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Hindi News बिहारतेलंगाना में BRABU के सर्टिफिकेट का कारोबार, 40 हजार में होता है डिग्री का सौदा; ऐेसे हुआ खुलासा

तेलंगाना में BRABU के सर्टिफिकेट का कारोबार, 40 हजार में होता है डिग्री का सौदा; ऐेसे हुआ खुलासा

तेलंगाना पुलिस ने 10 जुलाई को बिहार विवि की रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर कहा था कि उन्हें सूचना मिली थी कि चाणक्यपुरी नाम के एक काम्पलेक्स में कुछ लोग विश्वविद्यलायों के फर्जी दस्तावेज बनाकर बेच रहे हैं।

तेलंगाना में  BRABU के सर्टिफिकेट का कारोबार, 40 हजार में होता है  डिग्री का सौदा; ऐेसे हुआ खुलासा
Sudhir Kumarलाइव हिन्दुस्तान,मुजफ्फरपुरSun, 28 Jul 2024 12:08 PM
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बाबा साहेब भीम अंबेडकर  बिहार यूनिवर्सिटी की स्नातक की फर्जी डिग्री पकड़ी गई है। तेलंगाना पुलिस ने अपनी जांच में यह खुलासा किया है। इसके बाद  सत्यापन के लिए डिग्री को  मुजफ्फरपुर स्थित बीआरएबीयू के पास भेजा है।। सत्यापन में यह डिग्री फर्जी पाई गई। यह डिग्री स्नातक सत्र 2020-23 की बताई जा रही है। यह मामला सामने आने के बाद विश्वविद्यालय में हड़कंप मच गया है। आशंका है कि विश्वविद्यालय से जुड़ा कोई शख्स इस धंधे में संलिप्त है। उसका पता लगाया जा रहा है।

तेलंगाना पुलिस ने 10 जुलाई को बिहार विवि की रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर कहा था कि उन्हें सूचना मिली थी कि स्थानी चाणक्यपुरी नाम के एक व्यवसायिक काम्पलेक्स में कुछ लोग विश्वविद्यलायों के फर्जी दस्तावेज बनाकर बेच रहे हैं। इसके बाद पुलिस ने छापेमारी कर दो लोगों को वहां से गिरफ्तार किया। पुलिस को दिए बयान में गिरफ्तार अबरार हुसैन ने कबूला कि जल्दी पैसे कमाने की लालच में वह विश्वविद्यालयों के फर्जी डिग्री बनाकर बेचता है। फोटोशॉप से वह कंप्यूटर पर विश्वविद्यालयों के फर्जी डिग्री तैयार करता था। एक डिग्री के लिए 30 से 40 हजार रुपये लेता था। आरोपित डिग्री को सीधे उसको बनवाने वाले के हाथ में ही देता था।

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बताया कि तेलंगाना पुलिस की छापेमारी में बीआरएबीयू की भी डिग्री बरामद हुई है। इस कारण उसे सत्यापन के लिए बिहार विवि के परीक्षा विभाग को भेजा गया। यहां जांच के बाद उसे फर्जी बताया गया। फर्जी डिग्री पर चढ़े अंक का टेबुलेशन रिजस्टर पर कोई जिक्र नहीं था। टीआर से सत्यापन नहीं होने पर विवि ने उसे फर्जी करार दिया और तेलंगाना पुलिस को मामले में जवाब भी भेज दिया।

सूत्र के अनुसार पता चला है कि हैदराबाद में फर्जी सर्टिफिकेट का यह कारोबार 2 सालों से चल रहा। मार्कशीट समेत अन्य सभी प्रकार के डाक्यूमेंट्स कंप्यूटर की मदद से तैयार किए जाते हैं। कंसल्टेंसी केंद्र की आड़ में यह गोरखधंधा होता है।  बताया गया है कि बिहार विश्वविद्यालय की फेक कंसलटेंसी के नाम पर सर्टिफिकेट फैब्रिकेटेड कर छात्र-छात्राओं को 40-50 हजार रुपए लेकर थमा दिए जाते हैं। अन्य विश्वविद्यालय की फेक कंसल्टेंसी चलाने की भी बात बताई गई है। आरोपी मोहम्मद अबरार ने बताया कि वह खुद यह कारोबार करता था और कई विश्वविद्यालय की फर्जी कंसल्टेंसी चलैकर पढ़ाई के नाम पर छात्र-छात्राओं पर फेक डिग्री बेचने का काम करता है।