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बिहार के सपूतों की शहादत को याद रखेगा देश, शहीद चंदन के पिता बोले- देश के काम आ गया बेटा

बिहार के रणबांकुरों ने जान देकर की सरहद की सुरक्षा की। बिहटा के सुनील, समस्तीपुर के अमन, सहरसा के कुंदन, आरा के चंदन और वैशाली के जयकिशोर ने चीनी सैनिकों के दांत खट्टे कर दिये। झारखंड के कुंदन ओझा...

बिहार के सपूतों की शहादत को याद रखेगा देश, शहीद चंदन के पिता बोले- देश के काम आ गया बेटा
आरा हिन्दुस्तान टीमThu, 18 Jun 2020 08:00 AM
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बिहार के रणबांकुरों ने जान देकर की सरहद की सुरक्षा की। बिहटा के सुनील, समस्तीपुर के अमन, सहरसा के कुंदन, आरा के चंदन और वैशाली के जयकिशोर ने चीनी सैनिकों के दांत खट्टे कर दिये। झारखंड के कुंदन ओझा मूलत: आरा के रहने वाले थे।

भोजपुर के एक और सपूत ने देश की खातिर शहादत दे दी। भारत-चीन की सीमा पर लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष में भोजपुर का बहादुर बेटा चंदन कुमार वीरगति को प्राप्त हो गया। सीमा विवाद में चीन के सैनिकों के साथ झड़प के दौरान बहादुरी और पराक्रम दिखाते हुए चंदन ने अपनी जान न्योछावर कर दी। 

शहीद चंदन जगदीशपुर अनुमंडल के ज्ञानपुरा गांव निवासी हृदयानंद के पुत्र हैं। बुधवार की दोपहर चंदन की शहादत की खबर परिजनों को मिली। इससे उनके घर सहित पूरे गांव का माहौल गमगीन हो गया। एकबारगी शहादत की खबर से ग्रामीण भी सन्न रह गये। हालांकि घर व गांव के लोगों को अपने बहादुर बेटे की शहादत पर गर्व भी है। 

रूंधे गले से पिता ने कहा कि बेटे को खोने का गम तो पिता ही समझ सकता है पर सुकून इस बात का है कि उनका छोटा बेटा देश के काम आ गया। उनका बेटा अमर हो गया। इससे बड़ी खुशी क्या हो सकती है? चंदन कुमार चार भाइयों में सबसे छोटे हैं। उनकी शादी अभी नहीं हुई थी। तीनों बड़े भाई सेना में ही हैं। इनमें एक भाई गोपाल कुमार चीनी बॉर्डर पर ही तैनात है। होमगार्ड की नौकरी छोड़ देने वाले पिता अभी गांव पर रहकर खेती-बारी करते हैं। 

सोमवार की रात ही भोजपुर जिले के बिहिया के पहरपुर गांव निवासी रविशंकर ओझा के पुत्र कुंदन ओझा भी चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष में शहीद हो गये थे। हालांकि उनका परिवार काफी समय से झारखंड के साहिबगंज के डिहारी गांव में रहता है। इस खूनी संघर्ष में अब तक जिले के दो बहादुर बेटे बलिदान हो चुके हैं। उल्लेखनीय है कि लद्दाख की गलवान घाटी में पिछले एक माह से जारी टकराव सोमवार की रात हिंसक हो गया था। इस दौरान चीन के सैनिकों ने रात के अंधेरे में भारत के जवानों पर हमला कर दिया। इस संघर्ष में भारत के 20 जांबाज जवान शहीद हो गये। इनमें भोजपुर के भी दो सपूत शामिल हैं।

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