बिहार : बच्चों के खाते में मध्याह्न भोजन के बदले पैसा 20 मार्च तक
कोरोना वायरस से बचाव के मद्देनजर राज्य के सभी सरकारी व निजी स्कूल 31 मार्च तक बंद कर दिए गए हैं। लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्कूलों की बंदी के दौरान भी सरकारी प्रारंभिक स्कूल के बच्चों को मिड...

कोरोना वायरस से बचाव के मद्देनजर राज्य के सभी सरकारी व निजी स्कूल 31 मार्च तक बंद कर दिए गए हैं। लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्कूलों की बंदी के दौरान भी सरकारी प्रारंभिक स्कूल के बच्चों को मिड डे मिल का लाभ बंद नहीं करने का निर्देश दिया था। इसे लेकर शिक्षा विभाग ने बच्चों को एमडीएम के बदले इसके समतुल्य राशि भेजने की तैयारी पूरी कर ली। लाभ की राशि की गणना कर जिलों को बच्चों या उनके खाते में राशि डीबीटी के माध्यम से भेजने का आदेश शनिवार को जारी कर दिया गया है।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आर के महाजन ने सभी जिला पदाधिकारी व सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि 20 मार्च तक सभी पात्र बच्चों के खाते में एमडीएम के समतुल्य की राशि भेज देना सुनिश्चित करें। जानकारी के मुताबिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए 61 करोड़ रुपए का खर्च आंका है। जिले में उपलब्ध एमडीएम की निधि से ही राशि का भुगतान होना है।
महाजन ने एमडीएम और अन्य विभागीय अफसरों की मौजूदगी में शनिवार को 15 कार्य दिवस के लिए निर्धारित खाद्यान्न की मात्रा और उसके एवज की राशि तथा खाद्यान्न को एमडीएम में परिवर्तन की प्रति छात्र राशि की गणना कराकर इसे तय करने के बाद जिलों को विस्तृत निर्देश भेजा है। इसके मुताबिक पहली से पांचवीं (प्राथमिक कक्षा) के प्रति बच्चे को 114.21 रुपए 15 दिन के मध्याह्न भोजन के बदले दिये जाएंगे। इसमें चावल की देय राशि 47.01 रुपए जबकि प्रति छात्र परिवर्तन मूल्य की देय राशि 67.20 रुपए शामिल हैं। उसी तरह छठी से आठवीं (मध्य विद्यालय) के प्रति विद्यार्थी को बंदी के 15 दिन के मध्याह्न भोजन के एवज में 171.17 रुपए दिए जाएंगे। इसमें प्रति विद्यार्थी चावल की देय राशि 70.52 रुपए जबकि परिवर्तन मूल्य के 100.65 रुपए शामिल हैं।
सबों को नहीं मिलेगा लाभ
महाजन ने जिलों को भेजे अपने पत्र में साफ कर दिया है कि पैसा विद्यालय बंद होने से ठीक पूर्व तिथि अर्थात 13 मार्च को उपस्थित बच्चे को ही इसका लाभ दिया जाय। साथ ही जो विद्यालय हड़ताल के कारण बंद हैं, वहां हड़ताल आरंभ होने के ठीक पूर्व तिथि को उपस्थित बच्चों को ही यह लाभ दिया जाय।