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कोरोना संक्रमित अब हो रहे धमनियों में सूजन के शिकार, शोध में खुलासा, आंखों की रोशनी कम होने और ब्रेन हेमरेज की भी बढ़ी समस्या

कोरोना संक्रमित हो चुके लोग अब धमनियों में सूजन और इसके कठोर होने की समस्या के भी शिकार हो रहे हैं। ऐसे मरीजों के शरीर के अन्य हिस्सों में खून पहुंचने की प्रकिया में बाधा पैदा हो रही है। इससे बीपी,...

कोरोना संक्रमित अब हो रहे धमनियों में सूजन के शिकार, शोध में खुलासा, आंखों की रोशनी कम होने और ब्रेन हेमरेज की भी बढ़ी समस्या
पटना, हिन्दुस्तान टीमSun, 22 Aug 2021 04:49 PM

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कोरोना संक्रमित हो चुके लोग अब धमनियों में सूजन और इसके कठोर होने की समस्या के भी शिकार हो रहे हैं। ऐसे मरीजों के शरीर के अन्य हिस्सों में खून पहुंचने की प्रकिया में बाधा पैदा हो रही है। इससे बीपी, शुगर, हृदयाघात और ब्रेन हैमरेज जैसी बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है। यह खुलासा एम्स पटना में किए गए शोध में हुआ है। यह शोध 200 से अधिक कोरोना संक्रमितों पर किया गया है। अंतिम रूप से इनमें 69 ऐसे मरीजों को शामिल किया गया, जिनको पहले से बीपी, शुगर, हृदय रोग, किडनी आदि से संबंधित कोई बीमारी नहीं थी। 

शोध में पाया गया कि धमनियों में सूजन के कारण कम उम्र के लोग भी बड़ी संख्या में इन बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। पहले इन बीमारियों के कारणों को मुख्यत: उम्र से जोड़ा जाता था। शोध के बाद अब पोस्ट कोविड इफेक्ट में खून में थक्के और गाढ़ापन के साथ धमनियों में सूजन को बीमारियों का मुख्य कारण माना जाने लगा है। एम्स पटना के इस शोध को एम्स दिल्ली समेत क्रिटिकल केयर यूनिट की प्रतिष्ठित पत्रिका में भी सराहा गया है। 

संक्रमित होने से पहले नहीं थे बीपी, शुगर और हृदय रोग से  ग्रसित

शोध टीम के प्रभारी एम्स के डॉ. नीरज कुमार ने बताया कि शोध में 18 साल से 45 साल के लोग शामिल किए गये, जिनको पहले से हाई बीपी, शुगर, हृदय रोग जैसी कोई बीमारी नहीं थी। संक्रमित होने के बाद ये अस्पताल में भर्ती हो इलाज करा चुके थे। 
ऐसे लोगों को तीन वर्गों में बांटा गया था। माइल्ड (आंशिक), मॉडरेट (कम गंभीर)  और सिवियर (गंभीर) श्रेणी में। आंशिक वर्ग में 28, मॉडरेट वर्ग में 21 और सिवियर वर्ग में 20 पीड़ितों को शोध में शामिल किया गया।

शोध में दो बातें पता चलीं। पहली-जिनका संक्रमण जितना ज्यादा गंभीर था, उनकी धमनियों में सूजन व कठोरता उतनी अधिक थी। दूसरी- हृदय रोग, बीपी, शुगर का कारण सिर्फ उम्र नहीं बल्कि कोविड भी हो गया है। यह जांच पेरिस्कोप नामक अत्याधुनिक मशीन के माध्यम से की गई। एम्स निदेशक डॉ. प्रभात कुमार सिंह के निर्देशन में हुए शोध को डॉ. नीरज कुमार, डॉ. संजीव कुमार की टीम ने किया। टीम में डॉ. अभ्युदय, डॉ. अमरजीत, डॉ. अजीत, डॉ. कुणाल, डॉ. वीणा सिंह और डॉ. दिवेन्दू भूषण भी शामिल थे। 

शोध से इलाज में होगी आसानी

शोध को एम्स नई दिल्ली समेत सभी प्रमुख मेडिकल संस्थानों के विशेषज्ञों ने सराहा है। इससे कोरोना संक्रमित हुए ऐसे लोगों के इलाज में काफी मदद मिलेगी, जिन्हें अचानक हाई बीपी, शुगर, हृदय रोग, ब्रेन हैमरेज, सिर में दर्द, आंखों की रोशनी में कमी आदि की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। धमनियों को दुरुस्त करने के लिए कई दवाइयां उपलब्ध हैं। इसके सही इस्तेमाल से अचानक बढ़ी इन बीमारियों को नियंत्रित किया जा सकता है। 
- डॉ. नीरज कुमार, एनिस्थिसियोलॉजिस्ट व शोध टीम के प्रभारी

 

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