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बजट संवाद: बिहार को बजट में स्पेशल पैकेज नहीं मिलने का मलाल

मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले केंद्रीय बजट में सभी वर्ग के लोगों से जुड़ी कुछ न कुछ सौगात देने की कोशिश की। नौकरी-पेशा, कर्मचारियों और किसानों, बड़े उद्यमियों सबको कुछ न कुछ दिया। हालांकि...

बजट संवाद: बिहार को बजट में स्पेशल पैकेज नहीं मिलने का मलाल
पटना हिन्दुस्तान टीमFri, 05 Jul 2019 05:57 PM
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मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले केंद्रीय बजट में सभी वर्ग के लोगों से जुड़ी कुछ न कुछ सौगात देने की कोशिश की। नौकरी-पेशा, कर्मचारियों और किसानों, बड़े उद्यमियों सबको कुछ न कुछ दिया। हालांकि शिक्षा, स्वास्थ्य और उद्योग के क्षेत्र में बिहार को कुछ नहीं मिलने से निराशा भी हुई। बेरोजगार युवाओं के लिए भी कुछ उपाय नहीं किया गया। वर्ष 2019-20 का केंद्रीय बजट पूरी तरह अंतरिम बजट का ही एक तरह से विस्तार है। बिहार को स्पेशल पैकेज नहीं मिलने का मलाल भी लोगों में दिखा। ये विचार आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान की ओर से बुद्धमार्ग कार्यालय में आयोजित बजट संवाद में विशेषज्ञों ने व्यक्त किए। 

हिन्दुस्तान कार्यालय में आयोजित बजट संवाद में शहर के नामचीन अर्थशास्त्री, सीए, टैक्स कंसल्टेंट, कारोबारी, ज्वेलर्स, डॉक्टर, रीयल स्टेट के कारोबारी, पेट्रोल पंप संचालक से लेकर अन्य क्षेत्रों से जुड़े लोग शामिलहुऐ। शुक्रवार की सुबह 11 बजे से दोपहर एक बजेतक बुद्धमार्ग स्थित कार्यालय में ही शहर के प्रबुद्धजनों ने बजट का प्रसारण देखा। इसके बाद सभी लोग बजट संवाद में बजट की बारीकियों पर चर्चाकिये। 

विशेषज्ञों ने कहा कि बजट में निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट को ही एक तरह से आगे बढ़ाने का काम किया है। किसानों को विशेष सौगात देने की कोशिश की है। तिलहन के किसानों को आगे बढ़ाने की बात ठीक है। हालांकि, आम किसानों को किस तरह से फायदा पहुंचाया जाएगा, इसकी प्रक्रिया स्पष्ट नहीं होने पर चिंता भी उभरी। हालांकि, बिहार के संदर्भ में कुछ विशेष जिक्र नहीं होने से लोग निराश भी दिखे। कर छूट की सीमा को नहीं बढ़ाये जाने और सूबे के विकास के लिए स्पेशल पैकेज नहीं देने तथा औद्योगीकरण को बढ़ावा देने की ठोस कोशिश नहीं होने की चिंता भी बजट संवाद में प्रमुखता से उभरी। हालांकि, एमएसएमई बढ़ावा देने की वित्त मंत्री की लोगों ने सराहना भी की।

बजट से बिहार को मिली निराशा
परिचर्चा में शामिल बिहार इंडस्ट्रिज एसोसिएशन के गणेश प्रसाद सिंह ने कहा कि बिहार जैसे राज्य के लिए बजट में विशेष प्रावधान नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है। कहा कि बजट से आशा थी कि उद्योग क्षेत्र को कुछ खास मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सूबे में इंडस्ट्री का ग्रोथ देश के राष्ट्रीय औसत से बहुत पीछे है। ऐसे में राज्य में औद्योगीकरण से रोजगार से लेकर दूसरे क्षेत्रों में स्थिति बदलने को लेकर सरकार चिंतित नहीं दिखी। साथ ही बिहार में विशेष निवेश के लिए प्रोत्साहन का जिक्र नहीं होने को लेकर लोगों ने इसे सूबे की उपेक्षा बताई। प्रो राजलक्ष्मी ने कहा कि बिहार में सिंचाई के लिए विशेष योजना का नहीं होना दुखद है। सूबे में अभी भी 50 फीसदी खेती के मॉनसून पर टिके होने के बावजूद सिंचाई की ठोस योजना के अभाव पर चिंता जताई गई। 

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