा मिल में धागा कटिंग का काम करने वाले रोनित ने बताया- करीब 20 दिन से वहां पर माहौल खराब है। मेरे भैया और चाचा के दो लड़के अब भी वहीं हैं। उन्होंने मुझे और गांव के तीन अन्य लोगों को टिकट कटवाकर भेज दिया। बोले कि गाड़ी और अन्य चीजें हैं, उसे बेचकर लौट आएंगे। वहां पर बढ़ते हमलों को देखते हुए दहशत में मेरा पूरा परिवार जी रहा है।

रोनित ने हिन्दुस्तान से हुई बातचीत में बताया कि 24 फरवरी की बात है। वे लो बस से मिल पर ड्यूटी के लिए जा रहे थे। इसी बीच प्लाई बस स्टैंड पर तमिल युवकों के झुंड ने बस को रुकवाया और पूछा कि तुम लोग कहां के रहने वाले हो। उन्होंने बिहार बताया तो वे तमिल में गालियां देने लगे और कहा कि तुम लोगों के कारण उनकी पारिश्रमिक कम हो गई है। उनके धमकाने के बाद सभी मजदूर रातभर तनाव में रहे। रात में ही ट्रेन का टिकट बनवाया और एक दिन बाद दोपहर के डेढ़ बजे निकले। वहां दिन में हमले कम हो रहे हैं। 

ट्रेनों में भी बिहारियों से हो रही पिटाई

अम्मानगर, अंगेरीपालियम और पिचमपालियम में भी माहौल खराब है। गोविंदपुर, अख्तयारपुर और छितरौली के लोग वापस लौट रहे हैं। ये बिहार आने वाली सीधी ट्रेनों से न आकर दूसरी ट्रेनों से आ रहे हैं। क्योंकि बिहार आने वाली सीधी ट्रेनों में सवार हिंदीभाषियों को स्थानीय लोग पीट रहे हैं।

छिप-छिपकर ट्रेन से आ रहे हैं मजदूर

तमिलनाडु के कुछ बाहरी इलाकों में हिंदीभाषी मजदूरों पर हो रहे हमले से उनके परिजन चिंतित हैं। नवादा से वहां काम करने गए लोगों के अनुसार, ज्यादातर लोग छिप-छिपकर ट्रेन व बसों से अपने घर लौटने लगे हैं। तमिलनाडु के केलमबाकम, बेलाचरी, त्रिमाण मयूर, टीनगर, तारामनी, सोलिंगानूर, हावड़ी, अंबतपुर में बिहार के विभिन्न जिलों के करीब एक लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं। इनमें ज्यादातर विभिन्न कंपनियों, रेस्टोरेंट और होटलों में मजदूरी करते हैं। इन जगहों पर कपड़ा और चाय की दुकान लगाकर भी हिंदीभाषी अपनी आजीविका चलाते हैं।

सबसे ज्यादा घटनाएं इन्हीं इलाकों में हो रही हैं। हालांकि टीनगर में हिन्दी भाषियों की संख्या ज्यादा होने के कारण वहां स्थिति सामान्य है, फिर भी लोग डरे-सहमे हैं। लोग अपने घर जाने के लिए परेशान हैं। चेन्नई की एक फैक्ट्री में काम कर रहे नवादा के कौआकोल निवासी युवक के अनुसार, इस समय फैक्ट्री में तो कोई दिक्कत नहीं हो रही है, लेकिन सड़क पर निकलने में डर लग रहा है। उसके अनुसार, जमुई के सिकंदरा के एक युवक की उसके मकान में ही हत्या कर फांसी पर लटका दिया गया था। डर के कारण लोग सामने नहीं आ रहे हैं। 

चोरी-छिपे फैक्ट्री में काम करने जा रहे मजदूर हिंदीभाषी मजदूर और फुटपाथ पर दुकान लगाने वाले लोग सहमे हैं। सात दिन से मजदूर चोरी-छिपे फैक्ट्री में काम करने जा रहे हैं। फुटपाथी दुकानदार भी अपनी दुकानें बंद कर घरों में कैद हो गए हैं। डरे-सहमे सैकड़ों लोग अपनी दुकानें नहीं खोल रहे हैं। कौआकोल थाना क्षेत्र के सोखोदेवरा के कुछ युवकों ने ‘हिन्दुस्तान’ से फोन पर बातचीत में कहा कि हालात बहुत खराब हैं।