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छह साल में बिहार में बिजली की खपत दोगुनी से अधिक

किसी राज्य की आर्थिक और सामाजिक तरक्की तभी हो सकती है जब वहां भरपूर बिजली हो। बिहार ने बिजली के क्षेत्र में बेहतर मुकाम हासिल की है। साल 2012-13 में बिहार में प्रति व्यक्ति बिजली खपत मात्र 145 यूनिट...

छह साल में बिहार में बिजली की खपत दोगुनी से अधिक
पटना। हिन्दुस्तान ब्यूरोTue, 25 Feb 2020 09:20 AM
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किसी राज्य की आर्थिक और सामाजिक तरक्की तभी हो सकती है जब वहां भरपूर बिजली हो। बिहार ने बिजली के क्षेत्र में बेहतर मुकाम हासिल की है। साल 2012-13 में बिहार में प्रति व्यक्ति बिजली खपत मात्र 145 यूनिट थी जो छह साल बाद 2018-19 में यह दोगुनी से अधिक 345 यूनिट तक पहुंच गई।

बिजली की खपत में वृद्धि का मूल कारण उपभोक्ताओं की संख्या में वृद्धि होना है। समय से पहले हर गांव और हर घर तक बिजली जाने के कारण उपभोक्ताओं की संख्या में ऐतिहासिक वृद्धि हुई। साल 2014-15 में बिहार में 55 लाख से अधिक उपभोक्ता थे जो 2018-19 में यह बढ़कर एक करोड़ 45 लाख हो गए। आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 के अनुसार बिजली व्यवस्था में सुधार के लिए सरकार ने संचरण-वितरण नेटवर्क में व्यापक सुधार किया। 2012-13 में मात्र 2650 मेगावाट बिजली की जरुरत थी। 2018-19 में यह बढ़कर 5300 मेगावाट हो गई। यानी छह वर्षों में ही 100 प्रतिशत मांग बढ़ी। मांग के अनुसार बिहार में बिजली की आपूर्ति भी हो रही है। 2012-13 में 1802 मेगावाट बिजली दी गई तो 2018-19 में 5139 मेगावाट तक पहुंच गई। यानी 2012-13 में मांग के अनुसार बिहार में 848 मेगावाट बिजली की कमी रहती थी। जबकि 2018-19 में मात्र 161 मेगावाट की ही कमी रह गई। 

बिजली खपत करने में पटना अव्वल है। यहां 523 करोड़ यूनिट बिजली की खपत हुई। दूसरे स्थान पर गया में 163 करोड़ यूनिट तो तीसरे स्थान पर रहे नालंदा में 112 करोड़ यूनिट की खपत हुई। वहीं सबसे कम शिवहर में 8.6 करोड़ यूनिट की खपत हुई। इसके बाद अरवल में 16.6 करोड़ यूनिट तो शेखपुरा में 19 करोड़ यूनिट की खपत हुई।

हर घर बिजली पहुंचने के बाद अब बिहार में तेजी से बिजली की मांग बढ़ी है। आकलन के अनुसार 2019-20 में 2309 करोड़ यूनिट बिजली खपत होने का अनुमान है। 2020-21 में 2697 करोड़ यूनिट तो 2021-22 में 3230 करोड़ यूनिट बिजली खपत होने का अनुमान किया गया है। बिजली देने के लिए सरकार न केवल कोयला से बिजली उत्पादन पर काम कर रही है बल्कि पनबिजली व सौर ऊर्जा पर भी काम हो रहा है। अगले तीन सालों में 5733 मेगावाट बिजली कोयले से उत्पादित होगी। जबकि पनबिजली 729 मेगावाट,  सौर ऊर्जा 1338 मेगावाट तो पवन ऊर्जा 1558 मेगावाट बिजली होगी।

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