Hindi Newsबिहार न्यूज़House will be witness for third time for election of Speaker of Bihar Legislative Assembly and history will repeat after 51 years

बिहार विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव का तीसरी बार गवाह बनेगा सदन, 51 साल बाद आज दोहराएगा इतिहास

17वीं बिहार विधानसभा के नए अध्यक्ष को लेकर यदि सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच सर्वानुमति नहीं बनी और मतदान की नौबत आयी तो इतिहास में यह तीसरी मर्तबा होगा, जब विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए बिहार...

बिहार विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव का तीसरी बार गवाह बनेगा सदन, 51 साल बाद आज दोहराएगा इतिहास
Sunil Abhimanyu पटना। हिन्दुस्तान ब्यूरो, Wed, 25 Nov 2020 01:23 AM
हमें फॉलो करें

17वीं बिहार विधानसभा के नए अध्यक्ष को लेकर यदि सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच सर्वानुमति नहीं बनी और मतदान की नौबत आयी तो इतिहास में यह तीसरी मर्तबा होगा, जब विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए बिहार विधानसभा चुनाव का गवाह बनेगा। इतिहास 51 साल बाद फिर दोहराया जाएगा।

विजय कुमार सिन्हा और अवध बिहारी चौधरी में कौन अगला विस अध्यक्ष होगा, यह फैसला तो बुधवार को दोपहर साढ़े ग्यारह बजे के बाद होगा, लेकिन ऐसे दो फैसले सन् 1967 और 1969 में हो चुके हैं। तब भी पक्ष-विपक्ष के मतों के आधार पर सदन में अध्यक्ष पद पर निर्णय हुए थे। 

बात 1967 की करें तो तब 16 मार्च को कार्यकारी अध्यक्ष दीप नारायण सिंह ने अध्यक्ष का निर्वाचन कराया था। उन्होंने सदन को बताया था कि अध्यक्ष पद के लिए 9 सदस्यों द्वारा प्रस्ताव की सूचना मिली है। सत्तापक्ष की ओर से छह प्रस्ताव थे, जिनमें एक का प्रस्ताव सच्चिदानंद सिंह की ओर से सदन में रखा गया। उन्होंने धनिक लाल मंडल का नाम अध्यक्ष पद के लिए सदन के सामने रखा। श्रीकृष्ण सिंह ने प्रस्ताव का अनुमोदन किया। विपक्ष की ओर से सनाथ राउत ने प्रस्ताव रखा कि विधानसभा के अध्यक्ष पद पर हरिहर प्रसाद सिंह चुने जाएं। किशोरी प्रसाद ने इस प्रस्ताव का अनुमोदन किया। इसके बाद कार्यकारी अध्यक्ष दीप नारायण सिंह ने सदन के समक्ष प्रश्न रखा-प्रश्न यह है कि धनिक लाल मंडल विधानसभा अध्यक्ष चुने जाएं। उसके बाद सभा ‘हां’ और ‘ना’ में विभक्त हुई। ‘हां’ के पक्ष में 171 जबकि ‘ना’ के पक्ष में 126 सदस्यों ने मत दिया और सदन में प्रस्ताव स्वीकृत हो गया। धनिक लाल मंडल विधानसभा के अध्यक्ष चुन लिए गए। 

इसी प्रकार विस अध्यक्ष पद पर चुनाव की नौबत 11 मार्च, 1969 को आयी। तब भी सदन में दो सदस्य जमालुद्दीन और बिंदेश्वरी दूबे ने तबतक अपनी सदस्यता की शपथ नहीं ली थी। कार्यकारी अध्यक्ष के पास विस अध्यक्ष पद के लिए कुल छह प्रस्ताव आए थे, जिनमें वापस होने पर दो रह जाने की वजह से चुनाव कराना पड़ा था। उस समय हरिहर प्रसाद सिंह ने रामनारायण मंडल को अध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव रखा, जगदेव प्रसाद ने इसका अनुमोदन किया। वहीं कर्पूरी ठाकुर ने अध्यक्ष पद के लिए धनिक लाल मंडल के नाम का प्रस्ताव किया और इसका अनुमोदन राम अवधेश सिंह ने किया। रामानंद तिवारी ने भी इसका अनुमोदन किया लेकिन सूची में नाम नहीं होने से उनका अनुमोदन स्वीकृत नहीं हुआ। उसके बाद मतदान हुआ और राम नारायण मंडल को अध्यक्ष बनाए जाने के पक्ष में 155 जबकि विपक्ष में 149 वोट पड़े। हरिहर प्रसाद सिंह और भोला पासवान शास्त्री ने राम नारायण मंडल को विस अध्यक्ष के आसन तक ससम्मान लाकर उसपर बिठाया।
 

लेटेस्ट   Hindi News,   बॉलीवुड न्यूज,  बिजनेस न्यूज,  टेक ,  ऑटो,  करियर ,और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें