गरीब सवर्णों के EWS आरक्षण पर महागठबंधन में मतभेद, RJD ने किया था विरोध, नीतीश ने समर्थन दिया
EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महागठबंधन में मतभेद नजर आ रहा है। आरजेडी ने दोनों सदनों में EWS का विरोध किया था तो वहीं नीतीश कुमार ने EWS पर SC के फैसले का स्वागत किया है।

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गरीब सवर्णों को आरक्षण के मुद्दे पर बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। महागठबंधन में शामिल आरजेडी और जेडीयू दोनों की इस मुद्दे पर अलग-अलग राय है। लालू यादव की पार्टी आरजेडी ने संसद के दोनों सदनों में EWS आरक्षण का विरोध किया था। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के EWS पर फैसले का स्वागत किया है। नीतीश कुमार ने कहा कि केंद्र को 27 फीसदी ओबीसी कोटे को बढ़ाने पर विचार करना चाहिए। इसके साथ ही नीतीश ने भी देश में जाति जनगणना कराने की भी मांग की है जो वो बिहार में करवाने वाले हैं। नीतीश कुमार ने कहा कि अनुसूचित जाति को 15% और अनुसूचित जनजाति को 7.5% आरक्षण का प्रावधान उनकी जनसंख्या के अनुसार है। लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ ऐसा नहीं है।
EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी सांसद और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा कि आरजेडी ने संसद के दोनों सदनों में EWS आरक्षण का विरोध किया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने EWS आरक्षण पर मुहर लगा दी है। सुशील मोदी ने कहा कि अब तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी किस मुंह से सवर्णों के वोट मांगने जाएगी।
वहीं दूसरी तरफ आरजेडी EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देश में जाति आधारित जनगणना की मांग कर रही है। आरजेडी का कहना है कि सामाजिक न्याय के लिए जरूरी है कि देश में जाति आधारित जनगणना हो। आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि हम गरीबों के आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं लेकिन आरक्षण का लाभ उन स्वर्ण गरीबों को मिलना चाहिए जो हाशिए पर हैं।
