ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News बिहारस्वतंत्रता दिवस पर विशेष: पटना सचिवालय के सात शहीदों में ओबरा के जगतपति थे शामिल-Video

स्वतंत्रता दिवस पर विशेष: पटना सचिवालय के सात शहीदों में ओबरा के जगतपति थे शामिल-Video

औरंगाबाद जिले के ओबरा प्रखंड के खरांटी गांव का नाम स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा है। इसी गांव के जगतपति कुमार 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान पटना सचिवालय पर तिरंगा फहराने के क्रम में शहीद हुए थे।...

स्वतंत्रता दिवस पर विशेष: पटना सचिवालय के सात शहीदों में ओबरा के जगतपति थे शामिल-Video
ओबरा। हिन्दुस्तान टीमWed, 14 Aug 2019 07:06 PM
ऐप पर पढ़ें

औरंगाबाद जिले के ओबरा प्रखंड के खरांटी गांव का नाम स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा है। इसी गांव के जगतपति कुमार 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान पटना सचिवालय पर तिरंगा फहराने के क्रम में शहीद हुए थे। अंग्रेजों ने उन्हें व उनके अन्य 6 अन्य मित्रों गोली मार दी थी। उस वक्त वे पटना बीएन कॉलेज के छात्र थे। इसी दौरान भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई और वे इसमें कूद पड़े।

9 अगस्त को डॉ राजेंद्र प्रसाद और 11 अगस्त को अनुग्रह नारायण सिन्हा की गिरफ्तारी के बाद छात्र समूह विचलित हो उठा और ब्रिटिश हुकूमत पर टूट पड़ा। छात्रों की टोली सचिवालय पर तिरंगा फहराने के लिए निकल पड़ी। वे जैसे ही सचिवालय गेट की ओर तिरंगा लेकर बढ़े अंग्रेज डीएम डब्ल्यूजी आर्चर ने उनपर गोली चलवा दी। एक-एक छात्र शहीद होते गए और दूसरा तिरंगे को थामता गया। यहां 7 छात्र शहीद हुए। उन्हीं छात्रों में एक था शहीद जगतपति कुमार। पटना में सचिवालय गोलंबर स्थित इन शहीदों के स्मारक इनकी वीरता और राष्ट्रीयता के अखंड गवाह हैं। ओबरा में भी पुनपुन नदी के तट पर शहीद जगपति का स्मारक बना है।

जन्म और प्रारंभिक शिक्षा घर पर
जगतपति कुमार का जन्म 7 मार्च 1923 को खरांटी में हुआ था। इनके पिता का नाम सुखराज बहादुर तथा माता का नाम सोना देवी था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल हुई। 1932 में उच्च शिक्षा के लिए ये पटना गए। कॉलेजिएट स्कूल से 1938 में इन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की और फिर बीएन कॉलेज में दाखिला लिया। इनके पिता जमींदार थे और अपने तीन भाइयों में ये सबसे छोटे थे।

रोते-रोते अंधे हो गए थे पिता
शहीद जगतपति के घर रहने वाले रामजन्म पांडय बताते हैं कि वह बचपन से ही क्रांतिकारी थे। हमेशा करो या मरो की बात करते थे। वे सुभाष चंद्र बोस के साथ जापान भी गए थे। वहां क्या ट्रेनिंग हुई नहीं पता, लेकिन वहां से पटना आए और अपने दोस्तों के साथ सचिवालय पर झंड़ा फहरान के लिए निकल गए। अंग्रेजों ने पहले ऐसा नहीं करने के लिए सावधान किया, लेकिन वे लोग नहीं माने और आगे बढ़ते गए। इसके बाद अंग्रेजों ने गोली चलवा दी। जगतपति को पहली गोली पैर में लगी तो उन्होंने ललकारते हुए कहा कि पैर में क्यों गोली मार रहे हो। सिने में गोली मारो। रामजन्म पांडेय ने आगे बताया कि उनके पिता सुखराज बहादुर उनकी याद में रोते-रोते अंधे हो गए थे। उन्होंने सरकारी उपेक्षा का आरोप लगाया

उपेक्षित है शहीद जगपति स्मारक
औरंगाबाद व खरांटी में बना शहीद जगपति का स्मारक उपेक्षा का शिकार है। शहीद दिवस 11 अगस्त को इसे सजाया संवारा जाता है और फिर वर्ष भर इसका कोई देखनहार नहीं होता। खरांटी स्थित इन का पैतृक घर भी खंडहर में तब्दील हो चुका है। इनके परिवार से जुड़े लोग अन्यत्र रहते हैं। घर के चारों ओर घास-फनूस उगे हैं। स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा यह स्थल उपेक्षित और वीरान है। सरकारी स्तर से उनकी याद में कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाता है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें