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बिहार: देश के पहले ट्रांसमैन सिपाही बने ट्रांसजेंडर रचित राज, कैमूर एसपी के बॉडीगॉर्ड के रूप में हुई तैनाती

रचित राज राज्य के पहले ट्रांसजेंडर कांस्टेबल बन गये हैं। यही नहीं देश के पहले ट्रांसमैन सिपाही हो गये हैं। रचना से रचित बन चुके हैं और अभी कैमूर एसपी की गोपनीय शाखा में तैनात हैं। 23 वर्षीय रचित 2018...

बिहार: देश के पहले ट्रांसमैन सिपाही बने ट्रांसजेंडर रचित राज, कैमूर एसपी के बॉडीगॉर्ड के रूप में हुई तैनाती
वरीय संवाददाता,पटनाWed, 22 Sep 2021 07:17 AM

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रचित राज राज्य के पहले ट्रांसजेंडर कांस्टेबल बन गये हैं। यही नहीं देश के पहले ट्रांसमैन सिपाही हो गये हैं। रचना से रचित बन चुके हैं और अभी कैमूर एसपी की गोपनीय शाखा में तैनात हैं। 23 वर्षीय रचित 2018 बैच के सिपाही हैं। 

वे बताते हैं कि साल 2016 से उन्हें अहसास होने लगा कि वह लड़कों के जैसा महसूस करते हैं। सजना-संवरना और सूट-सलवार पहनना पसंद नहीं था। धीरे-धीरे जब सोशल मीडिया से जुड़ने लगे तो लड़कों की बजाय लड़कियां अच्छी लगती थीं। रचित ने इंटर के बाद स्नातक में एडमिशन लिया है। 

वह बताते हैं कि जहां पर काम कर रहे हैं, सभी मान-सम्मान देते हैं। मेरी पहचान के साथ लोगों ने स्वीकार करना शुरू कर दिया है लेकिन रचना से रचित बनने की राह इतनी आसान नहीं है। बाजार निकलते हैं तो लोग हंसी उड़ाते हैं। देखो लड़की लड़का जैसा चलता है। शुरू-शुरू में लोगों से लड़ना पड़ जाता था। बहुत दु:ख होता था। 

वह चाहकर किसी को अपनी बातें कह नहीं पाते थे, लेकिन अब लोगों की बातों को नजरअंदाज करके अपने काम में लग जाता हूं। ट्रांसमैन बनने के लिए एफिडेविट दे दिया है। वह बताते हैं कि उन्होंने लड़की के शरीर में जन्म लिया है, लेकिन अब लड़का बनकर आगे की जिंदगी जीना चाहते हैं। लेकिन राज्य में ट्रांसजेंडर होकर पहचान बनाने के लिए बहुत मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं। 

कोई ऐसा निर्धारित केंद्र नहीं है, जहां जाकर वह अपनी पहचान को प्रमाणपत्र हासिल कर सकें। ट्रांसजेंडर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 कहता है कि कोई भी व्यक्ति अपनी पहचान को सामने ला सकता है, लेकिन निर्धारित केंद्र नहीं होने से अलग-अलग जगहों पर पुराने प्रमाणपत्रों को शैक्षणिक प्रमाणपत्र बनाकर नौकरी के कागजात में परिवर्तित करने के लिए दिक्कतें आ रही हैं।

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