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उत्तर बिहार में 5 से ज्यादा जगहों पर बांध टूटे, 100 से ज्यादा गांवों में घुसा पानी

उत्तर बिहार में अधिकांश जिलों में नदियां तबाही मचा रही हैं। कई जगहों पर बांध टूटने से सैकड़ों घरों में पानी घुस गया है। मिथिलांचल में जहां केवटी और बेनीपुर में बांध टूटा, वहीं मुजफ्फरपुर जिले में...

उत्तर बिहार में 5 से ज्यादा जगहों पर बांध टूटे, 100 से ज्यादा गांवों में घुसा पानी
मुजफ्फरपुर। हिन्दुस्तान टीमMon, 03 Aug 2020 06:43 AM
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उत्तर बिहार में अधिकांश जिलों में नदियां तबाही मचा रही हैं। कई जगहों पर बांध टूटने से सैकड़ों घरों में पानी घुस गया है। मिथिलांचल में जहां केवटी और बेनीपुर में बांध टूटा, वहीं मुजफ्फरपुर जिले में तिरहुत नहर का बांध टूटा। उधर महम्मदपुर कोठी चौक स्थित बूढ़ी गंडक नदी से जुड़े तिरहुत नहर का बांध पहले दस फीट में टूटा। वहीं सरैया में बाया नदी का बांध टूटने से कई इलाके में पानी का फैलाव होने लगा है।  

मिथलांचल में भी बाढ़ से तबाही घट नहीं रही। दरभंगा के केवटी प्रखंड की कर्जापट्टी पंचायत के विरने में शनिवार की देर रात एक बार फिर अधवारा पर बना पूर्वी महराजी बांध टूट गया। इससे करीब सौ घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है। हालांकि बाढ़ नियंत्रण विभाग के कर्मियों और ग्रामीणों के सहयोग से बांध की मरम्मत शुरू कर दी गई है। उधर, बेनीपुर प्रखंड के कन्हौली में शनिवार की देर रात को कमला बांध टूट जाने से कई गांवों में तेजी से पानी घुस रहा है। यहां भी बांध की मरम्मत का काम शुरू किया गया है।

इधर, नगर निगम क्षेत्र के कई मोहल्लों में अब भी बाढ़ का पानी है। घरों में घुटनाभर पानी घुसा हुआ है। कई कम्युनिटी किचेन सेन्टर पर पानी आ जाने से परेशानी बढ़ गयी है। करेह और सिरानिया-सिरसिया तटबंध में रिसाव जारी रहने से हायाघाट और बहेड़ी प्रखंड के लोग दहशत में हैं। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार बागमती नदी बेनीबाद में गत तीन दिनों से स्थिर है। यह खतरे के निशान से 94 सेंटीमीटर ऊपर है। मुंडा रेल पुल के गार्डर के ऊपर से बाढ़ का पानी बह रहा है। अधवारा नदी कमतौल में 91 सेंमी व एकमीघाट में बाढ़ का पानी दो मीटर ऊपर बह रहा है।  
इधर, सीतामढ़ी-शिवहर में कमला,अधवारा और लखनदेई का जलस्तर कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर रहा। समस्तीपुर में गंडक, बूढ़ी गंडक व करेह के पानी से सौ से अधिक गांव बाढ़ प्रभावित हैं।  

चंपारण में घटने लगा बाढ़ का पानी, पीड़ितों को थोड़ी राहत 
चंपारण में नदियों के जलस्तर में गिरावट से बाढ़ पीड़ितों को थोड़ी राहत मिली है। मोतिहारी में गंडक व बूढ़ी गंडक नदी के जलस्तर में गिरावट दर्ज की गई है। चटिया में गंडक के जलस्तर में कमी रिकार्ड की गई है। बूढ़ी गंडक लालबकेया में 70.53 मीटर पर स्थिर रही।  दूसरी तरफ वाल्मीकिनगर बराज से रविवार को गंडक में 1,92,100 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। पश्चिम चंपारण के लौरिया, चनपटिया व माझौलिया प्रखंड के गांवों से बाढ़ का पानी उतरने लगा है।

मुजफ्फरपुर में अफरातफरी, गांवों में घुसा पानी, सड़कों पर बवाल
 रविवार अहले सुबह तीन बजे मुजफ्फरपुर जिले में तिरहुत नहर का बांध टूटने से दो प्रखंड मुरौल और सकरा के सौ से अधिक गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया। महम्मदपुर कोठी चौक स्थित बूढ़ी गंडक नदी से जुड़े तिरहुत नहर का बांध पहले दस फीट में टूटा, पानी का बहाव इतना तेज रहा कि दोपहर तीन बजते-बजते करीब दो सौ फीट में बांध कट गया। गांवों में पानी भरता देख ग्रामीण जान-माल की सुरक्षा में सड़क पर भागने लगे। दिन में सड़क पर भीड़ बढ़ते देख पुलिस ने लोगों का नियंत्रित करने का प्रयास किया। दो गांवों के लोगों में विवाद से बवाल भी हुआ। पुलिस को स्थिति संभालने के लिए लोगों पर लाठीचार्ज करनी पड़ी। इस दौरान आक्रोशित भीड़ ने पथराव भी किया। पुलिस की पिटाई में कई लोग जख्मी हुए। कुछ जवानों के भी पथराव में जख्मी होने की बाद सामने आ रही है। इस बांध के टूटने-तोड़ने को लेकर कई आरोप प्रत्यारोप होते रहे। ग्रामीणों में तनाव का सबसे बड़ा कारण यही था। बूढ़ी गंडक से जुड़े इस तिरहुत नहर का बांध मुख्य धारा से करीब डेढ़ सौ मीटर दूरी पर टूटा है जिससे नदी का पानी नहर की ओर मुड़ गया है।

 इधर, सरैया में बाया नदी का बांध टूटने से कई इलाके में पानी का फैलाव होने लगा है। मुजफ्फरपुर-छपरा एनएच 722 पर अभी भी संकट बना हुआ है। इस इलाके में भी अफरातफरी मची रही।

स्थिति नियंत्रित करने के लिए पुलिस को सख्ती बरतनी पड़ी : डीएम
तिरहुत नहर का बांध टूटने के बाद उपजे विवाद और लोगों पर हुए लाठीचार्ज पर डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि मुरौल में जहां नहर का तटबंध टूटा है वहां दो गांवों के लोग आपस में लड़ रहे थे। स्थति काफी तनावपूर्ण थी। दोनों गांवों के लोग आपस में पथराव करने लगे। स्थिति नियंत्रण करने के लिए पुलिस को सख्ती बरतनी पड़ी है। जहां तक लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने तटबंध को जेसीबी से तोड़ा है तो यह गलत है। जल संसाधन विभाग के सभी इंजीनियर मौके पर मौजूद थे। महम्मदपुर कोठी गांव में जिस जगह पर तटबंध टूटा था वहां से पानी कम निकल रहा था जबकि नहर के दूसरे तटबंध पर दबाव काफी बढ़ रहा था। दूसरा तटबंध टूटता तो मुशहरी और शहरी क्षेत्र के कई इलाके पर बाढ़ का संकट बढ़ जाता। ऐसे में निर्णय लिया गया कि जिस तरफ तटबंध टूटा है उसी तरफ पचास मीटर पहले तटबंध का कटाव किया जाए। लेकिन जेसीबी लगाने के साथ ही नजदीक के पुल में रिसाव होने लगा। इसके बाद तटबंध को काटने की योजना तुरंत रोक दी गई।

 
 

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