PHOTO- नहाय-खाय के साथ छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शुरू, घाटों पर उमड़ी भीड़
नहाय खाय के साथ लोकआस्था के महापर्व छठ का चारदिवसीय अनुष्ठान रविवार को शुरू हो गया। व्रतियों ने गंगा में स्नान कर छठी मईया के गीत गाये। चार पहल रात जल थल सेविला, पटना के घाट पर, केलवा के पात पर उगलन...
नहाय खाय के साथ लोकआस्था के महापर्व छठ का चारदिवसीय अनुष्ठान रविवार को शुरू हो गया। व्रतियों ने गंगा में स्नान कर छठी मईया के गीत गाये। चार पहल रात जल थल सेविला, पटना के घाट पर, केलवा के पात पर उगलन सुरुज देव जैसे गीतों से व्रतियों ने भगवान भास्कर के प्रति अपना आस्था प्रकट की। गंगा घाट से लेकर नदी तालाबों और घर की छतों पर व्रतियों के सूर्योपसना के गीत से वातावरण पावन हो गया।
राजधानी के गंगा घाटों पर गंगा जल लाने के लिये भी तांता लगा रहा। नंगे पाव गंगा घाटों पर पहुंचे लोगों ने पीतल के बरतनों में गंगा जल उठाया और व्रतियों का इसी पावन जल से खाना तैयार हुआ। हर घर में उत्सवी माहौल के बीच लोकमंगल के गीत गायन का सिलसिला देर तक चलता रहा।
घाट से घर की छतों पर सुखाया जा रहा गेहूं
गंगा घाटों, घर की छतों ओर अन्य जगहों पर बड़ी पवित्रता के साथ व्रतियों ने प्रसाद के लिये गेहूं धोया। व्रती धूप में बैठकर गेहूं सुखाते दिखे। इसी से अर्घ्य के लिये ठेकूआ का प्रसाद तैयार किया जाएगा। देसी घी और कद्दू की खरीद भी सुबह से ही राजधानी के बाजारों में चलती रही। सूप और दउरे का बाजार भी गुलजार रहा। देर शाम मीलों पर गेहूं पिसाने के लिये हर उम्र व वय के लोग पंक्तियों में दिखे।
सोमवार को खरना के बाद निर्जला अनुष्ठान
सोमवार को व्रती पूजा के बाद खरना का प्रसाद ग्रहण करेंगे। इसके बाद अगले 36 घंटे का निर्जला अनुष्ठान शुरू हो जाएगा। खरना का प्रसाद बनाने के लिये आम की लकड़ी और मिट्टी से बने चूल्हे की खरीद सोमवार को दिनों भी होती रही। फलों की मंडियों में भी उल्लास का वातावरण दिखा और अर्ध्य के लिये फलों की खरीद देर शाम तक चलती रही।
शहर को चकाचक बनाने में जुटे रहे आम लोग
व्रतियों के गंगा घाट तक जाने वाले रास्ते को चकाचक करने में आम लोग भी शामिल हो गये। आम लोग के स्वच्छता संकल्पों को देखकर लोगों ने भी कूड़ा फैलाने से परहेज किया। आम ओ खास लोग हाथ में झाड़ू लेकर छठ की महिमा बखान करते नजर आये।
मंगलवार को पहला अर्घ्य
मंगलवार को अस्तालचलगामी सूर्य को व्रती पहला अर्घ्य देंगे। इसके बाद बुधवार को उगते सूरज को अर्घ्य देकर व्रती पारण करेंगे। इसके बाद प्रसाद खाकर व्रती अपना उपवास तोड़ेंगे।