एक्सक्लूसिव: बिहार में स्कूलों की कुंडली खंगालने का महाअभियान 15 से
स्कूलों की कुंडली खंगालने का महाअभियान 15 नवंबर से शुरू होगा। इसमें हाई स्कूल व प्लसटू को 56 जबकि प्रारंभिक स्कूलों को 40 बिंदुओं पर परखा जाएगा। इससे यह भी साफ हो जाएगा कि कौन से विद्यालय कहां खड़े...
स्कूलों की कुंडली खंगालने का महाअभियान 15 नवंबर से शुरू होगा। इसमें हाई स्कूल व प्लसटू को 56 जबकि प्रारंभिक स्कूलों को 40 बिंदुओं पर परखा जाएगा। इससे यह भी साफ हो जाएगा कि कौन से विद्यालय कहां खड़े हैं। उनकी ग्रेडिंग भी की जाएगी तथा गैप के कारणों को भी तलाशा जाएगा। जांच के दौरान जो डाटा सामने आएगा, उसे अंतिम माना जाएगा और उसी के आधार पर आगे शिक्षा में सुधार को लेकर समग्र योजना बनाई जाएगी। स्कूलों की कुंडली खंगालने के इस अभियान का नाम ‘सगुनोत्सव’ रखा गया है।
यह उत्सव बिहार की पहली से लेकर 12वीं तक के 74 हजार स्कूलों समेत देशभर के सभी 11.77 लाख सरकारी तथा सरकार द्वारा अनुदानित स्कूलों में मनाया जाएगा। इसके लिए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने व्यापक कार्ययोजना तैयार की है।
बिहार में इसे जमीन पर उतारने का जिम्मा बिहार शिक्षा परियोजना परिषद को मिला है। सगुनोत्सव 2019-20 के लिए केंद्र के प्रोजेक्ट एपू्रवल बोर्ड ने स्कूलों की क्षमता के मुताबिक राशि भी स्वीकृत कर दी है। पूरी योजना पर केंद्र सरकार 74.54 करोड़ रुपये खर्च करेगी। बिहार में 463.014 लाख खर्च होंगे।
हाल ही में सगुनोत्सव को लेकर नई दिल्ली में एक विस्तृत बैठक स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने बुलाई थी। बीईपी के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी रविशंकर सिंह और रश्मि रेखा ने बिहार का प्रतिनिधित्व किया। बैठक के निर्णयों के मुताबिक सभी सरकारी और सरकार द्वारा अनुदानित विद्यालयों की जांच चार माह के सगुनोत्सव के दौरान विभिन्न पैरामीटर पर की जाएगी। बिहार में 75 दिनों के दौरान रोजाना 982 स्कूलों की जांच की जाएगी। जांच के लिए केंद्र द्वारा एक एप विकसित किया जा रहा है। केंद्र ने साफ कर दिया है कि इस जांच का मकसद स्कूलों के लर्निंग आउटकम को परखना नहीं है, बल्कि क्षमता व सामर्थ्य के मुताबिक ग्रेडिंग की जाएगी। कमियों को समझा जाएगा। छात्र व शिक्षकों की सुविधाओं की भी समीक्षा होगी।
जांच की कार्यप्रणाली तैयार
केंद्र सरकार ने विद्यालयों के स्तर को समझने के लिए जांच की पूरी कार्यप्रणाली तैयार कर ली है। विभिन्न माध्यमों से राज्यों ने अपने विद्यालयों से संबंधित जो डाटा केंद्र को भेजे हैं, सगुनोत्सव में आए डाटा से उसका मिलान होगा। इतना ही नहीं इसकी थर्ड पार्टी जांच भी होगी।
बिहार का जिम्मा तय
बिहार समेत अन्य राज्यों का जिम्मा भी तय कर दिया गया है। राज्य स्तर पर एक नोडल अफसर, जिला स्तर पर संयोजक तथा राज्य स्तर पर सगुनोत्सव का कंट्रोल रूम बनाना होगा। यहां रोजाना मॉनिटरिंग होगी। सर्वेयर चिह्नित करने होंगे। जिला स्तर तक प्रशिक्षण देना होगा।