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चुनावी चर्चा: कौवा मारकर चुनाव जीतोगे जी, अच्छा बिरयानी खिलाकर तुम जीत गए थे न?

पूरा बिहार चुनावी मोड में है। ज्यादा गर्मी भी लग रही तो कुछ लोग राजनीतिक वजह ढूंढ़ने में लग जा रहे। ऐसा करें भी क्यों नहीं। पांच साल बाद मतों का मूल्य सूद सहित वसूलने का सुनहरा मौका जो आया है। इस मौके...

चुनावी चर्चा: कौवा मारकर चुनाव जीतोगे जी, अच्छा बिरयानी खिलाकर तुम जीत गए थे न?
पटना, चंदन द्विवेदी Mon, 22 Apr 2019 10:31 AM
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पूरा बिहार चुनावी मोड में है। ज्यादा गर्मी भी लग रही तो कुछ लोग राजनीतिक वजह ढूंढ़ने में लग जा रहे। ऐसा करें भी क्यों नहीं। पांच साल बाद मतों का मूल्य सूद सहित वसूलने का सुनहरा मौका जो आया है। इस मौके को भला कौन छोड़ेगा। वो क्या कहते हैं...वैशाख की धूप का और लोकतंत्र के राजनीतिक रूप का बड़ा महत्व होता है। बोरिंग रोड पानी टंकी के पास राजनीतिक समर्थकों के बीच चर्चा कुछ ऐसी ही दिलचस्प रही। बताइए... इतना गर्मी पड़ता है का? कोई भी मौसम अपने असली मिजाज में है ही नहीं। पर्यावरण के असंतुलन पर एक भी नेता का ध्यान है? किसी भी पॉलिटिकल पार्टी के एजेंडे में प्रदूषण नियंत्रण का संकल्प दिखता है का? सब के सब खाली अपने ही घर की हवा स्वच्छ करने में लगा है। इतना कहकर बोरिंग रोड के अतुल सिगरेट के छल्ले में अपनी पर्यावरणीय फिक्र का धुआं बनाकर प्रदूषण नियंत्रण में अपनी बुनियादी भागीदारी दिखाई। मोबाइल पर व्हाट्स एप संदेशों को देख रहे रमण सिंह से अब रहा न गया। पिछले पांच सालों में भी स्वच्छता अभियान को जमीन पर न उतरने से नाराज होकर भर मुंह रजनीगंधा धूल भरी सड़क पर दे मारे। तपाक से बोले-कुछ कह देना बड़ा आसान होता है। एगो घर तो साफ रखिए नहीं पाते हो सब लोग मिल के। अकेले मोदीजी का करें? जहां अपने डिसिजन लेना था, देख लिये न। आज तक आतंकी बाप-बाप कर रहा है। सुषमा जी का बयान सुने न? हम आतंकी मारते हैं। पब्लिक से दुश्मनी नहीं रखते हैं। समझे न। इतनी बात सुनके पनेरी के पास बैठके चाय की चुस्की लगा रहे रामखेलावन का कान फ्यूज होने लगा। नमो फ्लवेर वाली आधी कप चाय एक ही बार में सुड़क कर बिफर पड़ा-बड़ा ज्ञानी बने हैं भाई जी? का किये पाकिस्तान में ? केवल कौवा मारकर चुनाव जीत जाओगे क्या ? 

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बिरयानी खिलाकर कोई चुनाव जीतता है क्या?

फायर ब्रांड नेता के खिलाफ किला फतह की बयानी तैयारी पर मगहिया राष्ट्रवाद बिफर पड़ा-त तोर कन्हैया सीधे परधानमंत्री बन जथुन का ? तमतमाकर गया के सुमित ने चोट दर चोट जारी रखी। गाल बजाना अलगे बात होता है और देश चलाना अलगे बात। आतंकी को बिरयानी खिलाने वाले और बिरयानी खरीदकर पहुंचाने वाले चेहरा छुपल न रहा अब? पब्लिक है सब जानती है। पता है न एक बात कि गिरिराज जी रोहित शर्मा जैसा बैटिंग करते हैं। बस पिच तैयार होने दीजिए। बिरयानी खिलाकर कोई चुनाव जीतता है क्या? अभी इस दिलचस्प चुनावी सवाल से बयानवीरों की चर्चा आसमानी ऊंचाई पकड़ती कि तब तक काल वैशाखी की 60 किमी की रफ्तार वाली हवा ने सारा समीकरण खराब कर दिया। मंगरुआ अपनी दुकान में दूध चाय-पत्ती ढंकने में लग गया और मौके पर समर्थकों की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता धराशायी होकर रह गई। अपने-अपने घरों की ओर चल पड़े।

डफली बजाकर खींच रहा अटेंशन

सेना के शौर्य पर वामपंथी टाइप इस सवाल से राष्ट्रभक्ति उबाल लेती, इससे पहले जेएनयू से लौटे भगवान भरत ने झोला मोटरसाइकिल के हैंडल में टांगते हुए दोहरी चोट की-गए हैं हाल में बेगूसराय? कलियुग का अपना कन्हैया सोलह हजार एक सौ आठ नेताओं को अकेले देख रहा। देशभर की मीडिया का अटेंशन डफली बजा के खींच रहा है।

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