संकट में अन्नदाता: कोरोना के बाद बाढ़ बहा ले गई किसानों की आस, धान की फसल चौपट
रबी में कोरोना से झुलसने के बाद मानसून ने किसानों में आस जगाई थी। वर्षों बाद आषाढ़ में इतनी अच्छी बारिश हुई थी। किसानों ने जमकर धनरोपनी भी की। फसल लहहानी शुरू ही की थी कि सावन ने किसानों के आस पर...
रबी में कोरोना से झुलसने के बाद मानसून ने किसानों में आस जगाई थी। वर्षों बाद आषाढ़ में इतनी अच्छी बारिश हुई थी। किसानों ने जमकर धनरोपनी भी की। फसल लहहानी शुरू ही की थी कि सावन ने किसानों के आस पर पानी फेर दिया। वैशाली जिले को छोड़कर तिरहुत और दरभंगा प्रमंडल के जिलों में तीस से चालीस फीसदी तक धान की फसल बह चुकी है। किसानों के साथ ही विभागीय अधिकारियों का मानना है कि चालीस से पचास फीसदी तक उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
किसानों ने बताया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में बाढ़ अप्रत्याशित नहीं है मगर इस बार मानसून का मिजाज कुछ अलग था। गायघाट के किसान उपेन्द्र ठाकुर ने बताया कि पिछले कई सालों से मानसून धोखा देता रहा है। शुरू में बारिश हो जाती है। फिर बारिश के बिना बिचड़ा सूख जाता है। खेत पटाकर धनरोपनी करनी होती थी। बाद में बारिश होती है इसके लिए किसान पिछात प्रजाति के धान अधिक लगाते थे।
इस बार बिचड़ा पूरी तरह से तैयार भी नहीं हुआ था कि बारिश होने लगी। लोगों ने छोटे पौधे ही खेत में लगा दिए। इसके कारण खेतों में कम पानी लगने के कारण भी पौधे बर्बाद हो गए। पौधा संरक्षण विभाग के अधिकारी श्रीकांत सिंह ने कहा कि पौधे बड़े होने पर नुकसान कम होता है। आमतौर पर सावन के अंत और भादो में अच्छी बारिश होती है। तब तक पौधे बड़े हो जाते हैं। इसके कारण इस बार ऊपरी जमीन की फसल भी बर्बाद हुई है।
बाढ़ प्रभावित इलाकों की स्थिति अधिक दयनीय है। मुजफ्फरपुर के कटरा,औराई ,गायघाट,बंदरा और पारू में 60 से 80 फीसदी फसल की बर्बादी हुई है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार तिरहुत प्रमंडल में सबसे कम केवल दस फीसदी नुकसान वैशाली में हुई है। मुजफ्फरपुर में पांच प्रखण्डों की स्थिति खराब है। मगर बेतिया, मोतिहारी, सीतामढ़ी और शिवहर में साठ फीसदी तक के नुकसान का आकलन किया जा रहा है। पौधा संरक्षण विशेषज्ञ श्रीकांत सिंह के अनुसार इन जिलों के हजारों हेक्टेयर में लगी फसल में पौधे के ऊपर से पानी बह रहा है। वे पौधे अगर बचे भी तो उसमें बालियां नहीं आएंगी। बाद में पौधे सूख जाते या वे मरधन्ना (बालिया नहीं आती) हो जाते हैं।
केला और सब्जियों को भी भारी नुकसान
लगातार बारिश और बाढ़ के कारण धान के साथ ही केला और सब्जियों की फसलों को भी भारी नुकसान हुआ है। मीनापुर के केला उत्पादक वीरेन्द्र सिंह ने बताया कि अब टिशू कल्चर के पौधे अधिक लगाए जा रहे हैं। देसी पौधों की तरह वे पानी नहीं बर्दाश्त कर पाते। इसके कारण भी नुकसान झेलना पड़ा है। सब्जियां तो पूरी तरह से डूब चुकी हैं।
पानी निकलते ही शुरू होगा नुकसान का आकलन
प्रमंडल के सभी जिलों में बाढ़ और लगातार बारिश के कारण धान की फसल की भारी क्षति हुई है। लंबे समय बाद समय से नब्बे फीसदी से अधिक रोपनी हुई थी। पानी उतरने के बाद क्षति का आकलन कर मुआवजे कें लिए सरकार को रिपोर्ट भेजी जाएगी।
राम प्रकाश सहनी, संयुक्त कृषि निदेशक, तिरहुत प्रमंडल
आंकड़ों की नजर में ::
जिले के नाम लक्ष्य रोपनी नुकसान
मुजफ्फरपुर 1.30 लाख 1.23 लाख 25 फीसदी
सीतामढ़ी 97 हजार 92 हजार 80 फीसदी
शिवहर 25 हजार 21 हजार 90 फीसदी
वैशाली 54 हजार 50 हजार 20 फीसदी
पूर्वी चंपारण 1.83 लाख 1.68 लाख 50 फीसदी
प.चंपारण 1.38 लाख 1.32 लाख 50 फीसदी
दरभंगा 93 हजार 90 हजार 60 फीसदी
मधुबनी 1.44 लाख 1.20 लाख 40 फीसदी
समस्तीपुर 90 हजार 85 हजार 30 फीसदी
(नोट : लक्ष्य और रोपनी हेक्टेयर में । नुकसान : विभागीय आकलन)