हिन्दुस्तान स्पेशल: जगमग रहने वाली औद्योगिक नगरी डालमियानगर हो गई वीरान, 39 सालों से किसका है इंतजार?
कभी औद्योगिक नगरी के तौर पर पहचान बनी चुकी रोहतास इंडस्ट्रीज डालमियानगर आज वीरान हो गई है। 39 सालों से अपने खोए अस्तित्व को पाने की कोशि कर रही है। बीते कई सालों से यहां उद्योग-धंधा चौपट है
औद्योगिक नगरी के रूप में अपनी अलग पहचान रखने वाला रोहतास इंडस्ट्रीज डालमियानगर पिछले 39 वर्षों से अपने खोये अस्तित्व को पाने के लिए बाट जो रहा है। कभी रात में भी जगमग करने वाला औद्योगिक नगरी आज वीरान है। अब यह उद्योग इतिहास के पन्नों में दफन होने के कगार पर है। रेल कारखाना का भी शिलान्यास हुए 15 वर्ष गुजर गए, लेकिन इन 15 वर्षों में एक ईंट भी नहीं जुड़ा।
2007 में रेल कारखाना खोलने की पहल
2007 में तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद ने यहां रेलवे कारखान खोलने के लिए पहल किया था। कोर्ट से रेलवे ने डालमियानगर उद्योग पुंज को 140 करोड़ रूपए में खरीदा था। 2009 में रेलवे कारखाना का शिलान्यास तत्कालीन यूपीए अध्यक्षा सोनिया गांधी के हाथों हुआ था, लेकिन 2009 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद रेल मंत्रालय ममता बनर्जी के पास चला गया और ये मामला ठंडा पड़ गया।
2023-2024 बजट में एक हजार रुपए हुआ आवंटित
प्रत्येक वर्ष बजट से पहले डालमियानगर में रेल कारखाना खुलने की उम्मीद यहां के लोगों को लग जाती है। लेकिन, बाद में लोगों को निराशा ही हाथ लगती है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में डालमियानगर रेल वैगन कारखाना के लिए मात्र एक हजार रुपए का आवंटन किया गया है। जबकि प्रोजेक्ट का प्रस्तावित खर्च 403.19 करोड़ का था, वहीं इस प्रोजेक्ट को 2022 तक पूरा हो जाना चाहिए था। वर्तमान तक इस प्रोजेक्ट पर 24.93 करोड़ रुपए खर्च किया जा चुका है।
1933 में रखी गई थी नींव
डालमियानगर इंडस्ट्रीज की नींव रामकृष्ण डालमिया ने 1933 में रखी थी। धीरे-धीरे यह उद्योग पुंज एशिया का सबसे बड़े औद्योगिक परिसर में बदल गया। डालमियानगर औद्योगिक परिसर में उद्योग की शुरुआत के समय शाहाबाद क्षेत्र में गन्ने की खेती बहुत ज्यादा होती थी। इसी को मद्देनजर रखते हुए 18 मार्च 1933 को रोहतास शुगर लिमिटेड कंपनी पंजीकृत की गई थी, जिसकी अधिकृत पूंजी 30 लाख थी और पूंजी 16.12 लाख थी। 22 अप्रैल 1933 को कंपनी ने अपना व्यापार शुरू कर दिया। 15 मई 1933 को चीनी मिल के लिए सर सुल्तान अहमद द्वारा नींव का पत्थर रखा गया था।
बोस ने किया था सीमेंट फैक्ट्री का उद्घाटन
वर्ष 1937 में बिहार के तत्कालीन गवर्नर सर मॉरिस हैलेट ने प्रतिदिन 500 टन की क्षमता वाले सीमेंट फैक्ट्री का नींव रखा था। सीमेंट फैक्ट्री के लिए मशीनों को डेनमार्क से लाया गया था। सीमेंट प्लांट का निर्माण कार्य 1939 में पूरा कर लिया गया था।
मार्च 1938 में स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इस सीमेंट कारखाना का उद्घाटन किया था। उस समय यह सीमेंट कारखाना पूरे भारत में सबसे बड़ा एकल इकाई कारखाना था। सीमेंट उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए वर्ष 1950 में समान क्षमता वाले कारखाना को लगाया गया। इसके बाद 1956 में प्रतिदिन 800 टन सीमेंट उत्पादन क्षमता वाले तीसरे कारखाना को लगाया गया। धीरे-धीरे खत्म हो गया।
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