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नीतीश की मेहनत पर पानी फेर रहे माकन और अधीर रंजन? JDU बोली- ममता, केजरीवाल पर बयानबाजी रोके कांग्रेस

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले भाजपा विरोधी दलों की एकता को लेकर 12 जून को पटना में पहली औपचारिक मीटिंग से पहले जेडीयू कांग्रेस के कुछ नेताओं पर भड़क गई है जो साथ आ रहे दलों के नेताओं के खिलाफ बोल रहे हैं।

नीतीश की मेहनत पर पानी फेर रहे माकन और अधीर रंजन? JDU बोली- ममता, केजरीवाल पर बयानबाजी रोके कांग्रेस
Ritesh Vermaलाइव हिन्दुस्तान,पटनाWed, 31 May 2023 06:47 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों की एकता को लेकर बिहार के सीएम और जेडीयू के सर्वोच्च नेता नीतीश कुमार की मेजबानी में पटना में 12 जून को होने वाली पहली बैठक से पहले जेडीयू कांग्रेस के कुछ नेताओं पर भड़क गई है। दिल्ली में अजय माकन आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ बोल रहे हैं तो पश्चिम बंगाल में अधीर रंजन चौधरी टीएमसी और सीएम ममता बनर्जी पर निशाना साध रहे हैं। जेडीयू ने कांग्रेस से नेताओं की ऐसी बयानबाजी रोकने की अपील की है जो साथ आ रहे नेताओं और पार्टियों को दूर कर सकती है।

जेडीयू को लग रहा है कि नीतीश ने बड़ी मेहनत से ममता बनर्जी, अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल को कांग्रेस के साथ बैठने के लिए राजी किया है। ये तीनों कुछ समय पहले तक गैर भाजपा और गैर कांग्रेस मोर्चा बनाने की वकालत करने वाले नेता रहे हैं। ऐसे में अजय माकन और अधीर रंजन चौधरी जैसे कांग्रेसी नेताओं की बयानबाजी से विपक्षी एकता की राह में रोड़े खड़े हो सकते हैं।

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तेलंगाना के सीएम और बीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव नीतीश कुमार से पटना आकर मिले थे लेकिन बाद में अपनी ही पार्टी बीआरएस की रैली में नीतीश को नहीं बुलाया। केसीआर ने जनवरी में खम्मम में आयोजित बीआरएस की पहली रैली में सपा अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव, आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, सीपीएम नेता और केरल के सीएम पिनराई विजयन, सीपीआई के महासचिव डी राजा को बुलाया था। जेडीयू और कांग्रेस को अब यह पूरी तरह साफ हो चुका है कि केसीआर विपक्षी एकता की इस कोशिश से अलग हैं।

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जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव और केसीआर पिछले एक साल से गैर कांग्रेसी, गैर बीजेपी मोर्चा बनाने के प्रयास में लगे थे। नीतीश के एनडीए छोड़ने के बाद देश की राजनीति में एक नया बदलाव आया और गैर बीजेपी दलों के जुटने की प्रक्रिया शुरू हुई। त्यागी ने बताया कि नीतीश ने ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल, शरद पवार, उद्धव ठाकरे समेत तमाम नेताओं से मुलाकात में यह बात स्पष्ट रूप से रखी है कि बगैर कांग्रेस को साथ लिए बीजेपी का कोई मजबूत विकल्प नहीं बन सकता।

त्यागी ने कहा कि नीतीश उन नेताओं से मिले और उनको विपक्षी एकता की कोशिश में जुड़ने के लिए तैयार किया जिनसे कांग्रेस का संवाद तक नहीं था। नीतीश की कोशिश का नतीजा है कि 12 जून को विपक्षी एकता की पहली बैठक में कांग्रेस के साथ-साथ ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल, शरद पवार, उद्धव टाकरे समेत अन्य नेता आ रहे हैं। त्यागी ने कहा कि ऐसे माहौल में जब नीतीश सबको साथ लाने में लगे हैं, वैसे में कांग्रेस के नेताओं का साथ आ रहे नेताओं के खिलाफ बोलना अनावश्यक है। जेडीयू नेता ने कहा कि कांग्रेस को ऐसे नेताओं को रोकना चाहिए।

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दिल्ली में कांग्रेस से सत्ता छीनकर सरकार बनाने वाली अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी से कांग्रेस और अजय माकन लगातार लड़ रहे हैं। कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनाव में दिल्ली में एक भी सीट नहीं जीत सकी और उसे वोट भी महज 4 परसेंट के करीब मिले थे। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को दिल्ली में 22 परसेंट से ज्यादा जबकि आप को 18 परसेंट वोट मिला था। दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में 5 पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही थी जबकि आप सिर्फ 2 सीट पर निकटतम प्रतिद्वंदी थी। 

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पश्चिम बंगाल में 2019 के लोकसभा चुनाव में 5 परसेंट से कुछ ज्यादा वोट लेकर 2 सीट जीतने वाली कांग्रेस 2021 का विधानसभा चुनाव लेफ्ट पार्टियों के साथ लड़ी लेकिन एक सीट नहीं जीत सकी। सागरदिघी में मार्च में उपचुनाव जीतकर कांग्रेस ने विधानसभा में खाता खोला था लेकिन उस एकमात्र विधायक बायरन बिस्वास को ममता बनर्जी ने दो दिन पहले टीएमसी में शामिल कर लिया। इस पर अधीर रंजन से जयराम रमेश तक ने टीएमसी को नसीहत दे दी कि इस तरह से विपक्षी एकता मजबूत नहीं होगी। ममता बनर्जी ने जब कहा था कि कांग्रेस बंगाल में टीएमसी से ना लड़े तो अधीर रंजन चौधरी ने पलटवार में कहा था कि पश्चिम बंगाल ही नहीं, जहां-जहां जरूरत होगी, वहां-वहां कांग्रेस लड़ेगी। 

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