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कश्‍मीर में आतंक का असर: जम्मू से आने वाली ट्रेनें फुल, दिसंबर के पहले हफ्ते तक नहीं हैं सीटें

जम्मू कश्मीर में गैर कश्मीरी लोगों को टारगेट कर हत्या किए जाने के बाद वहां रह रहे लोग चिंतित हैं। कुछ लोग घर लौट रहे हैं तो कई असमंजस में हैं कि वहां रहा जाए या नहीं। फिलहाल जम्मूतवी से बिहार के...

कश्‍मीर में आतंक का असर: जम्मू से आने वाली ट्रेनें फुल, दिसंबर के पहले हफ्ते तक नहीं हैं सीटें
रविशंकर सिंह,पटना Fri, 22 Oct 2021 10:45 AM
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जम्मू कश्मीर में गैर कश्मीरी लोगों को टारगेट कर हत्या किए जाने के बाद वहां रह रहे लोग चिंतित हैं। कुछ लोग घर लौट रहे हैं तो कई असमंजस में हैं कि वहां रहा जाए या नहीं। फिलहाल जम्मूतवी से बिहार के अलग-अलग शहरों तक और यहां के स्टेशनों से होकर गुजरने वाली ट्रेनों में लंबी वेटिंग चल रही है।

जम्मूतवी से पटना आने वाली 02356 जम्मूतवी-पटना अर्चना स्पेशल में सामान्य श्रेणी से लेकर शयनयान व थर्ड एसी में लंबी वेटिंग है। स्लीपर में इस ट्रेन में 24 अक्टूबर को 284, 27 अक्टूबर को 229, 31 अक्टूबर को 238, तीन नवंबर को 238, सात नवंबर को 141 और 10 नवंबर को 177 वेटिंग है। वहीं, इसी ट्रेन के थर्ड एसी में 24 अक्टूबर को 58, 27 अक्टूबर को 52, 31 अक्टूबर को 84, तीन नवंबर को 79, सात नवंबर को 43 और 10 नवंबर को 14 वेटिंग है, जबकि इस ट्रेन में सेकेंड सीटिंग में अक्टूबर से नवंबर के दूसरे हफ्ते तक लंबी वेटिंग है। उधर, जम्मूतवी से बक्सर, आरा, पटना, मोकामा, किउल के रास्ते हावडा जाने वाली 02332 स्पेशल में स्लीपर, थर्ड एसी व सामान्य श्रेणी में लंबी वेटिंग है। इस ट्रेन के स्लीपर में 24 अक्टूबर को 254, 25 अक्टूबर को 270, 28 अक्टूबर को 271, 31 अक्टूबर को 287 और एक नवंबर को 318 वेटिंग है। चार नवंबर को इसमें रीग्रेट स्थिति है।

गया के रास्ते जाने वाली ट्रेनों में भी टिकट नहीं

जम्मूतवी से सासाराम, गया के रास्ते हावड़ा जाने वाली ट्रेन में 22 अक्टूबर से 27 अक्टूबर तक किसी भी श्रेणी में टिकट उपलब्ध नहीं है। जम्मूतवी कोलकाता स्पेशल 03152 में स्लीपर श्रेणी में 22 अक्टूबर को 274, 23 अक्टूबर को 183, 24 अक्टूबर को 190, 25 अक्टूबर को 151, 26 अक्टूबर को 148 और 27 अक्टूबर को 140 वेटिंग है। इसी तरह इसमें थर्ड एसी में 22 अक्टूबर को 72, 23 अक्टूबर को 91, 24 अक्टूबर को 54, 25 अक्टूबर को 50, 26 अक्टूबर को 40 और 27 अक्टूबर को 47 वेटिंग है, जबकि इस ट्रेन में 22 अक्टूबर को सेकेंड सीटिंग में रीग्रेट है। बाकी तिथियों में भी वेटिंग है।

किस ट्रेन में कितनी चल रही है वेटिंग

जम्मूतवी से बिहार के दूसरे शहरों में आने के लिए भी मारामारी की स्थिति है। जम्मूतवी से दरभंगा के रास्ते कामाख्या जाने वाली 05656 जम्मूतवी कामाख्या स्पेशल में स्लीपर में 27 अक्टूबर को रीग्रेट है। तीन नवंबर को 245, 10 नवंबर को 162, 17 नवंबर को 142, 24 नवंबर को 134 और एक दिसंबर को 95 वेटिंग है। इसी ट्रेन में थर्ड एसी में 27 अक्टूबर को 73, तीन नवंबर को 101, 10 नवंबर को 51, 17 नवंबर को 44, 24 नवंबर को 23 जबकि एक दिसंबर को 15 वेटिंग है। उधर, 05098 जम्मूतवी भागलपुर फेस्टिवल स्पेशल में स्लीपर श्रेणी में 26 अक्टूबर को 288, दो नवंबर को 431, नौ नवंबर को 174, 16 नवंबर को 142, 23 नवंबर को 121 और 30 नवंबर को 83 वेटिंग है। इसी ट्रेन में थर्ड एसी में 26 अक्टूबर को 124 जबकि दो नवंबर को 128 वेटिंग है और नौ नवंबर को आरएसी है। उधर, जम्मूतवी से मुजफ्फरपुर आने वाली दो ट्रेनें भी फुल हैं। 04698 मौरध्वज स्पेशल में स्लीपर में 22 अक्टूबर को 291, 29 अक्टूबर को 301, पांच नवंबर को 305, 12 नवंबर को 163, 19 नवंबर को 119, 26 नवंबर को 96 वेटिंग है। थर्ड एसी में 22 अक्टूबर से 26 नवंबर तक 100 के आसपास वेटिंग है। उधर, 05654 जम्मूतवी मुजफ्फरपुर स्पेशल में स्लीपर में 22 व 29 अक्टूबर को रीग्रेट है। पांच नवंबर को 328 वेटिंग है, 12 नवंबर को 260, 19 नवंबर को 181 और 26 नवंबर को 208 वेटिंग है।

दर्द: जम्मू में शाम होते ही घरों में रहने के लिए मजबूर हैं लोग

जम्मूतवी से पटना आने वाली अर्चना स्पेशल के यात्रियों ने भी अपना दर्द बयां किया। यात्रियों का कहना है कि जम्मूतवी से बिहार आने के लिए लोगों में होड़ मची है। 02356 जम्मूतवी पटना अर्चना स्पेशल गुरुवार को तय समय से पहले ही जंक्शन पहुंच गई। रात के पौने नौ बजे की जगह यह ट्रेन आठ बजकर 27 मिनट पर जंक्शन आ गई। इस ट्रेन से आने वाले यात्रियों ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि कश्मीर के हालात पहले जैसे नहीं हैं। फुलवारीशरीफ के मो. जफर ने बताया कि वे सेब के बगीचे की देखरेख का काम कर रहे थे, लेकिन वहां के हालत ने उन्हें घर लौटने को विवश कर दिया। कहा कि पिछले एक महीने से लगातार गैर कश्मीरी लोगों को शाम ढलते ही घरों में रहने की बेबसी है। राजमिस्त्रत्त्ी का काम करने वाले सोनू ने बताया कि उन्हें पूरे परिवार के संग बोरिया बिस्तर समेट कर आना पड़ा। उनकी पत्नी अनामिका ने बताया कि अब अपने गांव में ही रहकर गुजारा करेंगे, लेकिन बाहर नहीं जाएंगे। सीवान के सौरभ सिंह ने बताया कि वे एक निजी फर्म में काम करते हैं। अब वहां सब कुछ सामान्य होने पर ही जाएंगे।

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