सीट बंटवारे पर लालू-नीतीश को तीन महीने छकाएगी कांग्रेस! जानिए RJD-JDU का टिकट मिलने में क्यों हो सकती है देरी?
लोकसभा चुनाव समय पर हुए तो भी अब घोषणा में पांच-छह महीने ही बाकी हैं इसलिए एनडीए हो या इंडिया गठबंधन, हर तरफ सीट बंटवारे को लेकर गठबंधन के सहयोगी दल हड़बड़ी में हैं ताकि सीट पर कैंडिडेट काम कर सके।

लोकसभा चुनाव समय पर हों तो भी अब 2024 के चुनाव के ऐलान में बमुश्किल छह महीने का समय बचा है। ऐसे में चाहे एनडीए हो या इंडिया गठबंधन, सहयोगी दल सीट बंटवारे की हड़बड़ी में हैं ताकि सीट पता चले तो कैंडिडेट फाइनल कर सकें और फिर उम्मीदवार क्षेत्र में प्रचार का काम कर सके। लेकिन सीट शेयरिंग की बात दोनों ही गठबंधन में रफ्तार नहीं पकड़ रही है। अब नई खबर सामने आ रही है कि कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए एक मास्टरप्लान बनाया है जिसके तहत वो इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे पर कोई भी फैसला तीन महीने तक टालने की कोशिश करेगी। कांग्रेस की कोशिश हो सकती है कि किसी भी तरह लालू यादव और नीतीश कुमार को छकाया जाए और सीट बंटवारे पर फैसला नवंबर तक टाला जाए। इस वजह से आरजेडी और जेडीयू के लोकसभा कैंडिडेट को टिकट देने के ऐलान में भी देरी हो सकती है।
मकसद बस एक है- राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के विधानसभा चुनाव नतीजों से पहले सीट बंटवारा नहीं करना। सूत्रों ने बताया कि हैदराबाद में कांग्रेस कार्यसमिति की विस्तारित बैठक में पार्टी नेतृत्व ने जहां कांग्रेस के साथ-साथ इंडिया गठबंधन को मजबूत बनाने की अपील की वहीं राजस्थान, दिल्ली, एमपी, पंजाब और छत्तीसगढ़ के नेताओं ने गठबंधन में सीट बंटवारे की बातचीत को चुनाव नतीजों तक टालने की बात उठाई। इन नेताओं का कहना रहा कि इस साल के अंत तक जिन पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं उनमें तीन से चार जगह कांग्रेस जीत सकती है और उसकी सरकार बन सकती है।
कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में जीत के बाद कांग्रेस के हौसले बुलंद है अलग-अलग राज्यों में मजबूत क्षेत्रीय दल गठबंधन के अंदर उसे ज्यादा सीट देने को तैयार नहीं हैं। इन नेताओं को लगता है कि तीन-चार राज्यों में जीत से कांग्रेस की ताकत गठबंधन के अंदर और बढ़ेगी और सीट बंटवारे में पार्टी इसका फायदा मोल-भाव करके ज्यादा सीट झटकने में कर सकती है।
इंडिया गठबंधन के सूत्रधारों में एक आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव ने दावा किया था कि 13 सितंबर को दिल्ली की बैठक में सीट बंटवारे पर बात शुरू हो जाएगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। इस मामले में जेडीयू नेता केसी त्यागी ज्यादा सटीक निकले जिन्होंने कहा था कि इस मीटिंग में गठबंधन के प्रचार अभियान और उठाने वाले चुनावी मुद्दों पर बात होगी। नीतीश लगातार कह रहे हैं कि समय से पहले चुनाव हो सकता है। ऐसे में सीट बंटवारे पर देरी के लिए कोई सहयोगी तैयार नहीं है। सारी पार्टियां चाहती हैं कि सीट तय हो जाएं तो वो कैंडिडेट तय कर लें जिससे पार्टी, कैंडिडेट और कार्यकर्ता तीनों को प्रचार करने के समय मिल सके।
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में पार्टी के नेताओं की भावना के हिसाब से अगर कांग्रेस विधानसभा चुनाव के नतीजों तक सीट बंटवारे पर फैसला अटकाती है तो फिर इंडिया गठबंधन कोर्डिनेशन कमिटी की बैठक चाहे कितनी भी हो जाएं, कोई फैसला नवंबर से पहले नहीं हो पाएगा। लेकिन इंडिया गठबंधन में सब कुछ कांग्रेस के हिसाब से चले, इसकी गारंटी तो है नहीं। सीट बंटवारे पर फैसले में देरी से सहयोगी और खास तौर पर बड़ी पार्टियां बेसब्र होंगी और अपने स्तर से कैंडिडेट तय करना शुरू कर सकती हैं। वैसे भी राजस्थान या छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जीत हो भी गई तो उससे ना अखिलेश यादव के तेवर उत्तर प्रदेश में ढीले होंगे, ना ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में कोई ममता करेंगी। इन राज्यों में कांग्रेस की सेहत ऐसी नहीं है कि वो सीट की मांग को लेकर तनकर खड़ी हो जाए।